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सरकार ने अगर मद्रास हाईकोर्ट की ये सलाह मान ली तो गायब हो जाएगा TikTok

10 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं इंडिया में.

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टिक टॉक पर 15 सेकेंड्स तक के वीडियो बना कर शेयर किए जा सकते हैं.
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह वीडियो ऐप टिक टॉक की डाउनलोडिंग पर बैन लगाए. साथ ही कोर्ट ने मीडिया को निर्देश दिया है कि टिक टॉक पर बने वीडियो का प्रसारण न करे. गांवों और छोटे शहरों में फेमस टिक टॉक के जरिए 15 सेकेंड्स तक के वीडियो बना कर शेयर किए जा सकते हैं. लोग इस प्लेटफॉर्म पर डांसिंग, सिंगिंग, फनी और हर तरह के वीडियो बनाते हैं. हाईकोर्ट का कहना है कि टिक टॉक के माध्यम से अश्लील सामग्री परोसी जा रही है जो बच्चों के लिए हानिकारक है. कोर्ट का यह आदेश तमिलनाडु के सूचना और प्रसारण मंत्री एम मणिकंदन के बयान के दो महीने बाद आया है, मणिकंदन ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार टिक टॉक ऐप को बैन करवाने के लिए केंद्र सरकार से बात करेगी. मंत्री ने कहा था कि ऐप से बच्चे गुमराह हो रहे हैं.
'भारतीय संस्कृति को नुकसान हो रहा है' इस ऐप को बैन करने की मांग की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस किरूबाकरण और जस्टिस एस एस सुंदर की बेंच ने यह आदेश जारी किया है. याचिका में कहा गया था कि इस ऐप के जरिए भारतीय संस्कृति को नुकसान हो रहा है. आदेश में कहा गया है कि याचिका में कुछ हानिकारक मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया था.टिक टॉक चाइनीज ऐप है. इंडिया में इसके 104 मिलियन (10.4 करोड़) यूजर्स हैं. यह ऐप इंडोनेशिया और बांग्लादेश में पहले से ही बैन है.
टिक टॉक पर लोग बॉलिवुड एक्टर-एक्ट्रेस की नकल करते वीडियो अपलोग करते हैं.
टिक टॉक पर लोग बॉलिवुड एक्टर-एक्ट्रेस की नकल करते वीडियो अपलोग करते हैं.

अमेरिका की तर्ज पर भारत में बने कानून अमेरिका में चिल्ड्रेन्स ऑनलाइन प्रिवेसी प्रोटेक्शन एक्ट के जरिए बच्चों को साइबर क्राइम से बचाया जा रहा है. कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के कानून की भारत को भी जरूरत है. आदेश में कहा गया है कि हर दिन साइबर क्राइम और आर्थिक अपराध बढ़ रहा है. इससे देश की सुरक्षा को खतरा है. ब्लू व्हेल का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस गेम की वजह से कई युवाओं की जान चली गई. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले सामने आने के बाद भी संबंधित अधिकारियों ने कोई सीख नहीं ली. टिक टॉक पर लोग ऐसे वीडियो से निर्मम मजाक कर रहे हैं और टीवी चैनल इसे दिखा रहे हैं. ऐसे वीडियो पर बैन लगना चाहिए.
कोर्ट ने पूछा- सरकार कब कानून बनाएगी? जस्टिस किरूबाकरण ने अपने आदेश में कहा, इस ऐप पर अनुचित कंटेंट, भद्दी भाषा और पोनोग्राफी पोस्ट किया जा रहा है. इस बात की संभावना है कि इस ऐप पर बच्चे अजनबियों के संपर्क में आ जाएं और लालच के चक्कर में फंस जाएं. कई लोग इससे पीड़ित हो सकते हैं. टिक टोक यूज करने की वजह से स्यूसाइड के मामले बढ़ रहे हैं. आदेश में कहा गया है कि सरकार की जिम्मेदारी है कि इस तरह की चीजों से लोगों को बचाए. कोर्ट के आदेश का इंतजार किए बिना ही इस तरह के मामलों में कार्रवाई करनी चाहिए थी. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या अमेरिका की तर्ज पर भारत सरकार कोई कानून लाएगी जिससे बच्चों को साइबर क्राइम का शिकार होने से बचाया जा सके.
टिक टॉक है क्या सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे प्लेटफार्म्स हैं जहां लोग बिना नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा गए एक्टिंग कर सकते हैं, बिना म्यूजिक स्कूल जॉइन किए सिंगर बन सकते हैं. बिना किसी खास एफर्ट के डबिंग आर्टिस्ट बन सकते हैं. ऐसे ही कई प्लेटफार्म्स में से एक है टिक टॉक. इस ऐप को इस्तेमाल करने वालों लोगों की एक बड़ी आबादी गांवों और टियर 2, 3 शहरों से है. टिक टॉक ऐप के जरिए 15 सेकेंड्स तक के वीडियो बना कर शेयर किए जा सकते हैं.


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