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जब प्रणव मुखर्जी को 'रंग दे बसंती' दिखाई गई और उन्होंने कहा, 'मेरा काम फिल्म सेंसर करना नहीं है'

फिल्म का सब्जेक्ट सेंसिटिव होने की वजह से सेंसर बोर्ड ने उसे डिफेन्स मिनिस्ट्री के पास अप्रूव कराने भेजा था.

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'रंग दे बसंती'.

'ज़िंदगी जीने के दो ही तरीके होते हैं, या तो जो हो रहा है उसे होने दो.. या खुद ज़िम्मेदारी लो उसे बदलने की'

'रंग दे बसंती'. 2006 में रिलीज़ हुई थी. लेकिन सन 21 के 10वें महीने में बैठ कर भी पूरे दावे से कहा जा सकता है कि इंडिया की सर्वश्रेष्ठ यूथ ओरिएंटेड फ़िल्म में आज भी शीर्ष पर है. फिल्म रिपब्लिक डे पर रिलीज़ हुई थी. देशभक्ति वाली पिक्चर. इस फिल्म से पहले तक हमने जितनी भी देशभक्ति वाली फिल्में देखी थीं, वो सब जिंगोइज़म से 'सनी' रहती थीं. फिल्म का हीरो कभी देश का गुणगान करते हुए हैंडपंप उखाड़ कर देशभक्ति दिखाता था. तो कभी पाकिस्तानी को पीट कर.
इन फिल्मों से उलट 'रंग दे बसंती' के हीरो देश में बढ़ते करप्शन को लेकर गुस्से में थे. कुछ का मानना था इस देश का कुछ नहीं होगा. तो कुछ का कहना था,

"कोई भी देश परफेक्ट नहीं होता.. उसे परफेक्ट बनाना पड़ता है".

ये पहली बार था, जब बड़े पर्दे पर दिख रहे कॉलेज के लड़के-लड़कियां सीट पर बैठे लड़के-लड़कियों जैसे ही दिख-बोल रहे थे. फ़िल्म मज़बूत तब बनती है, जब कहानी में वास्तविकता नज़र आती है. 'रंग दे बसंती' में सब असल था. नेताओं के घोटाले, पुलिस की रिश्वत, धर्म भेद कराती पार्टियां, दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की मस्ती की पाठशाला और इंकलाब.
फ़िल्म के डायरेक्टर राकेश ओम प्रकाश मेहरा खुद एक एयरफोर्स स्कूल से पढ़े थे. इसलिए जब अखबारों और खबरों में मिग-21 विमानों के क्रैश की खबरें सुना-पढ़ा करते थे, तो क्रोध से भर जाते थे. एक तरफ़ इतने यंग पायलट्स मारे जा रहे थे, वहीं दूसरी ओर उस वक़्त के देश के डिफेंस मिनिस्टर बयान दे रहे थे कि ये लोग होश में नहीं, जोश में चलाते हैं.
ये बेतुका बयान सुन राकेश को काफ़ी गुस्सा आया. वही गुस्सा उन्होंने फ़िल्म में पिरो दिया. जो हमें फ़िल्म में दिखा भी.
राकेश जानते थे वो डिफेंस मिनिस्ट्री के पास नहीं जा सकते विमानों के इस्तेमाल की परमिशन के लिए. इसलिए उन्होंने टेक्नोलॉजी का सहारा लिया. फ़िल्म के लिए उन्होंने डिजिटल एयरबेस, डिजिटल एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया. फ़िल्म कंप्लीट हुई. सेंसर अप्रूवल भी मिल गया. लेकिन असली मेहनत तो अब स्टार्ट होनी थी. फ़िल्म में डिफेंस मिनिस्ट्री के भ्रष्टाचार को दिखाया गया था. मैटर डेलिकेट था. फ़िल्म को डिफेंस मिनिस्ट्री के अप्रूवल की ज़रूरत थी. डिफेंस मिनिस्ट्री को फ़िल्म दिखाई गई. मिनिस्ट्री ने डायरेक्टर ओम प्रकाश मेहरा से कहा कि वो फ़िल्म में किसी मिनिस्ट्री का नाम ना लें, मिग विमानों को मिग विमान ना बोलें वगैरह-वगैरह. ऐसे उन्होंने कई परिवर्तन मेहरा को बता दिए.
राकेश ने कुछ भी बदलने से साफ़ मना कर दिया. बोले,
'नो सर हम तो ऐसे ही बोलेंगे. आपको जो करना है कर लीजिए'.
सामने से जवाब आया,
'दिल्ली आओ'.
# चलो दिल्ली उस वक़्त प्रणब मुखर्जी डिफेंस मिनिस्टर थे. तो प्रणब मुखर्जी, तीनों सेनाओं के चीफ़ के लिए फ़िल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई. राकेश मेहरा ने प्रणब मुखर्जी से कहा कि ये उनके लिए प्राउड मोमेंट है. उन्हें ऐसी ऑडियंस दुबारा नहीं मिल सकती. फ़िल्म खत्म होने के बाद प्रणब मुखर्जी मेहरा के पास गए और हंसते हुए बोले,
"मैंने इससे पहले आखिरी फ़िल्म 'जलसाघर देखी थी. मेरा काम देश की रक्षा करना है. फ़िल्मों को सेंसर करना नहीं. ये अच्छी फ़िल्म है यंग मैन. क्या करना है, मैं तुम तीनों पर छोड़ता हूं."
इतना कहकर प्रणब मुखर्जी चले गए.
राकेश मेहरा और आमिर खान.
राकेश मेहरा और आमिर खान.

