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ओबीसी रिजर्वेशन पर लालू यादव ने देश से झूठ बोला

मामला कॉलेज प्रोफेसरों की नियुक्ति का. जानिए क्या है हकीकत, क्या है ट्विटर-फेसबुक का फसाना.

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फोटो - thelallantop
कुछ दिनों पहले फेसबुक पर एक खबर नजर आई. इसके मुताबिक एचआरडी मिनिस्ट्री ने एक नया सर्कुलर जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि अब कॉलेज और यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर (लेक्चरर) से ऊपर के लेवल पर ओबीसी को रिजर्वेशन नहीं मिलेगा. यानी कि असोसिएट प्रोफेसर (रीडर) और प्रोफेसर के पद पर ये सहूलियत खत्म कर दी गई है. इस पिछड़ा विरोधी कदम के लिए मिनिस्टर स्मृति ईरानी को लानत मलानत भेजी गई. पुरानी तकरीरें झांड़ पोंछ निकाली गईं. उन्हें रोहित वेमुला का हत्यारा वगैरह कहा गया. https://twitter.com/laluprasadrjd/status/740061178701877248 फिर मैदान में ताल ठोंकी लालू प्रसाद यादव ने. बोले कि केंद्र सरकार को ये फैसला वापस लेना होगा. वरना लालू से भिड़ना होगा. लालू इतने पर ही नहीं रुके. बिहार चुनाव के पहले किसी और संदर्भ में कहे गए मोहन भागवत के बयान को दोहराने लगे. बोले, संघ का मुखिया पहले ही कह चुका है कि रिजर्वेशन को हटाना होगा. https://twitter.com/laluprasadrjd/status/740062642602024960 https://twitter.com/laluprasadrjd/status/740064049073774592 https://twitter.com/laluprasadrjd/status/740065732227006464 https://twitter.com/laluprasadrjd/status/740145403685965824 मामला तूल पकड़ा तो यूजीसी ने साफ कहा कि रिजर्वेशन पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं हुआ है. लालू फिर सामने आए. बोले, हम जीत गए. ये देश के 85 फीसदी लोगों की जीत है. लालू ने ये सब ट्वीट कर कहा. बोले कि देखिए एक ही दिन में सरकार को अपना फैसला रोलबैक करना पड़ा. https://twitter.com/laluprasadrjd/status/740390770537029632
मगर सच्चाई तो ये है कि लेक्चरर से ऊपर के लेवल पर ओबीसी रिजर्वेशन कभी था ही नहीं. तो फिर कैसा सर्कुलर और कैसा रोल बैक. यूजीसी ने सिर्फ यही कहा कि पुरानी पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं हुआ. तो क्या लालू यादव झूठी वाहवाही लूट रहे हैं. और उनसे भी पहले फेसबुक पर जो पिछड़ा और दलित राजनीति करने वाले पुरोधा हैं, उन्होंने भी फैक्ट्स नहीं जांचे. उनकी मर्जी.

हम जांच लेते हैं

यूनिवर्सिटी और कॉलेज में टीचरों की नियुक्ति को लेकर पहले सिर्फ एससी और एसटी के लिए रिजर्वेशन होता था. यूपीए की पहली सरकार के दौरान एचआरडी मिनिस्टर बने अर्जुन सिंह. उन्होंने लिए दो बड़े फैसले. पहला, हायर एजुकेशन में ओबीसी स्टूडेंट्स के लिए रिजर्वेशन. इसको लेकर बहुत हाय-तौबा मचाई सवर्णों और आरक्षण विरोधी बुद्धिजीवियों ने. एम्स के डॉक्टरों ने 'यूथ फॉर इक्वैलिटी' के बैनर तले जूते पॉलिश किए. विरोध किया. मगर सरकार का फैसला नहीं पलटा. मामला कोर्ट में गया. यहां भी सरकार के फैसले पर मुहर लगी. दूसरा फैसला अर्जुन सिंह ने किया यूनिवर्सिटी टीचिंग में एंट्री लेवल पर ओबीसी को रिजर्वेशन देने का. यानी कि असिस्टेंट प्रोफेसर के लेवल पर 27 परसेंट सीटें ओबीसी कैंडिडेट के लिए रिजर्व कर दी गईं. इसके लागू होने का साल था 2007. मगर ध्यान रहे कि ये पॉलिसी एंट्री लेवल पर ही लागू हुई. अगले दो स्तरों पर नहीं. और अब यूजीसी के डिप्टी चेयरमैन एच देवराज ने भी एक न्यूज चैनल से बात में ये साफ किया. उनके मुताबिक कोई रोल बैक नहीं हुआ है. 2007 से रिजर्वेशन को लेकर यूजीसी की एक ही पॉलिसी चली आ रही है. एससी एसटी कैंडिडेट्स को तीनों ही लेवल पर रिजर्वेशन का लाभ मिलता है. जबकि ओबीसी को सिर्फ एंट्री लेवल पर.

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