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क्या मुकेश अंबानी ने जियो के टावर्स कनाडा की कंपनी को बेच दिए?

ट्विटर पर दावा किया जा रहा है कि किसान आंदोलन के दौरान टावरों के क्षतिग्रस्त होने से मुकेश अंबानी को कोई नुकसान नहीं हुआ.

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ख़बर है कि किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे लोगों ने पंजाब में जियो के टावर्स क्षतिग्रत किए हैं. इसके बाद ट्विटर पर चल पड़ा कि जियो के टावर्स के मालिक मुकेश अंबानी हैं ही नहीं. (कोलाज में लेफ़्ट वाला स्क्रीनशॉट ट्विटर से है और राईट वाली किसान आंदोलन की एक तस्वीर, PTI से साभार)
किसानों का आंदोलन चल रहा है. और इस किसान आंदोलन से जुड़े सारे अपडेट्स लल्लनटॉप आपको दे रहा है. फिलहाल हम बात करेंगे किसान आंदोलन से जुड़े एक दूसरे आयाम की.
# जियो के टावर-
किसान आंदोलन में सरकार ही नहीं, दो बड़े उद्योगपतियों अडानी-अंबानी का भी विरोध हो रहा है. मुकेश अंबानी की ‘जियो’ का भी बॉयकॉट करने की अपील हो रही है. ख़बरें आ रही हैं कि आंदोलन का सपोर्ट करने वाले मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर, जियो के टावर की बिजली काट दे रहे हैं. ख़बर ये भी है कि पंजाब में जियो के 1,500 के क़रीब टावर्स क्षतिग्रस्त कर दिए गए हैं. पंजाब में जियो के कुल टावर्स की संख्या 9,000 के क़रीब है.
# ट्विटर में ‘तथ्य’-
इसी सब के चलते ट्विटर में गाहे-बगाहे ‘अंबानी’ ट्रेंड कर जा रहा है. और इसी ‘अंबानी’ ट्रेंड, हैशटैग या कीवर्ड वाले ट्वीट्स में से कुछ ट्वीट में आपको पढ़ने को मिलेगा कि, ये टावर तो रिलायंस के हैं ही नहीं. इन्हें कनाडा की कंपनी ने ख़रीद लिया था. # तथ्य की पड़ताल-
ट्विटर ‘एंटरटेनमेंट’ का सबसे बढ़िया सोर्स बेशक हो लेकिन ‘खबरों’ का प्रथम और ट्रस्टेड सोर्स तो कतई नहीं है. तो हमने थोड़ी पड़ताल की. पता लगा कि ये बात काफ़ी हद तक सही है.
ब्रुकफ़ील्ड एसेट मैनजमेंट इंक. टोरंटो, कनाडा बेस्ड एक ‘ऑल्टरनेट ऐसेट मैनजमेंट’ कंपनी. ऑल्टरनेट इसलिए कि अगर सिर्फ़ ‘ऐसेट मैनजमेंट’ कंपनी होती तो शेयर्स, इक्विटी, डिबेंचर्स, बॉन्ड, करेंसी वग़ैरह में डील करती. लेकिन ‘ऑल्टरनेट ऐसेट मैनजमेंट’ कंपनियां अलग तरह के ऐसेट मैनेज करती है. मतलब मेटल, एंटीक वस्तुएं, पेंटिंग वग़ैरह. तो ऐसा ही एक ‘ऑल्टरनेट ऐसेट’ है इंफ़्रास्ट्रक्चर. बोले तो जियो के मोबाइल टावर. इन्हें भी यही, ‘ब्रुकफ़ील्ड ऐसेट मैनजमेंट इंक’ कंपनी मैनेज करती है. मैनेज क्या करती है, ओन करती है. मतलब ये टावर उसी के हैं.
ब्रुकफ़ील्ड. इसका हेडक्वार्टर कनाडा में है. तस्वीर, उनकी वेबसाइट (brookfield.com) का एक स्क्रीनशॉट है. ब्रुकफ़ील्ड. इसका हेडक्वार्टर कनाडा में है. तस्वीर, उनकी वेबसाइट (brookfield.com) का एक स्क्रीनशॉट है.