# एयरफोर्स चीफ़ ने क्या कहा? तीनों सेनाओं के चीफ़ भी फ़िल्म देख रहे थे. 'रंग दे बसंती' में बैकड्रॉप एयर प्लेन्स का था. आधी फ़िल्म देख आर्मी चीफ़ और नेवी चीफ़ ने एयर फ़ोर्स चीफ से कहा,
'ये तो प्लेन की बातें कर रहा है यार.. तू ही संभाल'.
एयरफोर्स चीफ़ ने मेहरा से कहा कि अगर वो मिग-21 का नाम ना लें, या बदल दें, तो सब ठीक है. इस पर राकेश ने कहा,
लेकिन सर हम बच्चों को खो रहे हैं.
एयरफोर्स चीफ़ ने कहा कि उन्हें मालूम है राकेश एयरफ़ोर्स बैकग्राउंड से आते हैं और इस टॉपिक को लेकर बहुत सेंसेटिव हैं. एयरफ़ोर्स चीफ़ ने मेहरा से कहा कि उन्होंने फिल्म में भी इस मुद्दे को खूबसूरती से दिखाया है. लेकिन उनका एक सवाल है ,
कल मैं उन बच्चों की माताओं को क्या जवाब दूंगा जो सुबह ये प्लेन उड़ाने आएंगे?
मेहरा ने कहा,
ये तो बहुत वाजिब परेशानी है सर. लेकिन हम मिग विमान क्यों नहीं बदलते?
इसके जवाब में एयरफोर्स चीफ़ बोले,
हम भी ऐसा करना चाहते हैं, लेकिन हम ऐसा ओवरनाइट करेंगे तो इसमें 16 मिलियन डॉलर का खर्चा आ जाएगा.
एयरफोर्स चीफ़ अपनी बात खत्म कर पाते उससे पहले उनकी पत्नी खड़ी हुईं और बोलीं,
क्या आप पागल हैं! लड़के ने कितनी तो अच्छी फिल्म बनाई है.
ये सुन राकेश ओम प्रकाश मेहरा फुल कॉन्फिडेंस में आ गए. एयर फ़ोर्स चीफ़ ने कहा एक काम करते हैं. फ़िल्म के आखिर में प्लकार्ड लगा दें कि कितने मिग विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे. चीफ़ ने मेहरा से पूछा कि वो आंकड़ा बताएं. मेहरा ने बताया कि 44 मिग विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं. मेहरा को ठीक करते हुए चीफ़ ऑफ एयरफोर्स ने सही आंकड़ा बताया. ये आंकड़ा मेहरा के आंकड़े से दस गुना था.
फिल्म का यादगार सीन.
फिल्म का यादगार सीन.

#सूरज को मैं निगल गया ख़ैर फ़िल्म को हरी झंडी मिल गई. राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था,
"सेंसर बोर्ड ने बहुत मैच्योर ढंग से इस फ़िल्म को टैकल किया था. सरकार ने भी बहुत जल्द एक्शन लिया था. डिफेंस अधिकारियों ने भी हमारी आर्थिक मजबूरी को समझा."
फ़िल्म रिलीज़ हुई. नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित हुई. राकेश ओमप्रकाश मेहरा को भी एयरफोर्स ने अपनी 75th एनीवर्सरी पर सम्मानित किया. राकेश बताते हैं कई पायलट्स की माताओं ने उन्हें फोन कर के शुक्रिया कहा.

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