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'गोली मारो ** को' वाले भड़काऊ बयान पर Delhi HC ने कहा, मुस्कुराते हुए ऐसा कहना अपराध नहीं

कोर्ट ने कहा, 'ऐसे बयान देकर चुनाव में माहौल बनाया जाता है.'

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बाएं से दाएं. अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा (फोटो: इंडिया टुडे)
दो साल पहले दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए थे, इस दौरान बीजेपी के नेताओं अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा पर भड़काऊ नारे लगाने के आरोप लगे थे. 'देश के गद्दारों को गोली मारो ** को'  जैसे नारे लगे थे. विपक्ष ने सवाल उठाए, मामला कोर्ट तक पहुंचा. कोर्ट ने इस मामले में दोनों नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ CPI(M) की वरिष्ठ नेता बृंदा करात (Brinda Karat) ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का रुख किया. इसी मामले पर 25 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवायी करते हुए एक टिप्पणी की है. कोर्ट की ये टिप्पणी चर्चा का विषय बन गई है. कोर्ट ने क्या कहा? इस मामले की सुनवाई कर रहीं दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस चंद्रधारी सिंह की सिंगल बेंच ने कहा कि राजनीतिक भाषण के मामलों में FIR करने से पहले खुद जांच परख कर लेनी चाहिए. जज ने कहा,
"चुनाव के दौरान दिए गए भाषण अलग होते हैं. अगर यही भाषण किसी और वक्त दिया होता तो ये भड़काने के लिए होता."
जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने आगे कहा,
"चुनावी भाषण में नेता एक दूसरे को तमाम तरह की बातें बोलते हैं, जो कि काफी गलत है. लेकिन अगर कुछ बातें सिर्फ माहौल बनाने के लिए कही जा रही हैं, तो अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग बातें बोलती हैं. मुझे ये देखना होगा कि ये बातें आपराधिक मंशा से कही गई हैं या नहीं." 
इस केस में बृंदा करात का पक्ष रख रहीं एडवोकेट अदित पुजारी और तारा नरूला ने अपनी दलीलों में कहा कि इन भाषणों ने दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा को भड़काया. इसके साथ ही पुजारी और नरूला ने तर्क देते हुए कहा कि भाजपा नेता द्वारा इस्तेमाल किया "ये लोग" शब्द प्रदर्शनकारियों और एक विशेष समुदाय को निशाना बना रहा था. इसपर जज ने पूछा,
"इस भाषण में समुदाय विशेष को कहां निशाना बनाया गया है. इस प्रदर्शन में तो सभी समुदायों के लोग शामिल थे."
फिलहाल इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. दूसरी तरफ, चुनावी रैली में दिए गए भाषणों पर उस वक्त चुनाव आयोग ने भी एक्शन लिया था और अनुराग ठाकुर को 29 जनवरी 2020 को कारण बताओ नोटिस भी भेज दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से भले ही कहा गया है कि इस तरह के भाषण चुनाव में माहौल बनाने के लिए दिए गए, लेकिन ऐसे नारे दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले भी लग रहे थे. इस तरह के भड़काऊ नारों के वीडियो आज भी मौजूद हैं.

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