RIIHL. रिलायंस इंडस्ट्रीयल इंवेस्टमेंट एंड होल्डिंग. RIL (रिलायंस इंडिया लिमिटेड) की एक सब्सिडियरी. इसके और ब्रुकफ़ील्ड ऐसेट मैनजमेंट इंक की सिस्टर कंपनी ‘ब्रुकफ़ील्ड इंफ़्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स लिमिटेड पार्टनरशिप’ का 2019 में एक एग्रीमेंट हुआ. जिसके अनुसार ‘ब्रुकफ़ील्ड इंफ़्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स लिमिटेड पार्टनरशिप’ ने सिंगापुर की GIC (सिंगापुर सोवरिंग वेल्थ फंड) के साथ मिलकर ‘रिलायंस जियो इंफ़्राटेल’ की 100% हिस्सेदारी ख़रीदनी थी. ‘रिलायंस जियो इंफ़्राटेल’ ही वो कंपनी है जिसके पास पहले जियो के सारे टावर और टावर से जुड़ी परिसंपत्तियां थीं. बोले तो एक लाख तीस हज़ार के क़रीब टावर.
इस डील की कुल क़ीमत थी 25,215 करोड़ रुपये. सितंबर 2020 आते-आते इस डील को भारत की रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ के अप्रूवल भी मिल गए. 6 अक्टूबर, 2020 को RIL ने घोषणा कर दी कि ये डील पूरी हो चुकी है. बिज़नेस टुडे के अनुसार-
रिलायंस जियो की ‘टावर यूनिट’ के अधिग्रहण की ये डील, भारत की अब तक की सबसे बड़ी प्राइवेट इक्विटी डील है.
# ‘तथ्य’ के बाद ‘मत’-
केवल सत्ता पक्ष ही नहीं, पंजाब की कांग्रेस सरकार के मुखिया कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी किसानों से अपील की है कि आंदोलनकारी ऐसे काम न करें जिससे आम-जन को परेशानी हो. साथ ही उन्होंने दूरसंचार सेवाओं को बाधित करने वालों पर सख़्त से सख़्त कार्रवाई करने का भी पुलिस को आदेश दिया है.
किसानों का अब तक प्रोटेस्ट मंज़िल न पाया हो पर सफल ज़रूर कहा जाएगा. ऐसे में क्या हिंसा से इसे असफल करने का प्रयास किया जा रहा है. (तस्वीर: PTI) किसानों का अब तक प्रोटेस्ट मंज़िल न पाया हो पर सफल ज़रूर कहा जाएगा. ऐसे में क्या हिंसा से इसे असफल करने का प्रयास किया जा रहा है. (तस्वीर: PTI)


सोचिए, मोबाइल नेटवर्क किसी कंपनी का, सिम किसी दूसरी कंपनी का, मोबाइल किसी तीसरी कंपनी का, स्पेक्ट्रम सरकार का, लेकिन यूज़र तो एक आम नागरिक ही है न? और वैसे भी विरोध या आंदोलन की शांत प्रकृति उसे लंबे समय तक जीवित रखती है और उसके सफल होने के चांसेज़ बढ़ा देती है.
# तो क्या जियो का कोई नुक़सान नहीं हुआ-
जिन्हें लगता है कि टावर के क्षतिग्रस्त होने से जियो को कोई नुक़सान नहीं हुआ, तो पहली बार में ही समझ में आता है कि ये बात कितनी अतार्किक है. सोचिए अगर कोई दूसरी या उससे ऊपर की मंज़िल पर रहता है, तो क्या नीचे वाले मकान या फ़्लोर तोड़ने पर उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा?
तापसी पन्नू, जियो के एक प्रोमोशनल कैंपेन के दौरान. (सांकेतिक तस्वीर: PTI) तापसी पन्नू, जियो के एक प्रोमोशनल कैंपेन के दौरान. (सांकेतिक तस्वीर: PTI)


ऐसे ही जियो के मोबाइल नेटवर्क का ठीक नीचे वाला फ़्लोर यही मोबाइल टावर हैं. फिर चाहे इसका मालिक कोई भी हो. ये किसी की भी परिसंपत्तियां हों. अगर ये न होंगे तो जियो का नेटवर्क कैसे होगा?

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