मुंबई के एक नामी-गिरामी इंटरनैशनल करिकुलम (IB) वाले स्कूल ने अपने आठ छात्रों को सस्पेंड कर दिया
मुंबई के एक नामी-गिरामी इंटरनैशनल करिकुलम (IB) वाले स्कूल ने अपने आठ छात्रों को सस्पेंड कर दिया. वजह- वॉट्सऐप ग्रुप में उनके बीच होने वाली बातचीत. जिसमें वो अपने क्लास की लड़कियों के साथ रेप करने की बातें करते थे. समलैंगिकों को गालियां देते थे. इन बच्चों की कल्पनाओं, इनकी बातचीत में 'गैंगरेप करना' शामिल था. और सबसे डरावनी बात, ये सभी 13-14 साल के हैं. 8वीं में पढ़ते हैं.
'मुंबई मिरर' ने ये रिपोर्ट की है. इसके मुताबिक, ये मामला यूं खुला कि दो लड़कियों की मांओं के सामने इस चैट ग्रुप की बात खुली. उन्होंने चैटिंग पढ़ी और स्कूल में इस बात की शिकायत की. इस चैट का ट्रांसक्रिप्ट निकलवाया गया. सौ से ऊपर पन्नों में गई है बातचीत. इसमें आठों स्टूडेंट्स ने क्लास के अपने साथी बच्चों के बारे में बेहद हिंसक बातें की हैं. उनकी बॉडी शेमिंग की है. किसी को लेस्बियन, तो किसी को 'गे' कहा है. इसमें गैंगरेप का भी ज़िक्र है. ख़बर के मुताबिक, शिकायत करने वाली दोनों महिलाएं सिलेब्रिटी हैं. 'मुंबई मिरर' के मुताबिक, उसके पास ये पूरा ट्रांसक्रिप्ट है. इसमें 8 नवंबर से 30 नवंबर के बीच ग्रुप पर हुई चैट का ब्योरा है. 'मिरर' ने क्लास में पढ़ने वाले कुछ स्टूडेंट्स के अभिभावकों से भी बात की. उन्होंने इस घटना की पुष्टि की. स्कूल से भी इस बारे में सवाल किया गया. मगर उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
इस रिपोर्ट में 23 नंवबर को इस चैट ग्रुप पर लड़कों के बीच हुई एक बातचीत का ज़िक्र किया है. इसमें लड़के एक-दूसरे से पूछ रहे हैं कि एक रात गुज़ारने के लिए वो अपने क्लास की किस लड़की को तरजीह देंगे. आगे की बातचीत क्लास की दो लड़कियों पर सिमट जाती है. एक और चैट में ये लड़के एक क्लासमेट के बारे में बात करते हैं. इनमें से एक कहता है-
देन वन नाइट वी जस्ट गो ऐंड बैंग हर.
अंग्रेज़ी में कही इस बात का हिंदी में मतलब कुछ यूं है कि एक रात जाकर उस लड़की के साथ सेक्स करेंगे. 'बैंग' बेहद हिंसक टर्म है, जो स्लैंग के मायने में सेक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जिस लड़के ने ये लिखा, वही बातचीत में आगे
'गैंग बैंग' टर्म इस्तेमाल करता है. वो ये टर्म उस लड़की के लिए इस्तेमाल कर रहा है, जिसका गैंगरेप किए जाने की बात की है उसने दोस्तों से. उसके ये कहने पर चैटिंग में शामिल बाकी लड़के उसे वाहवाही देते हैं. इन बच्चों की आम बातचीत में बेहद हिंसक शब्द बार-बार इस्तेमाल होते हैं. ये लड़के कई बार लड़कियों को 'ट्रैश' (बेकार, कूड़ा, फालतू) कहकर बुलाते हैं. उनके चैट की ये लाइन पढ़िए-
आई विल डिस्ट्रॉई दैट लिटिल बिच.
एक और लाइन यूं है-
शुड आई गो फुल ऑन ऐंड किल हर एक्ज़िस्टेंस.
इस ट्रांसक्रिप्शन रेकॉर्ड में बलात्कार शब्द चार बार इस्तेमाल हुआ है. कुछ उदाहरण हैं-
- उसका बाप उसके साथ बलात्कार करता है.
- मैंने उसका बलात्कार नहीं किया.
इन दोस्तों ने समलैंगिकों का भी बहुत माखौल उड़ाया है. बेहद अपमानजनक तरीके से. अपनी क्लास के बच्चों के लिए 'लेस्बियन' और 'गे' का इस्तेमाल किया है. इस संबोधन में नीचा दिखाने का भाव है. इतनी सी उम्र में ये बच्चे 'होमोफोबिक' हैं.
आप ख़बर के आख़िर में पहुंच चुके हैं. ख़बरें अक्सर एक स्ट्रक्चर में लिखी जाती हैं. मगर हम कैसे अंत करें, कैसे प्रतिक्रिया करें, ये समझ से परे हैं. 13-14 साल के बच्चे इतने हिंसक कैसे हो सकते हैं, ये समझ आ सकने वाली बात भी नहीं है. टीवी, सोशल मीडिया, इंटरनेट, ये तमाम चीजें हैं जिनका असर है अब के बच्चों पर. इंटरनेट को 'चाइल्ड सेफ' बना पाना बहुत मुश्किल है. आप कितनी नज़र रखेंगे? कैसे हिसाब रखेंगे कि बच्चा अपने मोबाइल स्क्रीन पर क्या देख रहा है? आप देखना भी चाहें, तो हिस्ट्री मिटाने का विकल्प होता है. इनकॉगनिटो मोड है. बच्चे ये विकल्प जानते हैं. मां-बाप से कहीं ज़्यादा समझ होती है उन्हें टेक्नॉलजी की. ये बहुत भीषण स्थिति है. कि जहां आप बच्चे की पढ़ाई-लिखाई का सोचकर उसे टेक्नॉलजी से पूरी तरह दूर भी नहीं कर सकते. न ही बेहद सख़्त हो जाना, अनुशासन के नाम पर बच्चों पर हद से ज़्यादा पहरे और अंकुश लगाना सही है. और न ही आप पूरी तरह से इंटरनेट के उसके इस्तेमाल पर फिल्टर लगा सकते हैं. बहुत असहाय स्थिति है ये.
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