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'अफजल गुरु की फांसी को हम कभी मंजूरी नहीं देते... ' उमर अब्दुल्ला ने अचानक ऐसा क्यों कहा?

Omar Abdullah ने कहा कि Afzal Guru को फांसी देने में Jammu-Kashmir सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. और क्या-क्या कहा उमर अब्दुल्ला ने?

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उमर अब्दुल्ला अफजल की फांसी पर खुलकर बोले हैं | फाइल फोटो: आजतक

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अफजल गुरु की फांसी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने से कोई मकसद पूरा नहीं हुआ. यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार अफजल गुरु की फांसी को कभी मंजूरी नहीं देती और उसकी फांसी में जम्मू-कश्मीर सरकार की कोई भागीदारी नहीं थी.

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का कहना था,

‘ये बात दुर्भाग्यपूर्ण थी कि जम्मू-कश्मीर सरकार का अफजल गुरु की फांसी से कोई लेना-देना नहीं था. अगर आपको ये काम राज्य सरकार की अनुमति से करना पड़ता तो मैं आपको स्पष्ट रूप से बता सकता हूं कि इसकी अनुमति नहीं मिलती. हमने यह नहीं किया होता. मैं नहीं मानता कि उसे फांसी देने से कोई मकसद पूरा हुआ.’

afjal guru
अफजल गुरु

इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने ये भी कहा कि वो मौत की सजा के खिलाफ हैं और वो इस बात पर विश्वास नहीं करते की अदालतें अचूक हैं. उनके मुताबिक हो सकता है कि भारत में ऐसा न हो, लेकिन अन्य देशों में जहां लोगों को फांसी दी गई, बाद में सबूतों में पाया गया कि फैसला गलत निकला.

बता दें कि अफजल गुरु 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था. उसे 9 फरवरी, 2013 को फांसी पर लटकाया गया था. जब अफजल गुरु को फांसी दी गई थी, उस समय उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. अफजल को फांसी पर लटकाए जाने के बाद कश्मीर में उनकी सरकार को काफी नाराजगी का सामना करना पड़ा था. 

Jammu-Kashmir का ये चुनाव क्यों ऐतिहासिक है?

जम्मू-कश्मीर का इस बार का विधानसभा चुनाव एक लिहाज़ से ऐतिहासिक है. अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद पहले विधानसभा चुनाव. तीन चरणों में वोट पड़ेगा. 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर. पहले फेज में 24 सीटों पर, दूसरे फेज में 26 सीटों पर और तीसरे फेज में 40 सीटों पर मतदान होगा. गिनती और नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे.

बीते लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की 5 लोकसभा सीटों में से दो-दो NDA और INDIA के पाले में आई थीं. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती थी.

Jammu-Kashmir में एक दशक बाद चुनाव

इससे पहले आखिरी बार 2014 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव हुए थे. तब BJP और PDP ने गठबंधन करके सरकार बनाई थी. 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी. इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन लगा रहा. इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.

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इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख - में बांट दिया. इस तरह से देखें तो जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनावों का बिगुल बजा है.

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