अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप जिस ‘क्रेडिट’ को पाने के लिए इतने दिनों से लालायित हैं, उसे उनसे ‘छीनने वाले’ रिकी गिल कौन हैं? ये जानने के लिए आपको 2025 की मई में जाना होगा. भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम में हमले के बाद सैन्य तनाव बना हुआ था. दोनों ओर से ड्रोन और मिसाइलों के हमले बढ़ते जा रहे थे. युद्ध रुकने की कोई सूरत नहीं थी. तभी अचानक डॉनल्ड ट्रंप ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हैं कि उनके कहने पर भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं. इसके कुछ देर बाद युद्ध बंद भी हो गया.
कौन हैं रिकी गिल जिनके सिर पर ट्रंप ने 'भारत-पाक सीजफायर' का सहरा बांध दिया?
भारतीय-अमेरिकी रिकी गिल को ट्रंप प्रशासन ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के लिए इनाम दिया है. रिकी गिल अमेरिका की नैशनल सिक्योरिटी काउंसिल के मेंबर हैं.


हालांकि, भारत ने काफी जोरदार तरीके से ट्रंप का ये दावा खारिज किया और कहा कि पाकिस्तान ने खुद सीजफायर के लिए पहल की थी, इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी. लेकिन अब अमेरिकी विदेश विभाग ने भारतीय मूल के एक अमेरिकी अधिकारी को इसी बात के लिए अवॉर्ड दे दिया कि उसने मई 2025 में ‘भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को नेगोशिएट’ किया था. यानी जो काम करने का दावा ट्रंप करते रहे, जिसे भारत खारिज करता रहा, उसी 'काल्पनिक' काम पर अमेरिका में किसी को अवॉर्ड दे दिया गया.
जिस व्यक्ति को ये सम्मान दिया गया है, वही रिकी गिल हैं. पंजाबी मां-पिता की संतान, जो ट्रंप के पहले और दूसरे दोनों कार्यकालों में उनके विश्वस्त सहयोगी बनकर सामने आए.
रिकी गिल अमेरिका की ताकतवर संस्था नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (NSC) में दक्षिण और मध्य एशिया के सीनियर डायरेक्टर हैं. ट्रंप के विशेष सहायक भी हैं. ये उन तीन भारतीय मूल के लोगों में शामिल रहे, जिन्हें ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में अहम सलाहकार पदों पर नियुक्त किया था. बाकी दो सौरभ शर्मा और कुश देसाई हैं.
इसी हफ्ते अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने गिल को NSC का ‘डिस्टिंग्विश्ड एक्शन अवॉर्ड’ दिया. बताया गया कि रिकी गिल ने 10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर की मध्यस्थता की थी. हालांकि, उन्होंने ये काम कैसे किया था और संबंधित अधिकारियों से बातचीत कैसे कराई थी, इस बारे में ट्रंप प्रशासन से स्पष्ट जानकारी नहीं दी.
विशेषज्ञों का कहना है कि गिल को ये पुरस्कार देकर ट्रंप प्रशासन अमेरिकी राष्ट्रपति के उस दावे को आगे बढ़ाना चाहता है, जिसमें वह तमाम वैश्विक मंचों पर भारत-पाकिस्तान की जंग रुकवाने का श्रेय अपने नाम करते दिखे और जिसे भारत ने हर बार खारिज कर दिया. कुछ लोगों का ये भी कहना है कि अपने इस फैसले से ट्रंप प्रशासन सिर्फ भारत को चिढ़ाना चाहता है.
रंजीत सिंह उर्फ रिकी गिल अमेरिका में न्यूजर्सी के लोदी में पैदा हुए थे. उनके माता-पिता जसबीर और परम गिल पंजाबी सिख प्रवासी डॉक्टर हैं. भारतीय-अमेरिकी रिकी गिल बहुत जल्दी यानी महज 17 साल की उम्र में पब्लिक सर्विस में आ गए थे. पहली बार वो चर्चा में आए जब कैलिफोर्निया के तत्कालीन गवर्नर अर्नोल्ड श्वार्जनेगर ने उन्हें स्टेट एजुकेशन बोर्ड में ‘स्टूडेंट रिप्रेजेंटेटिव’ के तौर पर नियुक्त किया. गिल वहां पर अकेले छात्र सदस्य थे. उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के वुडरो विल्सन स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद बर्कले की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से कानून की डिग्री हासिल की.
साल 2012 में गिल ने महज 24 साल की उम्र में कैलिफोर्निया से अमेरिकी ‘हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स’ का चुनाव लड़ा था. वो चुनाव हार गए लेकिन पॉलिटिकल साइंस के एक मशहूर प्रोफेसर थॉमस होलियोक ने उनके बारे में कहा था- ‘लगता है कि इस लड़के में विलक्षण प्रतिभा (Wonderkid) है.’
साल 2017 में डॉनल्ड ट्रंप पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने. इस कार्यकाल में उन्होंने रिकी गिल को नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (NSC) में ‘डायरेक्टर फॉर रशिया एंड यूरोपियन एनर्जी सिक्योरिटी’ (Director for Russia and European Energy Security) बनाया. साल 2018 में ट्रंप ने उन्हें एक अहम जिम्मेदारी दी. वह अमेरिका के दूतावास को इजरायल में तेल अवीव से जेरूसलम शिफ्ट करने के सेंसिटिव प्रोसेस से भी जुड़े. इस कदम की इजरायल ने तो तारीफ की लेकिन फिलीस्तीनियों ने इसका जमकर विरोध किया. दुनिया भर में ये फैसला आलोचनाओं के केंद्र में रहा.
गिल राष्ट्रपति ट्रंप के बेहद करीबी माने जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के गजब के जानकार बताए जाते हैं. वह अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ‘ब्यूरो ऑफ ओवरसीज बिल्डिंग ऑपरेशंस’ में सीनियर एडवाइजर भी रह चुके हैं. कनाडा से अमेरिका तक तेल पहुंचाने वाली कंपनी कीस्टोन XL पाइपलाइन में पॉलिसी एडवाइजर के तौर पर भी वह काम कर चुके हैं.
दूसरे कार्यकाल में भी जिम्मेदारीट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में भी गिल को अहम जिम्मेदारी दी. इस बार उन्हें भारत-पाकिस्तान, अफगानिस्तान और पूरे दक्षिण और मध्य एशिया जैसे बेहद संवेदनशील 'इलाकों' की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस जिम्मेदारी के साथ उन्होंने अगस्त 2025 में पहली बार भारत का दौरा किया. ये वही वक्त था, जब ट्रेड डील और टैरिफ को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में तनाव चल रहा था. गिल को भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) पर बातचीत के लिए भेजा गया था, जो काफी समय से अटका हुआ है.
यह भी कहा गया कि रिकी गिल ने मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव के वक्त सीजफायर ‘नेगोशिएट’ किया था. इसी के लिए तो उन्हें अमेरिकी विदेश विभाग ने इनाम दिया है, जिस पर भारतीय विशेषज्ञों ने हैरानी जताई है.
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल कहते हैं कि क्या यह अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की कोशिश है कि ट्रंप से क्रेडिट छीना जाए. उन्होंने कहा कि भारत को चिढ़ाने के सिवाय इस अवॉर्ड का कोई और मतलब नहीं दिखता क्योंकि भारत ने ये पहले ही साफ कर दिया है कि सीजफायर में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी. ट्रंप के लेवल पर ही नहीं थी. फिर ये रिकी गिल तो दूर की बात हैं.
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