न्यूज़क्लिक (NewsClick) के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और कंपनी के HR हेड अमित चक्रवर्ती को (Unlawful Activities Preventions Act) UAPA चार्जेज़ में गिरफ़्तार कर सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. हालांकि, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने 15 दिन की कस्टडी मांगी थी, ये आरोप लगाते हुए कि भारत की संप्रभुता के ख़िलाफ़ 'साज़िश' के सबूत हैं.
Newsclick के चीनी और नक्सल 'कनेक्शन' पर पुलिस ने कोर्ट को क्या-क्या बताया?
'4.27 लाख ई-मेल, 115 करोड़ की विदेशी फंडिंग और भारत के ख़िलाफ़ साज़िश' - न्यूज़क्लिक केस में पुलिस के दावे.

पुलिस का दावा: उनके पास 'गुप्त जानकारी' है कि संगठन को भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के ख़िलाफ़ काम करने के लिए विदेश से करोड़ों रुपये मिले हैं. संगठन भारत के विरुद्ध असंतोष फैलाने और देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को ख़तरे में डालने के लिए काम कर रहा है. पुलिस ने कहा है कि पुरकायस्थ की एक शख्स से लंबी दोस्ती रही है. राजनीतिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के साथ 32 साल पुरानी दोस्ती. गौतम अभी भीमा-कोरेगांव मामले में नज़रबंद हैं और न्यूज़क्लिक पर लगातार लिखते भी रहे हैं. इस आधार पर पुलिस ने पुरकायस्थ के माओवादी लिंक होने की बात कही है.
कहां से फंड लेने के आरोप?स्पेशल सेल ACP ललित मोहन नेगी ने पटियाला हाउस कोर्ट में जस्टिस हरदीप कौर की अदालत में रिमांड अर्ज़ी दाखिल की थी. बीते रोज़ - 4 अक्टूबर को - पटियाला हाउस कोर्ट में न्यूज़क्लिक के वकील अर्शदीप सिंह को पुलिस रिमांड की एक प्रति दी गई. क्योंकि उनके पास अब तक FIR नहीं है, सो उन्होंने FIR के लिए अपील की थी. लेकिन उनकी याचिका पर सुनवाई को स्थगित कर दिया गया क्योंकि पुलिस की तरफ़ से कोई वकील अदालत में मौजूद नहीं था.
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इंडियन एक्सप्रेस के महेंद्र सिंह मनराल, जिग्नासा सिन्हा और निर्भय ठाकुर की रिपोर्ट के मुताबिक़, स्पेशल सेल ने आरोप लगाया है कि न्यूज़ पोर्टल को 2018 से तीन अलग-अलग संस्थाओं से पैसे मिल रहे थे. दो अमेरिकी बिज़नेसमैन नेविल रॉय सिंघम से जुड़ी हैं और तीसरी उनकी पत्नी के NGO से जुड़ी है.
नेविल रॉय सिंघम - एक अमेरिकी कारोबारी - अब चीन में रहते हैं. थॉटवर्क्स नाम की कंपनी के संस्थापक हैं. अध्यक्ष भी रहे हैं. ये एक IT कंसल्टेंसी कंपनी है, जो कस्टम सॉफ़्टवेयर, सॉफ़्टवेयर टूल और कंसल्टेंसी सर्विसेज़ देती है. ये तो उनका बिज़नेस CV है. इसके अलावा नेविल एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. कहा जाता है कि चीनी सरकारी मीडिया तंत्र के साथ उनके क़रीबी संबंध हैं. कथित तौर पर उनके पास चीन का प्रॉपगैंडा फैलाने वाला एक नेटवर्क है, जो दुनिया भर में फैला हुआ है.
इसी साल के अगस्त में द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में छापा था कि न्यूज़क्लिक को 'चीन के प्रचार के लिए' नेविल के नेटवर्क से फंड मिलते हैं.
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पुलिस के रिमांड आवेदन के मुताबिक़, ED ने 14 अगस्त को दर्ज एक मामले की जांच के दौरान न्यूज़क्लिक के कई फ़ोन और लैपटॉप से डेटा निकाला था. पुरकायस्थ और चक्रवर्ती के 4.27 लाख ई-मेल निकाले गए. पुलिस के मुताबिक़:
"ई-मेल्स के विश्लेषण से पता चलता है कि नेविल रॉय सिंघम, प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती एक-दूसरे के साथ सीधे संपर्क में हैं. वो इस बात पर चर्चा करते पाए गए हैं कि कश्मीर के बिना भारत का नक्शा कैसे बनाया जाए और अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र के रूप में कैसे दिखाया जाए. इस मक़सद के लिए आरोपियों ने विदेशी फंड की आड़ में 115 करोड़ रुपये से ज़्यादा लिए हैं."
पुलिस का ये भी आरोप है कि आरोपियों ने सरकार के कोविड प्रबंधन को बदनाम करने की कोशिश की है.
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इस केस में अगस्त में जो FIR दर्ज की गई, उसमें गौतम नवलखा का भी नाम आया है. पुलिस का कहना है कि प्रबीर पुरकायस्थ और गौतम 1991 से दोस्त हैं और 2018 से ही गौतम न्यूज़क्लिक में भी शेयरधारक भी रहे. रिमांड आवेदन में कहा गया है कि वो (गौतम नवलखा) भारत-विरोधी और ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. सक्रिय रूप से प्रतिबंधित नक्सली संगठनों का समर्थन करते रहे हैं.
इस बीच, न्यूज़क्लिक ने 4 अक्टूबर को एक बयान जारी किया है. उसकी तरफ से इस कार्रवाई को निडर आवाज़ों को दबाने की कोशिश क़रार दिया गया है. कहा कि संगठन को 2021 से कई एजेंसियों ने 'निशाना बनाया'. प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और आयकर विभाग ने तलाशी ली और कोई भी एजेंसी बीते दो सालों में संगठन के ख़िलाफ़ कोई भी अपराध स्थापित नहीं कर पाई है.
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