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हमास पर संसद में सवाल, सरकार ने दिया जवाब, फिर मीनाक्षी लेखी के ट्वीट ने खलबली मचा दी

लोकसभा में एक सवाल पूछा गया. सरकार की तरफ से जवाब दिया गया. लेकिन जवाब देने वाले के नाम पर भयंकर कन्फ्यूजन हो गया. विदेश मंत्रालय के 2 राज्यमंत्रियों के नाम की अदला-बदली हो गई. बात सदन की है तो मामला गंभीर है.

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मीनाक्षी लेखी का कहना है कि जिस जवाब के साथ उनका नाम लिखा है, वो जवाब तो उन्होंने दिया ही नहीं. (फाइल फोटो)

ग़लती सबसे होती है. हमसे, आपसे, उनसे और लोकसभा में बैठे लोगों से भी. सदन में कांग्रेस सांसद ने एक सवाल पूछा. सरकार की तरफ से एक मंत्री ने जवाब दिया. लेकिन लोकसभा की वेबसाइट पर जवाब किसी और मंत्री के नाम से चढ़ गया. जनता ने ट्विटर पर टैग करके पोस्ट करने शुरू किए तब जाकर ये दूसरे वाले मंत्री को पता चला कि बिल उनके नाम पर कट रहा है. तुरंत मुद्दा उठाया, ग़लती सुधारी गई और जैसे-तैसे मामला सेटल हुआ.

केरल के कन्नूर से कांग्रेस सांसद के सुधाकरन ने लोकसभा में 8 दिसंबर को एक सवाल किया. पूछा कि क्या सरकार हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने की दिशा में कोई प्रपोज़ल लाने के बारे में सोच रही है. अगर हां, तो इसकी डिटेल्स सदन में दी जाएं. साथ ही ये भी पूछा गया कि क्या इज़रायल की सरकार की तरफ से भारत सरकार के सामने ऐसी कोई मांग रखी गई है. इस सवाल का जवाब लोकसभा और विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. उसमें लिखा था कि सरकार की तरफ से जवाब बीजेपी की सांसद और विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने दिया है.

जवाब कुछ ऐसा था,

"किसी भी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित करना UAPA के तहत आता है. सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए इसी के प्रावधानों के आधार पर चलती है."

इसमें समस्या क्या थी?

समस्या इस जवाब में नहीं, जवाब देने वाले के नाम में थी. दरअसल मीनाक्षी लेखी ने इस सवाल का जवाब दिया ही नहीं था. उन्होंने इस जवाब को मेंशन करते हुए ट्वीट किया, "मैंने तो इस सवाल या जवाब से जुड़े किसी भी पेपर पर दस्तख़त किए ही नहीं हैं."

इस ट्वीट में लेखी ने PMO और विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग भी किया. एक और ट्वीट में लेखी ने लिखा कि जांच होगी तो पता चलेगा कि ग़लती किसकी है.

दरअसल इस सवाल का जवाब दिया था वी मुरलीधरन ने. वे और मीनाक्षी लेखी दोनों विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं. बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची की तरफ से स्पष्टीकरण दिया गया कि टेक्निकल ख़ामी की वजह से ग़लत नाम चढ़ गया था और इसे अब सुधार दिया गया है. जवाब को सुधारकर नया वर्ज़न अपलोड किया गया, जिसमें जवाब देने वाले के नाम के आगे वी मुरलीधरन लिखा था.

विपक्ष ने इस मामले को पकड़ा और बड़ी लापरवाही की ओर इशारा किया. शिवसेना (उद्धव गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया,

"दोनों राज्यमंत्रियों के बीच ये मामला सुलझ जाना चाहिए था. लेकिन इस मामले को पब्लिक में लाया गया. इससे जवाब की मौलिकता पर संदेह और भी बढ़ा. साफ है कि विदेश मंत्रालय के दोनों राज्यमंत्रियों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है."

विपक्ष ने पहले मुद्दा उठाया, फिर छोड़ा

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक पहले विपक्ष इस मुद्दे को कसके उठाने वाला था. चूंकि मामला सदन की कार्यवाही से जुड़ा है, ऐसे में इसे छोटी-मोटी चूक मानकर नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता. लेकिन बाद में कई विपक्षी दलों ने आपस में बात की और ये राय बनी कि इस मुद्दे को उठाने से बाहर ये मेसेज जा सकता है कि विपक्ष सरकार से मांग कर रहा है कि हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करो. केरल में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के राजनीतिक बेस को देखते हुए दोनों ही इस तरह का मेसेज नहीं जाने देना चाहते. इसलिए फिलहाल ये मामला जैसे-तैसे निपट गया लगता है.

जवाब बदलवाने का प्रोसेस

सदन में जब कोई सवाल पूछा जाए और इसका जवाब भी सदन के सामने रख दिया जाए तो उसमें कोई भी सुधार कराने के लिए एक प्रक्रिया फॉलो करनी होती है. सबसे पहले लोकसभा महासचिव को जानकारी देनी होती है. इस केस में लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह को जानकारी दी गई. फिर उनकी इज़ाजत मिलने के बाद विदेश मंत्रालय ने जवाब में सुधार कराया. चूंकि इसका जवाब वेबसाइट पर भी अपलोड हो चुका था, इसलिए कम्प्यूटर मैनेजमेंट ब्रांच को जानकारी देने के साथ ऑनलाइन भी जवाब में सुधार कराया गया.

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