राजकोट गेमिंग जोन अग्निकांड मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए गुजरात सरकार और प्रशासन को फटकार लगाई है (Gujarat High Court Rajkot Fire). कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अब स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता. पूछा गया- क्या इंसान की जान इतनी सस्ती है? क्या नागरिकों की सुरक्षा कभी पहली चिंता रही है?
'गुजरात सरकार पर भरोसा नहीं...' हाई कोर्ट ने क्यों की ये सख्त टिप्पणी?
Rajkot Gaming Zone Fire मामले में Gujarat High Court ने कहा- अब हमें स्थानीय व्यवस्था और राज्य सरकार पर कोई भरोसा नहीं है.

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि कम से कम दो और गेमिंग जोन बिना परमिट के 24 महीने से संचालित किए जा रहे हैं. राज्य सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ता मनीषा लव कुमार शाह ने माना कि अहमदाबाद में दो और गेमिंग जोन को संचालित करने की परमिशन नहीं थी. उन्होंने सफाई में कहा कि जांच करने और 72 घंटों के अंदर रिपोर्ट फाइल करने के लिए एक स्पेशल टीम का गठन किया गया है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि वो अब राज्य सरकार पर भरोसा नहीं कर सकती. फटकार लगाई,
क्या आप अंधे हो गए हो? क्या आप सो गए थे? राज्य सरकार के काम नहीं करने के चलते लोग मर रहे हैं.
राजकोट नगर निकाय ने अदालत में दावा किया कि उनसे मंजूरी नहीं ली गई थी. इस बात पर भड़कते हुए कोर्ट ने कहा,
ये ढाई साल से चल रहा है. क्या हम मान लें कि आपने आंखें मूंद लीं? आप और आपके फॉलोअर्स क्या करते हैं?
कोर्ट को बताया गया कि शहर में कुल 34 गेमिंग जोन हैं जिनमें से तीन के पास फायर डिपार्टमेंट से NOC नहीं मिली है जो कि अनिवार्य है. इसमें मॉल के अंदर मिनी-गेमिंग जोन भी शामिल हैं. सफाई में कहा गया कि फायर सेफ्टी सर्टिफिकेशन से जुड़ी सुनवाई चार साल से रिजॉल्व नहीं हुई है.
कोर्ट ने पहले की कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा,
हमने पिछले चार साल में कई फैसले और निर्देश दिए हैं. उसके बाद भी राज्य में छह घटनाएं हुईं हैं.
बता दें, मामले को लेकर 26 मई को गुजरात हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. जस्टिस बीरेन वैष्णव और जस्टिस देवेन देसाई की स्पेशल बेंच ने हादसे को मानव निर्मित आपदा बताया था.
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