The Lallantop

धर्म के नाम पर लड़ने वालों, इन बच्चों के चेले बनो, इंसान हो जाओगे

यशवंत को बॉडी एलर्जी हो गई. तो क्लास के सारे बच्चे सीरियस डिस्कसन में डूब गए. सुनो, केरल में ये भी होता है.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop
जिंदगी में रोटी, कपड़े और मकान के बराबर जरूरी होती है शिक्षा. और उसके लिए जरूरी 'साजी जैकब' जैसा टीचर. जो कॉस थीटा और घुलयन विलयन के पहले स्टूडेंट को इंसानियत का पाठ पढ़ाए. क्योंकि अभी हालात जो है वो देख ही रहे हो. कहीं दलित पीटे जा रहे हैं. कहीं दंगा पुंगा हो रहा है. केरल इस वक्त अलग वजहों से न्यूज में नाच रहा है. वहां के उठाईगीरे ISIS जॉइन करके टेरर फील्ड में फ्यूचर बना रहे हैं. लेकिन ऐसी खबरों से टेंसन में न आओ. जब तक जैकब जैसे लोग हैं, तब तक तो हरगिज नहीं. पेशे से प्राइमरी टीचर हैं साजी जैकब. छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं. उनको रट्टू पोपट बनाने की जगह इंसान बनाते हैं. उनके पास हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन सब धर्म के बच्चे पढ़ने आते हैं. अपनी धार्मिक आइडेंटिटी के साथ लेकिन कथित महानता को घर छोड़कर. या शायद दिल में ही नहीं है तो घर में कैसे रहेगी. उन्हीं साजी ने 29 जुलाई को फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी. कुछ बच्चों की फोटोज के साथ. लिखा था मलयालम में. यहां हिंदी में ट्रांसलेट कर दे रहे हैं. पढ़ लो.
"कल जब मैं क्लास में पहुंचा, वहां स्टूडेंट्स को देखा. छोटे छोटे ग्रुप्स में बंटे हुए. किसी चीज पर बड़ी गंभीरता से डिस्कसन कर रहे थे. यशवंत की पूरी बॉडी पर छाले जैसे हो गए थे. शायद किसी एलर्जी की वजह से. कुछ बच्चे दौड़कर तुलसी के पत्ते लाए. कुछ हल्दी लेने गए और मिनटों में वापस आए. कोई यशवंत को तुलसी के पत्ते खिला रहा था. कोई पीसकर शरीर पर मल रहा था. आर्या और फिदा दौड़ते हुए मेरे पास आए. कहा- मेरे घर में अच्छी दवाई रखी है. हमको भी एलर्जी हुई थी तो वही लगाई थी. हम वो ले आते हैं जल्दी से. और वो जितनी जल्दी ला सकते थे, ले आए. यशवंत की शर्ट उतारी. उसकी पूरी बॉडी पर लोशन लगाया. घंटे भर में छाले ठीक हो गए. मैं ये सब चुपचाप देख रहा था."
jacob FB स्टोरी लिखने तक ये पोस्ट 6 हजार से ज्यादा बार शेयर हो चुकी है फेसबुक से. अब बताओ, इन बच्चों से गुरुमंत्र लेने को तैयार हो?

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement