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पेगागस जासूसी मामले में ममता सरकार की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक क्यों लगा दी?

ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर लगे जासूसी के आरोपों की जांच रिटायर्ड जजों को सौंपी थी

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Supreme Court पहले ही Pegasus मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन कर चुका है. (फोटो: इंडिया टुडे/पीटीआई)
पेगागस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार को झटका दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से बनाए गए आयोग की जांच पर रोक लगा दी है. इस आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के ही रिटायर्ड जज मदन बी लोकुर कर रहे हैं. उनके साथ आयोग में कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य भी शामिल हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. इस बेंच में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं. याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि कोर्ट इस बात से खुश नहीं है कि राज्य सरकार ने अलग से एक आयोग का गठन किया है, जबकि कोर्ट खुद इस मामले की जांच एक स्वतंत्र कमेटी को सौंप चुका है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय साइबर एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी का गठन करते हुए कोर्ट ने कहा था कि भारत के प्रत्येक नागरिक की निजता की सुरक्षा की जानी चाहिए. कोर्ट की तरफ से यह भी कहा गया था कि देश की सुरक्षा के नाम पर नागरिकों के निजता के अधिकार के उल्लंघन को कोर्ट चुपचाप नहीं देख सकता है. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार और उसकी तरफ से गठित किए गए आयोग को नोटिस भेजा था. तब पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि उसने आयोग को तब तक कोई भी कार्यवाही ना करने के लिए कहा है, जब तक इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई फैसला नहीं आ जाता. क्या है पेगासस मामला? इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के एक समूह ने खोजी पत्रकारिता के जरिए हजारों लोगों के फोन में इजराइली स्पाईवेयर- पेगासस - होने का दावा किया था. इस मीडिया समूह की रिपोर्ट्स के मुताबिक उसकी पड़ताल के दौरान भारत में ऐसे 300 फोन नंबर्स की पहचान हुई, जिनके फोन को पेगासस स्पाईवेयर के जरिए हैक किया गया और उनकी जासूसी की गई. इनमें मोदी सरकार के दो मंत्रियों के साथ-साथ 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं, एक जस्टिस, कुछ उद्योगपतियों और कुछ राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के नंबर शामिल हैं. इन रिपोर्ट्स के बाद पेगासस जासूसी का मुद्दा जोर-शोर से संसद में भी उठा. विपक्ष ने सरकार के ऊपर देश के नागरिकों की जासूसी करने का आरोप लगाया. विपक्ष ने इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार की सफाई मांगी. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गईं, जिन पर सुनवाई करते हुए बीते अक्टूबर में कोर्ट ने एक जांच कमेटी का गठन किया.