कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसे कोई पक्के सबूत नहीं मिलते, जिससे ये साबित हो कि ये मशहूर ट्रेन पोलैंड के वालब्रज़िच शहर की किसी सुरंग में है.

सुरंग की खुदाई का काम 10 दिन तक चलेगा. image Reuters
जर्मन के एंद्रियास रिचर और पोलैंड के प्योटर कोपर का मानना है कि ट्रेन इसी जगह है. क्योंकि जब दूसरे वर्ल्ड वॉर में सोवियत आर्मी नाजियों की तरफ बढ़ रही थी, तो उन्होंने इस ट्रेन को पहाड़ियों की सुरंग में छिपा दिया. नाजियों ने जंग के लिए एक सुरंग खोदी थी. उसी सुरंग में ये ट्रेन है.
खजाने की खोज में लगी टीम के एक्सपर्ट का कहना है कि उन्हें एक रेलवे ट्रैक मिला है. जो सुरंग में जाता है. और जब ट्रैक है तो यक़ीनन ट्रेन भी होनी चाहिए. एक सरकारी अफसर का कहना है कि उन्हें 99 फीसदी यकीन है कि ट्रेन उसी इलाके में है. इस इलाके में कोयले की खानें हैं. जो कम्युनिज्म के पतन के बाद से बंद हैं.
ट्रेन सुरंग तक गई और गायब हो गई
सोने से लदी जर्मन तानाशाह हिटलर की यह ट्रेन ईस्ट जर्मनी में सोवियत रूस के हमले के दौरान 1945 में गायब हो गई थी. 150 मीटर लंबी थी ट्रेन. इसमें 300 टन सोना होने की बात सामने आ रही है. कहा जाता है कि ट्रेन एक सुरंग के पास तक पहुंची और गायब हो गई. इसके बाद पता नहीं चला कि ट्रेन कहां गई. ट्रेन में नाजियों का लूटा माल बर्लिन पहुंचाया जाता था. इस ट्रेन को ढूंढ़ निकालने वाले दोनों लोगों ने पोलैंड की एक लॉ फर्म से संपर्क साधा, दोनों ने दावा किया है उन्होंने ये ऐतिहासिक ट्रेन को ढूंढ़ निकाला है.वालब्रज़िच पर रिसर्च करने वाली इतिहासकार जोएना लेम्प्रास्का ने रेडियो व्रोक्ला से कहा, 'अफ़वाहें हैं कि ट्रेन एक सुरंग में लापता हो गई थी और उसमें सोना और ख़तरनाक सामान थे. रेडियो व्रोक्ला के मुताबिक इस इलाक़े में पहले चलाए गए तलाश अभियान बेनतीजा रहे थे.