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झोपड़ी में रहते थे मंत्री जी, बारिश आई और बेघर कर गई

सादगी इनकी पहचान है. अपने बीवी-बच्चों के साथ कच्चे मकान में रह रहे थे.

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अपनी पत्नी के साथ ढहे घर का मलबा हटाते हुए बंशीधर
बारिश का मौसम. प्यार करने का, सामान में फफूंदी लगने का, सड़कों पर जाम लगने का, बच्चों के मौज-मस्ती करने का. इन सब के अलावा बारिश के मौसम में नुकसान भी बहुत होता है. हजारों लोग बेघर हो जाते हैं. इस बार की बारिश ने उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्यमंत्री बंशीधर बौद्ध को बेघर कर दिया. बहराइच के टोड़िया गांव में राज्यमंत्री का कच्चा मकान था. जहां वो अपने परिवार के साथ रहते थे. शनिवार को तेज बारिश हुई. जिसमें उनका घर ढह गया. वो तो अच्छा हुआ उस टाइम उनके घर में कोई था नहीं. बारिश रुकने के बाद बंशीधर ने अपनी पत्नी और बेटों के साथ मिलकर मलबा हटाया. घर ढहने से लगभग उन्हें एक लाख का नुकसान हुआ है. यूपी कैबिनेट में जब बंशीधर आए थे, तभी से वो अपनी सादगी के चलते चर्चा में रहे हैं. मकान के नाम पर बस उनके पास एक झोपड़ी थी. वो भी ढह गई है. बंशीधर के पास न तो कोई गाड़ी है, न बैंक बैलेंस और न ही जमीन. उनकी मंथली सैलेरी है 75 हजार रुपये. चुनाव लड़ने से पहले कैंडिडेट को पर्सनल डिटेल देनी होती है. बंशीधर की वो डिटेल बताती है कि उनके पास कुल 58 हजार रुपये हैं. कोई पैन कार्ड नहीं, कोई जूलरी नहीं. बीवी के अकाउंट में लगभग 4 हजार रुपये और चांदी की कुछ जूलरी है. इन सब के अलावा उनपर सवा लाख रुपये का कर्जा है. जो उन्होंने खेती के लिए लिया था. लोन तो बंशीधर ने चुका दिया है. बंशीधर बौद्ध का राजनीतिक सफर बहुत मुश्किल रहा है. कई साल पहले जॉब के लिए बलिया से बहराइच आए थे. साल 2000 और 2005 में वो जिला पंचायत के सदस्य चुने गए थे. 2014 के उपचुनाव में वो विधायक चुने गए. कुल 35 हजार रुपये में उन्होंने इलेक्शन जीत लिया था. जबकि विधायक बनने के लिए लाखों करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए जाते हैं.

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