25 दिसंबर को माओवादी नेता पुष्पकमल दहाल प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal Prachanda) को नेपाल का नया प्रधानमंत्री (Nepal PM) नियुक्त किया गया है. राजशाही और बहुदलीय पार्टी व्यवस्था के ख़िलाफ़ सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया. तब की नेपाल सरकार ने उन्हें बाक़ायदा आतंकवादी घोषित कर दिया. 13 साल अंडरग्राउंड रहना पड़ा और अब बन रहे हैं प्रधानमंत्री. क्या है पुष्पकमल दहाल प्रचंड की कहानी?
हथियार चलाने वाला माओवादी बना पड़ोसी देश नेपाल का PM, 13 साल अंडरग्राउंड रहे!
क्या है नेपाल के पीएम की कहानी?

नवंबर 2022 में नेपाल में आम चुनाव हुए थे, लेकिन कोई पार्टी स्पष्ट जीत नहीं दर्ज करा पाई थे. कुल 275 सीटों में नेपाली कांग्रेस पार्टी ने 89 सीटें जीतीं. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल-यूनिफ़ाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट (CPN-UML) को 78 सीटें और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल माओवादी (CPN-MC) को 32 सीटें मिलीं. नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी तो बन गई, लेकिन बहुमत के लिए 137 का आंकड़ा चाहिए था. तभी से नेपाल में राजनीतिक असमंजस बना हुआ था.
चुनाव से पहले कांग्रेस और CPN-MC ने गठबंधन किया था. दोनों पार्टीज़ मिलकर बहुमत पार कर सकती थीं, लेकिन प्रधानमंत्री के पद पर दोनों में बनी नहीं. प्रचंड चाहते थे कि वो प्रधानमंत्री बनें, मगर नेपाली कांग्रेस के नेता और मौजूदा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा नहीं माने. इसके बाद पुष्पकमल ने नेपाली कांग्रेस पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया और अपने विपक्षी CPN-UML के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली से हाथ मिला लिया. बाक़ी कुछ छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने साथ मिलाकर पुष्पकमल प्रचंड ने 170 सांसदों का समर्थन जुटा लिया और राष्ट्रपति के सामने अपनी दावेदारी पेश कर दी.
फिर 25 दिसंबर की देर शाम राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी किया कि प्रचंड को संविधान के अनुच्छेद 76-(2) के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है.
कौन हैं पुष्पकमल दहाल प्रचंड?26 दिसंबर की शाम को पुष्पकमल दहाल प्रचंड तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे.
11 दिसंबर, 1954 को पोखरा के पास कास्की ज़िले के धिकुरपोखरी में जन्म हुआ. 1996 से ही प्रचंड राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने 1996 से 2006 तक नेपाल में चलने वाले सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था और क़रीब 13 साल तक अंडरग्राउंड रहे. मुख्यधारा की राजनीति में तब शामिल हुए, जब नेपाल में उग्रवाद ख़त्म हुआ, नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर साइन किया गया और CPN-MC ने शांतिपूर्ण राजनीति अपनाई.
इस वक़्त प्रचंड के पास 169 सांसदों का समर्थन है. CPN-UML की 78 सीटें और CPN-MC के 32 सीटों के अलावा राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी की 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की 14, जेएसपी के 12, जनमत पार्टी के 6, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के 4 और 3 निर्दलीय विधायक शामिल हैं.
ओली और प्रचंड में तय तो यही हुआ है कि पहले प्रचंड प्रधानमंत्री बनेंगे, फिर ओली. लेकिन ओली एक बार अपने ऐसे ही वादे से मुकर चुके हैं. जुलाई 2021 में जब ओली रोटेशनल सरकार के वादे पर मुकरे थे, तब प्रचंड ने ओली से समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद ओली को पद छोड़ना पड़ा था.
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