नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने किसानों के लिए एक राहत भरी घोषणा की है. सरकार ने 18 अक्टूबर को ऐलान किया कि गेहूं, मसूर, चना और जौ समेत छह रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP बढ़ाया जाएगा. मौजूदा फसल विपणन वर्ष के लिए गेहूं के MSP को 110 रुपये बढ़ाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल करने का फ़ैसला किया है. सरसों का MSP 400 रुपये बढ़ाकर 5,450 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.
सरकार ने रबी फसलों की MSP बढ़ाई, मसूर के 500 और सरसों के 400 रुपये बढ़े
गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 110 रुपये की बढ़ोतरी की गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया,
"राष्ट्र के विकास में हमारे किसान भाई-बहन अहम भागीदार हैं. उन्हें और सशक्त बनाने के लिए सरकार ने आज गेहूं, मसूर, चना और जौ सहित सभी अनिवार्य रबी फसलों की MSP में वृद्धि को मंजूरी दी है. ये निर्णय कृषि क्षेत्र को और अधिक ऊर्जावान बनाएगा."
MSP वो मूल्य होता है, जिस पर सरकार किसानों से उनकी उपज ख़रीदती है. खरीफ फसलों की कटाई के बाद, अक्टूबर में ही रबी फसलों की बुवाई होती है. और, इसी समय सरकार खरीफ और रबी, दोनों सत्रों में उगाई जाने वाली कुल 23 फसलों के लिए MSP तय करती है. कैबिनेट (CCEA) की बैठक में इन छह रबी फसलों का MSP बढ़ाने का फैसला किया गया है. इस क़दम का फ़ायदा किसानों को 2023-24 के मार्केटिंग सीज़न में होगा.
मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है. कुल 500 रुपये. मसूर के बाद सरसों का नंबर है- 400 रुपये प्रति क्विंटल.

ये बढ़ोतरी एक फ़ॉर्मूले के तहत की जाती है. पहले फसलों की खेती की लागत निकालते हैं. A2+FL फ़ॉर्मूले से. इसमें भुगतान और पारिवारिक श्रम की कीमत जोड़ी जाती है. हालांकि, कई किसान संगठनों ने इस फ़ॉर्मूले को ग़लत बताया है. इन संगठनों का कहना है कि अधिकारियों को एक व्यापक तरीक़ा निकालना चाहिए, जिसमें स्वामित्व वाली पूंजी का मूल्य और भूमि पर लग रहा किराया भी शामिल हो.
इस मामले में कृषि एक्सपर्ट्स ने कहा है कि सबकुछ निर्भर करता है कुल उत्पादन कितना होता है और निर्यात पर कब तक प्रतिबंध लागू होते हैं.
मोदी सरकार को MSP पर किस तरह का कानूनी हक़ किसानों को देना चाहिए, खुद सुनिए