महात्मा गांधी की बात करते हुए तीन तारीखें जो दिमाग में सबसे पहले आती हैं. वो है आजादी की तारीख 15 अगस्त. गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर. और आखिरी वो तारीख जब गांधी हमें छोड़ गए, 30 जनवरी. देश आजाद हुए 6 महीने भी नहीं हुए थे कि 'बापू' हमसे छीन लिए गए. नाथूराम गोडसे नाम के एक सिरफिरे ने महात्मा गांधी को सरेआम गोली मार दी. तारीख थी 30 जनवरी 1948. लेकिन गांधी फिर भी नहीं मरे. गांधी मरा नहीं करते. उनकी अंतिम यात्रा में जो भीड़ उमड़ी, उसने जता दिया कि वह गांधी के 'सविनय अवज्ञा' की धारणा में ज्यादा यकीन करती है. ये मुल्क तब भी उनसे मुहब्बत करता था, आज भी करता है. फ्रांस से आए फोटोग्राफर आंरी कैर्तिये-बगेसों (Henri Cartier-Bresson) ने गांधी की कई ऐतिहासिक तस्वीरें ली थीं. कंधे पर गमछा धारे मुस्कुराते गांधी, बड़े चरखे के पीछे पत्र बांचते हुए और अतिथि गृह (अब गांधी स्मृति) के फाटक पर चढ़कर राष्ट्रपिता की हत्या की सूचना देते प्रधानमंत्री नेहरू उनकी बेहद मशहूर तस्वीरें हैं. गांधी की हत्या के समय आंरी दिल्ली में ही थे. उन्होंने हत्या के बाद सूने गांधी-आसन, उनके आखिरी दर्शन, शवयात्रा, अंतिम संस्कार और अस्थि-विसर्जन आदि की कई तस्वीरें लीं, जिन्हें पत्रकार ओम थानवी ने फेसबुक पर साझा किया है. गांधी की मौत की घोषणा करते नेहरूअंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़इन महिलाओं के चेहरे देखिएचिता को अग्निकुछ के लिए वे बापू थे. कुछ के लिए फरिश्ता थे.उनके बाद, खाली पड़ा हुआ उनका आसन.