ऐसा लग रहा है जैसे 1947 में पैदा हुआ और 1971 में दो टुकड़ों में बंटा पाकिस्तान अब एक बार फिर इतिहास के उसी मोड़ पर खड़ा है, जहां नक्शे बदलते हैं और सीमाएं खिसकती हैं. लेकिन साफ कर लें, ये कोई भारत का प्लान नहीं है. ये स्क्रिप्ट तो खुद पाकिस्तान की ताकतवर हुकूमत ने लिखी है. और इस पूरी कहानी के केंद्र में हैं वहां के चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज, फील्ड मार्शल आसीम मुनीर.
पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े होने वाले हैं! खुद आसिम मुनीर ने ऐसा प्लान बनाया है
1947 में बने और 1971 में बंट चुके Pakistan में एक बार फिर बंटवारे की चर्चा तेज है. इस बार बात जंग की नहीं, बल्कि छोटे प्रांत बनाने की है. फील्ड मार्शल Asim Munir की अगुआई में प्रशासनिक पुनर्गठन की योजना सामने आई है. कम्युनिकेशन मिनिस्टर Abdul Aleem Khan के बयान के बाद यह मुद्दा सुर्खियों में है. सरकार का दावा है कि इससे गवर्नेंस बेहतर होगी, जबकि Balochistan और Khyber Pakhtunkhwa में विरोध जारी है.


जब भी “पाकिस्तान” और “बंटवारा” एक ही लाइन में आते हैं, 1971 आंखों के सामने खड़ा हो जाता है. वो साल, जब पाकिस्तान के एक हिस्से ने आजादी मांगी और दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम का नया मुल्क पैदा हुआ. मगर आज जो बंटवारे की बातें हो रही हैं, उनका मतलब हथियारों से नहीं, बल्कि फाइलों, फोल्डरों और कानूनों से है. इस बार प्लान ये है कि पाकिस्तान अपने ही प्रांतों को तोड़कर छोटे-छोटे नए प्रांत बनाए.
इस चर्चा को हवा दी है पाकिस्तान के कम्युनिकेशन मिनिस्टर अब्दुल अलीम खान ने. जियो टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने साफ कहा कि देश में छोटे प्रांत बनाए जाएंगे. उनका तर्क है कि छोटे प्रांत बनाने से गवर्नेंस बेहतर होगी और जनता तक सरकारी सुविधाएं आसानी से पहुंचेंगी.
पाकिस्तान के बंटवारे की कहानी नई नहीं है. 1947 में जब देश बना था, तब उसके पास पांच बड़े प्रांत थे. पूर्वी बंगाल, पश्चिमी पंजाब, सिंध, नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस और बलूचिस्तान. 1971 की जंग के बाद पूर्वी बंगाल अलग हो गया और बांग्लादेश बन गया. पश्चिमी पंजाब आज का पंजाब बना. नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस का नाम बदलकर खैबर पख्तूनख्वा कर दिया गया. सिंध और बलूचिस्तान वैसे ही रहे.
अब जो नया प्लान सामने आ रहा है, वो ऐसे वक्त में आया है जब पाकिस्तान की सरकार को बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है. यहां न सिर्फ ज्यादा अधिकारों की मांग हो रही है, बल्कि अलगाव की आवाजें भी तेज होती जा रही हैं. पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट बताती है कि अब्दुल अलीम खान का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब देश भर में प्रांतों की संख्या बढ़ाने को लेकर सेमिनार, टीवी डिबेट और राजनीतिक बहसें तेज हो चुकी हैं.
एक कन्वेंशन को संबोधित करते हुए इस्तेहकाम ए पाकिस्तान पार्टी के नेता अब्दुल अलीम खान ने कहा कि छोटे प्रांत बनाने से एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल मजबूत होगा और लोगों तक सरकारी सेवाएं जल्दी पहुंचेंगी. उनका कहना है कि सिंध, पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे बड़े प्रांतों को तोड़कर तीन तीन नए प्रांत बनाए जा सकते हैं. उनका तर्क है कि आसपास के कई देशों में पहले से छोटे प्रांतों वाला मॉडल काम कर रहा है.
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राजनीति का पेंच भी कम दिलचस्प नहीं है. अब्दुल अलीम खान की पार्टी, इस्तेहकाम ए पाकिस्तान पार्टी, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार का हिस्सा है. वहीं बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी पारंपरिक तौर पर सिंध के बंटवारे के खिलाफ रही है. दूसरी तरफ MQM-P ने ऐलान किया है कि वो 28वें संशोधन के जरिए नए प्रांत बनाने के लिए हर कानूनी और लोकतांत्रिक रास्ता अपनाएगी.
कुल मिलाकर, कहानी ये है कि पाकिस्तान में एक बार फिर नक्शे बदलने की गंध आने लगी है. फर्क बस इतना है कि इस बार गोलियां नहीं चल रहीं, बल्कि योजनाओं और प्रस्तावों से देश को नए सांचे में ढालने की तैयारी चल रही है.
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