हमने मकर संक्रांति का दिन इसलिए चुना क्योंकि यह दिन स्वच्छता का प्रतीक है. दरअसल शौचालय बनवाने के लिए 12000 रुपये प्रति शौचालय के हिसाब से हर लाभार्थी को मिलने थे. हमने कई बार ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर, सर्कल ऑफिसर और सब-डिवीजन के इंचार्ज से मिलने की कोशिश की. मिले भी मगर इसका कोई असर नहीं पड़ा. और इसलिए हमने तय किया हमसब सामूहिक रूप से लोटा मार्च निकालेंगे. ताकि संबधित अधिकारियों का ध्यान इस पर जाए.औराई के BDO विनोद कुमार प्रसाद का कहना है कि पेमेंट की प्रक्रिया जारी है. विनोद कुमार के अनुसार,
कुछ तकनीकी खामियों के चलते पेमेंट में देरी हुई है. इन कमियों पर काम किया जा रहा है और फरवरी अंत तक पैसों का भुगतान कर दिया जायेगा.
यह पहली बार नहीं के मुजफ्फरपुर के लोगों ने लोटा आंदोलन किया है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर के जिला कारागार में 1856 में लोटा आंदोलन हुआ था. तब जेल में बंद कैदियों के लिए पीतल के लोटों को हटाकर मिट्टी के लोटे ला दिये गए थे. उसी के खिलाफ बंदियों ने जेल प्रशासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया. कहा जाता है कि 1857 के विद्रोह को यहीं से बल मिला था.