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'खेतों में खेलते हुए मेरा 7 साल का बच्चा गलती से पाकिस्तान चला गया'

ये बच्चा पाकिस्तानी जेल में 32 सालों से कैद में है. क्योंकि उस दौर में लोहे की तारें नहीं होती थीं.

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फोटो क्रेडिट: Reuters
रणदीप हुड्डा की फिल्म आई, सरबजीत. फिल्म में सरबजीत दोस्त के साथ एक रात शराब पीता है. नशे की हालत में गलती से सरहद पार चला जाता है. इंडिया में सरहद पार का मतलब पाकिस्तान होता है. सरबजीत शराब के नशे में था. वहीं पाकिस्तान की जेल में सालों कैद रहा. फिर वो जब लौटा तो कपड़े में लिपटा हुआ. मरा हुआ, कफन के कपड़े में. वो सरबजीत था, जिसका नाम 'पूरी दुनिया विच गूम रा है...आजाद.' सरबजीत मरने के बाद आजाद हुआ. लेकिन एक 7 साल का भारतीय बच्चा अब भी पाकिस्तानी जेल में कैद है. आजाद नहीं पो रहा है. लेकिन ये बच्चा नानक अब 39 साल का हो चुका है. बच्चे से आदमी हो चुका है. लेकिन बचपन से जवानी और अधेड़ होने की उम्र को नानक ने जेल की दीवारों से ही देखा है. 1984 में खेतों में अपने प्यो के पीछे भागते हुए गलती से नानक सरहद पार चला गया था. नानक का शन्ना बेदी गांव पाकिस्तानी बॉर्डर से महज 2 किलोमीटर दूर है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, नानक के बालक होने पर भी पाकिस्तानी अथॉरिटी की तरफ से कोई रहम नहीं दिखाया गया. नानक के परिवारवालों को तबसे उसकी कोई खबर नहीं है. नानक की मां प्यारी आंखों में आए आंसू पोंछते हुए कहती हैं,
'आज नानक 39 साल का होगा. नहीं मालूम मेरा बच्चा अब कैसा दिखता होगा. अब तो बस एक ख्वाहिश है, मरने से पहले नानक को देख लूं. मेरी सरकार से गुजारिश है कि मेरे बेटे को इंडिया, मेरे पास वापस ले आएं.'  
नानक के सरहद पार जाने के दुखद किस्से के बारे में प्यारी ने बताया,
'नानक अपने प्यो रतन सिंह के साथ खेतों में खेल रहा था. उसके पापा जहां-जहां जाते, वो उनके पीछे दौड़ता चला जाता. न जाने कैसे इसी खेल में वो सरहद के पार चला गया. क्योंकि तब सरहदों पर लोहे की तार नहीं लगी थीं. नानक गलती से पाकिस्तान चला गया और फिर कभी नहीं लौटा. हमने पुलिस में शिकायत की. हम गरीब हैं, ज्यादा कुछ कर नहीं पाए. पर अब भी उम्मीद है कि मेरा बेटा लौट आए.'
नानक सिंह के पाकिस्तान जाने के बारे में परिवार को सालों तक कोई खबर नहीं थी. लेकिन 2002 में रामदास पुलिस परिवार को आकर बताती है कि नानक के खिलाफ पाकिस्तान की केस दर्ज हुआ है. वो पाकिस्तानी जेल में बंद है. पर जैसे सरबजीत पाकिस्तान जाकर वहां के लोगों के लिए 'एजेंट रंजीत सिंह' हो गया था, ठीक वैसे ही नानक का नाम वहां के लोगों के लिए काकर सिंह हो गया. नानक के भाई बलदेव ने कहा, 'हम लोग उसे नानक के नाम से अपने भाई को खोज रहे थे. पर उसका नाम कैदियों की लिस्ट में काकर सिंह के नाम से दर्ज है.' बीएसएफ वालों ने पाकिस्तानी अथॉरिटी को एक खत भेजकर नानक को रिहा करने की मांग की थी. लेकिन नानक की कोई खबर नहीं मिली. हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र को नानक को रिहा करवाने को लेकर खत लिखा था. हम सुषमा स्वराज से इस मामले में मिलने की कोशिश कर रहे हैं.'

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