विशाल ने कहा, 'मुझे अपना हाथ जुड़ने की कोई उम्मीद नहीं थी. मेरे घरवालों को भी ऐसा ही लगता था. पर 14 घंटे सर्जरी चली. विशाल के हाथ तो जुड़ गए पर हाथों में जान नहीं आ सकी.'दैनिक भास्कर के मुताबिक, विशाल के कटे हाथ जुड़ तो गए, लेकिन हाथ कम नहीं कर पा रहे थे. हाथों में जान नहीं आई थी. इससे उबरने के लिए विशाल ने हाथों की एक्सरसाइज शुरू की. विशाल ने लगातार 21 महीने एक्सरसाइज की. इस मेहनत का असर ये हुआ कि अब विशाल के हाथ काम कर रहे हैं. विशाल खुद भी फिजियोथेरेपी करते हैं. ताकि उसके हाथ काम करें. उनका कहना है कि अब वो आराम से 4 किलो वजन उठा लेते हैं, जबकि सालभर पहले मुश्किल से 1 किलो वजन उठा पाते थे. इतना ही नहीं, विशाल रोजाना 5 से 7 मरीजों की काउंसलिंग करते हैं. अपनी कहानी के जरिये वो लोगों का हौसला बढ़ाते हैं. फिजियोथेरेपिस्ट भी चाहते हैं कि गंभीर समस्या वाले मरीजों की काउंसलिंग विशाल ही करें.
इस लड़के ने चर्चिल की तरह कटे हुए हाथों में फूंक दी जान
विशाल पिता की जगह काम पर गया था. दोनों हाथ खो दिए थे. फिर की 21 महीनों तक एक्सरसाइज. अब लोगों की करता है काउंसलिंग.
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इंग्लैंड के एक नेता थे. विंस्टन चर्चिल. वहां के प्रधानमंत्री भी रहे. जब चर्चिल बूढ़ा हो गए तो एक रोज उनके दाएं हाथ में लकवा मार गया. चर्चिल निराश नहीं हुए. वो रोज खुद को अपने दाएं हाथ का यूज करने के लिए मोटीवेट करते रहे और हाथ में जान लाने के लिए एक्सरसाइज़ करता रहे. इसी का नतीजा था कि एक दिन चर्चिल का हाथ पूरी तरह से ठीक हो गया. ऐसा ही एक किस्सा है. भोपाल के विशाल झा का. 20 साल के विशाल के पिता एक प्रिंटिंग प्रेस में पेपर कटिंग मशीन चलाने का काम किया करते थे. एक रोज पिता की तबीयत खराब थी तो उन्होंने बेटे यानी विशाल को अपनी जगह काम पर भेज दिया. यहां काम के दौरान उसके दोनों हाथ मशीन में फंसकर कट गए. साथी उसे लेकर भागे और चिरायु अस्पताल में भर्ती करा दिया.
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