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इस नेता ने 'लाश पर राजनीति' वाले मुहावरे को सच कर दिया है

किसी जीवित नेता के 'कट-आउट' और किसी मृत नेता के ताबूत की नकल, इन दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क है.

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फोटो - thelallantop
चुनाव के दौरान नेता और पार्टियां अपने प्रचार के लिए किसी नायाब आइडिया की तलाश में रहते हैं. ऐसा कोई 'आउट ऑफ बॉक्स' तरीका ढूंढते हैं, जिससे उनकी बात वोटर तक पहुंच जाए. लेकिन किसी ने वो नहीं किया जो चेन्नई में AIADMK का ओ. पन्नीरसेलवम गुट कर रहा है. इनके प्रचार के लिए जयललिता के ताबूत का एक मॉडल इस्तेमाल किया जा रहा है! पन्नीरसेलवम के गुट का नाम एआईएडीएमके (पुराचिथलावी अम्मा) है. पार्टी का कहना है कि जयललिता का ताबूत दिखा कर वो उनकी 'रहस्यमयी मौत' पर से पर्दा उठाने की अपनी मांग बुलंद कर रही है.
जयललिता का पार्थिव शरीर
जयललिता का पार्थिव शरीर


 

ये सब आर. के. नगर के लिए हो रहा है

चेन्नई के आर. के. नगर इलाके में AIADMK (पुराचिथलावी अम्मा) के वरिष्ठ नेता ई. मधुुसुधनन प्रचार के लिए एक जीप भी घूम रही है जिसके बोनट पर जयललिता के ताबूत की नकल बंधी हुई है. ये प्रचार यहां की विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनावों के लिए हो रहा है. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता इसी सीट से विधायक थीं. 5 दिसंबर को उनके देहांत के बाद ये सीट खाली हुई थी. एआईएडीएमके के दोनों गुटों के कैंडिडेट्स के अलावा यहां से 60 और कैंडिडेट खड़े हैं. माने कुल 62. 1967 में इस सीट पर हुए पहले चुनावों के बाद से ये कैंडिडेट्स की सबसे बड़ी संख्या है. यहां 12 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे.
फोटोः ANI
फोटोः ANI


जयललिता के जाने के बाद से ही एआईएडीएमके में पावर स्ट्रगल चल रहा है. पहले लगा कि जयललिता की विरासत उनके भरोसेमंद रहे पन्नीरसेलवम को मिलेगी. लेकिन वो देखते रह गए और पार्टी के ज़्यादातर नेता शशिकला के साथ हो लिए. फिर शशिकला को एक मामले में सुप्रीम कोर्ट से सज़ा सुना दी गई लेकिन पन्नीरसेलवम वापसी नहीं ही कर पाए. बात बढ़ी और नतीजे में पार्टी दो हिस्सों में बंट गई. पन्नीरसेलवम का गुट एआईएडीएमके (पुराचिथलावी अम्मा) कहलाया और शशिकला वाला गुट एआईएडीएमके (अम्मा). चुनाव आयोग ने एआईएडीएमके का दो पत्तियों वाला पुराना सिंबल किसी को नहीं दिया. इसलिए इस बार एक धड़े का सिंबल लैंप पोस्ट है तो दूसरे का हैट.

पुराना सिंबल न होने से दोनों गुट जयललिता से अपना नाता दिखाने के लिए अतिरिक्त कोशिश कर रहे हैं. और यहीं पन्नीरसेलवम ने अति कर दी. 

 
पन्नीरसेलवम सार्वजनिक जीवन में जयललिता की बहुत इज़्जत करते थे (फोटोःIANS)

सहानुभूति के लिए बेशर्मी?

इस से पहले वोट बटोरने के लिए पार्टियों ने शराब पिलाई है, पैसे भी बंटवाए हैं. लेकिन किसी की लाश पर इतने सीधी तरह वोट मांगना पहली बार हुआ  है. पन्नीरसेलवम जयललिता की मौत से उपजी सहानुभूति को अपने लिए बटोरना चाहते हैं. ये नैतिक रूप से विवादास्पद लगता है लेकिन एक पॉलिटिकल स्ट्रैटेजी के तौर पर ये गलत नहीं कहा जा सकता. फिर भी एक नेता होने के नाते उनसे उम्मीद थी कि वे अपनी (और अपने वोटर की) गरिमा का ध्यान रखते. सहानुभूति के लिए बेशर्मी पर उतरना सरासर गलत ही कहा जाएगा. जयललिता की हस्ती तमिलनाडु में 'अम्मा' की है और लोग उन्हें लेकर भावुक हैं. उनका एक प्रॉप की तरह इस्तेमाल करना लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है सबसे भद्दे तरीके का.
ये समझा जाए कि किसी जीवित नेता के 'कट-आउट' और किसी मृत नेता के ताबूत की नकल, इन दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क है. और एक सभ्य समाज में ये बने रहना चाहिए.
चलते-चलते ये बता दें कि अगर पन्नीरसेलवम सचमुच लाश पर राजनीति करने पर उतारू हैं तो शशिकला गुट भी कम नहीं है. शशिकला गुट ने आर. के. नगर से टीटीवी दिनकरन को कैंडिडेट बनाया है. दिनकरन को जयललिता के रहते पार्टी से निकाला गया था. जयललिता के देहांत के बाद शशिकला ने उन्हें पार्टी में शामिल किया था. इनके प्रचार के लिए जयललिता का एक पुराना वीडियो इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका ऑडियो इस तरह एडिट किया गया है जिससे लगे कि जयललिता दिनकरन के लिए वोट मांग रही हैं. पब्लिक इनमें से किसे सज़ा देती है, वोटों की गिनती पर पता चलेगा.


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