The Lallantop

6 किलो का बोझल दिल इस आदमी की पीठ पर लदा है

भाईसाब 555 दिन हो गए ढोते हुए. पीठ पर झोला झोले में दिल. फिर एक दिन डोनर मिल गया.

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फोटो - thelallantop
ये खबर एक कहानी जैसी लगती है. सच्ची कहानी. जिसमें हीरो के पास दिल नहीं है. अपना दिल एक बस्ते में लेके घूमता है. आपको लग रहा होगा कि ऐसा कैसे. पर ये सच है. और बिना दिल के इस हीरो ने काफी दिन गुजारे. पूरे 555 दिन. कहानी है अमेरिका की. आदमी का नाम है स्टेन लार्किन. स्टेन को एक बीमारी है. जिसमें दिल बिना कोई वॉर्निंग दिए बंद हो जाता है. डॉक्टरी की भाषा में इसे कहा गया हेरिडिटी कार्डियोमायोपैथी. ये बीमारी बहुत रेयर है. ऐथलीट्स की मौत की यह अहम वजह होती है. कम ही लोगों को होती है. लार्किन को हो गयी. और इनके साथ इनके छोटे भैया को भी. दोनों भाई काफी समय से दिल के डोनर को मोमबत्ती लालटेन लेकर खोज रहे थे. लेकिन डोनर न मिलने के कारण उनका दिल निकालना पड़ा. फिर दोनों भाईयों के आर्टिफिशियल दिल लगाया गया. 13.5 पाउंड के वजन का एक बैकपैक. जो सीधे उनके कार्डियोवेसकुलर सिस्टम से जुड़ा था. जब हार्ट फेल हो जाता है तब इस डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है. स्टेन 555 दिन तक आर्टिफिशियल दिल के सहारे जिंदा रहे. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इतना ही नहीं, लार्किन इसी आर्टिफिशियल दिल के सहारे बास्केटबॉल भी खेलते थे. डॉक्टर भी हैरान थे. इसके बाद वहां के डॉक्टरों की टीम ने नयी टेक्नोलॉजी से उनके दिलों से अलग एक डिवाइस तैयार करने में कामयाबी हासिल की. छोटे भाई को 2015 में डोनर मिला तो बड़े को 2016 में. अब दोनों भाई नॉर्मल हैं. स्टेन अब उस डोनर को थैंक यू कहना चाहता है, जिसने उन्हें ये नई जिंदगी दी है. वे उस परिवार से मिलना चाहते हैं.
स्टोरी दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रहे रमन जायसवाल ने एडिट की है.

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