"मनसुख को पुलिस कॉल किया करता थी. उन्हें हर दिन सुबह से शाम तक बिठाती थी. बीती रात जब वे घर से निकले तो एक पुलिसकर्मी तावड़े का फोन आया था. उसने उन्हें घोडबंदर मिलने बुलाया था."एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, मनसुख के परिवार का कहना है कि वे गुरुवार 4 मार्च से गायब थे. परिवार वाले शुक्रवार को ठाणे में मनसुख के गायब होने की शिकायत दर्ज कराने पहुंचे थे. शिकायत दर्ज हो ही रही थी, तब तक खबर आई कि ठाणे की खाड़ी में एक शव मिला है. पानी में होने की वजह से उनका शव फूल गया था. परिवार ने की पहचान मनसुख ठाणे के रहने वाले थे. यहीं उनका ऑटोमोबाइल पार्ट्स का बिजनेस था. उनकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचे परिवार को उस जगह ले जाया गया, जहां बॉडी मिली थी. परिवार ने पहचान करके बताया कि ये शव मनसुख का ही है. पहले कहा जा रहा था कि मनसुख ने कथित तौर पर कलावा क्रीक में कूदकर आत्महत्या की है. जबकि मनसुख के परिवार ने उन्हें मारकर डुबाए जाने का आरोप लगाया है. उसका आरोप है कि इसके पीछे बड़ी साजिश है. इस बीच, आजतक ने बताया
है कि महाराष्ट्र सरकार ने ऐलान किया है कि इस मामले की जांच ATS से कराई जाएगी. पुलिस ने क्या कहा है? शुरुआत में मुंबई और ठाणे पुलिस के सूत्रों ने मनसुख की मौत को आत्महत्या का मामला बताया था. यहां तक कि मुंबई पुलिस के जॉइंट कमिश्नर ने भी इसे आत्महत्या का मामला कहा था. लेकिन जांच आगे बढ़ने के बात पता चला कि बॉडी संदिग्ध स्थिति में पाई गई है. ऐसे में ठाणे पुलिस ने मामले को लेकर एडीआर दायर की है. आमतौर पर आत्महत्या के मामले में ही एडीआर रिपोर्ट दर्ज की जाती है. हत्या के केस में 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज होती है.
(लेकिन) जैसे-जैसे मामला गंभीर होता चला गया तो मुंबई पुलिस इस पर बात करने से इन्कार करने लगी. बाद में ठाणे पुलिस ने ऑन रिकॉर्ड बताया कि बॉडी संदिग्ध परिस्थितियों में मिली है. मामला सुसाइड का हो या मर्डर का, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही पता चल सकेगा. पुलिस ने साफ किया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि मनसुख की हत्या हुई थी या उन्होंने आत्महत्या की. अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है.

मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक पदार्थ रखने के लिए जिस स्कॉर्पियो गाड़ी का इस्तेमाल किया गया था, उसके मालिक मृत पाए गए. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में तमाम चौंकाने वाले दावे किए थे. उन्होंने कहा था कि अंबानी के घर के बाहर एक नहीं, दो गाड़ियां थीं. उन्होंने कहा था कि दोनों गाड़ियां ठाणे के रूट से आई थीं. फडणवीस ने कहा कि घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले पुलिस अधिकारी थे सचिन वाजे. पहले उन्हें इस केस का इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर भी नियुक्त किया गया था. लेकिन तीन दिन पहले उन्हें हटा दिया गया. इसी को लेकर फडणवीस ने सवाल उठाया था. फडणवीस ने ये भी दावा किया कि मनसुख के नंबर से कुछ फोन कॉल्स किए गए थे. ये कॉल जिस नंबर पर किए गए, वो नंबर सचिन वाजे के नाम से रजिस्टर है.
शुक्रवार को ही देवेंद्र फड़णवीस ने ANI से बातचीत में कहा,
मैंने सदन में मनसुख हिरेन को सुरक्षा देने का मुद्दा उठाया था, क्योंकि वह मामले की मुख्य कड़ी थे. इसलिए खतरे में हो सकते थे. अब हमें उनकी डेडबॉडी मिलने के बारे में पता चला है. यह मामले को गड़बड़ बनाता है. इस घटना और कथित आतंकी एंगल को देखते हुए हम मामले को NIA को सौंपने की मांग करते हैं.




















