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'प्याज महंगा लग रहा तो ना खाएं', पूर्व कृषि मंत्री के बयान पर बवाल, लेकिन पूरी बात भी जान लें

कई किसानों ने प्याज को लेकर केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. इसी बीच पूर्व कृषि मंत्री दादाजी भुसे का ये बयान आया.

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प्याज के बढते दाम पर दादा भुसे का बयान चर्चा में है (फोटो सोर्स- Getty और X Dadaji Bhuse)

टमाटर के बाद प्याज के दाम (Onion Price) बढ़ना शुरू हुए तो केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर भारी-भरकम एक्सपोर्ट ड्यूटी (Onion Export Duty ) लगा दी. इस पर महाराष्ट्र के किसान और व्यापारी नाराज हैं. थोक मंडियों में प्याज की बिक्री बंद कर दी गई है. इन मंडियों में देश का सबसे बड़ा लासलगांव का थोक प्याज बाजार भी शामिल है. इस बीच, महाराष्ट्र के पूर्व कृषि मंत्री दादा भुसे का बयान चर्चा में है. उनका कहना है कि प्याज महंगा लग रहा है तो कुछ महीने न खाओ. उनके बयान को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में बहस चल रही है. हालांकि बयान के पीछे का तर्क किसानों के हित वाला भी बताया जा रहा है.

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सरकार ने एक्सपोर्ट ड्यूटी क्यों बढ़ाई? 

टमाटर के बाद प्याज के दाम भी बढ़ने लगे हैं. काफी दिनों से इस बढ़ोत्तरी की आशंका जताई जा रही थी. 19 अगस्त, शनिवार को राजधानी दिल्ली में प्याज का दाम 37 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया. सरकार ने इस साल के आखिर तक के लिए 40 परसेंट की भारी-भरकम एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी है. यानी प्याज को विदेश में बेचने पर विक्रेता को 40 फीसदी शुल्क सरकार को देना होगा. सरकार के मुताबिक, इससे प्याज की घरेलू कीमतों पर लगाम लगेगी और प्याज की उपलब्धता बढ़ेगी. आजतक की एक खबर के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि खासकर आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगाने का फैसला किया है. जबकि एक तथ्य ये भी है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन करता है. . साल 2021 में भारत ने 26.6 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन किया था. 24.2 लाख मीट्रिक टन के साथ चीन दूसरे नंबर पर रहा था.

टमाटर के बढ़े दामों पर हमारी ग्राउंड रिपोर्ट यहां देख सकते हैं.

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किसानों का विरोध

महाराष्ट्र के कई किसानों ने प्याज को लेकर केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. कई मंडियों में प्याज उगाने वाले किसानों ने थोक बाजार में प्याज की चल रही नीलामी रोक दी. व्यापारियों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से प्याज उत्पादकों पर सीधा असर पड़ेगा. वाशी स्थित कृषि उपज बाजार समिति में प्याज-आलू बाजार के अध्यक्ष संजय पिंगले ने न्यूज़ एजेंसी PTI से बात करते हुए एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने के पीछे की समस्या समझाई.

वो कहते हैं,

"हम पर किसानों का दबाव है. वो हमसे बाजार बंद करने के लिए कह रहे हैं. कई संगठनों ने हमसे प्याज न बेचने के लिए कहा है. प्याज की नीलामी बंद है. स्थानीय बाजार भी बंद हो जाएंगे. समितियों ने भी किसानों का समर्थन करने का फैसला किया है. अगर हम सरकार को 40 फीसद ड्यूटी देते हैं तो जो प्याज हम 25 रुपये किलोग्राम के हिसाब से एक्सपोर्ट कर रहे थे उसका रेट घटकर 15 रुपये हो जाएगा. और ऐसे में हम 10 रुपये में प्याज खरीदने (किसान से) के लिए मजबूर होंगे, इससे किसान की लागत भी नहीं कवर होगी."

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पिंगले का कहना है कि किसी एजेंसी ने सरकार को इस मुद्दे पर गलत रिपोर्ट भेज दी है. और प्याज के प्रोडक्शन पर खाद, मजदूरी, लागत जैसी चीजों में हुई बढ़ोत्तरी पर ध्यान नहीं दिया है.

दादा भुसे क्या बोले?

किसानों के विरोध के बीच नासिक जिले के संरक्षक मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व कृषि मंत्री दादा भुसे ने कहा है कि जनता को भी किसानों के हित की सोच रखनी चाहिए. दादा भुसे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा,

"किसानों में डर है कि प्याज के दाम गिर जाएंगे. प्याज के रेट पहले भी बढ़े थे. राज्य सरकार ने किसानों को अनुदान देने का काम भी किया है. सरकार आगे भी इस बात का ध्यान रखेगी कि प्याज के किसानों के हितों की रक्षा हो. ये सरकार का काम है. लेकिन जनता का भी कर्तव्य है कि वो अपने स्तर पर किसानों का हित ध्यान में रखे."

दादा भुसे आगे कहते हैं,

"प्याज ज्यादा दिन तक स्टोर करके नहीं रख सकते. स्टोर करके रखने में खर्च ज्यादा आता है. अगर कल 20-25 रुपये किलोग्राम प्याज बिकता है और आपको महंगा लग रहा है तो 2-4 महीने प्याज ना खाएं. क्या बिगड़ जाएगा?"

भुसे ने ये भी कहा कि अगर इस तरह से किसान के परिवार को दो पैसे ज्यादा मिल रहे हैं तो जनता को इस तरह की सोच रखनी चाहिए.

वीडियो: कर्ज़ में डूबे महाराष्ट्र के किसान ने दो लाख का प्याज़ मुफ्त में क्यों बांट दिया?

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