इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली (UNGA) में वॉकआउट का सामना करना पड़ा (Mass walkout as Israeli PM Netanyahu starts UN speech). वाकया उस वक्ता हुआ जब नेतन्याहू UNGA में अपने भाषण के लिए पोडियम पर पहुंचे. इसी बीच कई देशों के डिप्लोमैट्स और अधिकारियों ने उनकी स्पीच का बहिष्कार किया और वहां से उठ कर बाहर चले गए. कहा जा रहा है कि गाजा में इजरायल के लगातार हो रहे हमलों के विरोध में ये किया गया. कई देश नेतन्याहू पर 'गाजा में नरसंहार' करने का आरोप लगा चुके हैं.
UN में नेतन्याहू की भयानक बेइज्जती, भाषण के बीच कई देशों के डिप्लोमैट्स का वॉक आउट
कहा जा रहा है कि गाजा में इजरायल के लगातार हो रहे हमलों के विरोध में ये किया गया. कई देश नेतन्याहू पर 'गाजा में नरसंहार' करने का आरोप लगा चुके हैं.


अपने भाषण के दौरान इजरायली पीएम नेतन्याहू ने कहा,
"इजरायल गाजा में अपना काम पूरा कर के रहेगा, और हम ये जल्द से जल्द करेंगे."
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमास के नेताओं से आत्मसमर्पण करने, अपने हथियार डालने और बंधकों को रिहा करने का आदेश भी दिया. जिन देशों ने हाल में फिलिस्तीन को मान्यता दी, नेतन्याहू ने उन पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा,
“आपका ये शर्मनाक फैसला यहूदियों और दुनिया भर के निर्दोष लोगों के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देगा. ये आप सभी के लिए शर्म की बात होगी. आप जो कर रहे हैं, वो उन असहिष्णु कट्टरपंथियों को आखिरी इनाम देने जैसा है जिन्होंने सब्बाथ नरसंहार को अंजाम दिया और उसका समर्थन किया. 7 अक्टूबर के बाद फिलिस्तीनियों को जेरूसलम से एक मील दूर एक देश देना, 11 सितंबर के बाद अल-कायदा को न्यूयॉर्क शहर से एक मील दूर एक देश देने जैसा है."
भाषण से पहले, नेतन्याहू ने इजरायली सेना को गाजा के चारों ओर लाउडस्पीकर लगाकर उनके भाषण तो ब्रॉडकास्ट करने का निर्देश दिया. यही नहीं, उन्होंने ये भी दावा किया कि इजरायली इंटेलिजेंस एजेंसियों ने उनके भाषणों को पूरे क्षेत्र में मोबाइल पर टेलीकास्ट किया है.
हालांकि, पत्रकारों ने गाजा में अनेक लोगों से संपर्क किया है, और अभी तक उनमें से किसी ने भी ये पुष्टि नहीं की कि वो नेतन्याहू का भाषण सुन पाए हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अपने भाषण के दौरान, नेतन्याहू ने UN को बताया कि इजरायल गाजा में नरसंहार नहीं कर सकता. उन्होंने कहा,
“इजरायल ने कई बार गाजा के शहरों को खाली करने का आदेश दिया है. जिस वजह से क्षेत्र के 22 लाख लोगों में से ज्यादातर लोगों के पास अपने घरों से भागने का मौका था.”
हालांकि, कई ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ने इन विस्थापनों को गाजा में नरसंहार का हिस्सा बताया है.
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