बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहली बार 'कैश फॉर क्वेरी' मामले में महुआ मोइत्रा का बचाव किया है. उन पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगा है. संसद की एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की हुई है. लेकिन ममता बनर्जी अपनी पार्टी की चर्चित सांसद के समर्थन में आ गई हैं. 23 नवंबर को उन्होंने कहा कि महुआ को निलंबित करने की साजिश की गई है, लेकिन इससे उन्हें फायदा ही मिलेगा.
आखिरकार महुआ मोइत्रा के बचाव में उतरीं ममता बनर्जी, निलंबन की बात पर बड़ा दावा कर गईं
कैश फॉर क्वेरी मामले में संसद की एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की हुई है. लेकिन ममता बनर्जी अपनी पार्टी की सांसद के समर्थन में आ गई हैं.

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता में एक कार्यक्रम में ममता ने कहा,
“महुआ को निलंबित करने की प्लानिंग की गई है. चुनाव से पहले महुआ को इससे फायदा ही मिलेगा. तीन महीने के लिए उनकी लोकप्रियता को और फायदा होगा. जो बात वो संसद के अंदर कह रही थीं, वही अब बाहर बोलेंगी. इससे उनका क्या नुकसान होगा?”
इस बीच एक और खबर आई है. संसद में सांसदों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों को लेकर ‘नई' गाइडलाइंस जारी की गई हैं. कहा गया है कि 'अगर आवंटित समय में कोई प्रश्न नहीं पूछा जाता है या उत्तर नहीं दिया जाता है, तो प्रश्नकाल के समापन तक उत्तर सार्वजनिक नहीं किया जाए.' हालांकि ये ‘नई' गाइडलाइंस 10 नवंबर को आए शीतकालीन सत्र के नोटिफिकेशन में ही बता दी गई थीं.
‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में महुआ मोइत्रा पर ये भी आरोप लगे थे कि उन्होंने संसद की आधिकारिक वेबसाइट से जुड़े अपने लॉगइन क्रेडेन्शियल्स (यूजरनेम, पासवर्ड) से समझौता किया था. मतलब उन्हें किसी और से शेयर किया था. कहा जा रहा है कि इसके बाद ही नई गाइडलाइंस लाई गई हैं.
निशिकांत दुबे ने आज इसी नोटिफिकेशन के स्क्रीनशॉट्स को अपने X हैंडल पर शेयर किया. उन्होंने महुआ मोइत्रा पर निशाना भी साधा. कहा कि सांसदों को संसद शुरू होने से एक घंटे पहले प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं. ऐसे में समय से पहले उत्तर सार्वजनिक करने से देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को खतरा हो सकता है.
निशिकांत दुबे ने ही महुआ मोइत्रा पर संसद में घूस लेकर प्रश्न पूछने का आरोप लगाया था. उनका दावा है कि टीएमसी सांसद ने बिज़नेसमैन दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल पूछे. इसके बदले उन्हें आर्थिक फायदे पहुंचाए गए.
महुआ मोइत्रा ने इस बात को माना है कि उन्होंने संसद की वेबसाइट पर उनके अकाउंट का लॉगइन और पासवर्ड हीरानंदादी को दिया था. महुआ का कहना है कि ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके तहत अकाउंट का लॉगइन और पासवर्ड देने से मना किया गया है. मामले में संसद की एथिक्स कमेटी ने महुआ का बयान दर्ज किया था. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले शीतकालीन सत्र में उनका निलंबन तय है.
संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हो रहा है.