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PM मोदी ने माफी मांगते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया

गुरु नानक जयंती के मौके पर PM मोदी का बड़ा ऐलान.

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Bhutan से पहले भी कई देश पीएम मोदी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दे चुके हैं.
केंद्र की मोदी सरकार किसानों के आंदोलन के आगे झुकी गई है. सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हैं. शुक्रवार, 19 नवंबर को सुबह PM मोदी ने माफी मांगते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया. पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा,
"कृषि में सुधार के लिए तीन कानून लाए गए थे. ताकि छोटे किसानों को और ताकत मिले. सालों से ये मांग देश के किसान और विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री मांग कर रहे थे. जब ये कानून लाए गए, तो संसद में चर्चा हुई. देश के किसानों, संगठनों ने इसका स्वागत किया, समर्थन किया. मैं सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं."
पीएम मोदी ने आगे कहा,
मैं देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से कहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में भी कोई कमी रह गई थी. हम अपनी बात कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए. आज गुरु नानक जी का प्रकाश पर्व है. आज मैं पूरे देश को ये बताने आया हूं, हमने 3 कृषि कानूनों को वापस करने का निर्णय किया है. हम तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया जल्द शुरू करेंगे.
पीएम मोदी ने किसानों से अपील करते हुए कहा है,
"आप सभी अपने-अपने घर लौटे, खेत में लौटें, परिवार के बीच लौटें, एक नई शुरुआत करते हैं."
'किसानों की परेशानियों को बहुत करीब से देखा' पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान ये भी कहा, "मैंने पिछले कई दशकों तक किसानों की परेशानियों को बहुत करीब से देखा, महसूस किया. जब से मुझे मौका मिला, हमारी सरकार उनकी बेहतरी के लिए काम करने में जुट गई. हम आगे भी उनके बारे में अच्छा सोचेंगे." पीएम मोदी ने इस दौरान जानकारी देते हुए यह बताया कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. पीएम मोदी ने अपनी सरकार के काम गिनाए पीएम नरेंद्र मोदी ने संबोधन के दौरान कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिले, इसके लिए उनकी सरकार ने कई कदम उठाए हैं. उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने पिछले कई दशकों में सबसे ज्यादा फसल खरीदी है. पीएम के मुताबिक,
"हमारी सरकार ने फसल खरीदने के मामले में दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. देश की 1000 से ज्यादा मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़कर हमने किसानों को कहीं पर भी अपनी उपज बेचने का एक प्लेटफार्म दे दिया है. कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण पर करोड़ों खर्च किए हैं. देश का कृषि बजट पहले के मुकाबले 5 गुना बढ़ गया है. हर वर्ष सवा लाख करोड़ कृषि पर खर्च किया जा रहा है."

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