
पत्नी की डिलिवरी के बाद मनीष ने कहा कि कौशांबी जिला अस्पताल में सारी सुविधाएं हैं. उन्होंने लोगों से अपील की कि वो सरकारी सुविधाओं का फायदा उठाएं (फोटो: आज तक)
बस DM की नहीं, उनकी पत्नी की भी तारीफ होनी चाहिए ज्यादातर सरकारी अस्पतालों की हालत खराब होती है. इसीलिए लोग उन पर भरोसा नहीं करते. जिनके पास पैसे नहीं होते, वो मजबूरी में मन मारकर वहां जाते हैं. अगर प्रशासन चाहे, तो इन अस्पतालों की हालत सुधर सकती है. मनीष वर्मा आम जनता को ये भरोसा देना चाहते थे कि कौशांबी के सरकारी अस्पताल अच्छे और सुरक्षित हैं. इसीलिए 10 नवंबर की सुबह जब उनकी पत्नी को लेबर पेन शुरू हुआ, तो उन्होंने पत्नी से पूछा. कि क्या वो जिला अस्पताल में डिलिवरी करवाने के लिए तैयार हैं. अंकिता राजी हो गईं. इसके बाद मनीष ने उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाया. रात तकरीबन 10.30 बजे अंकिता की नॉर्मल डिलिवरी हुई. पूरे अस्पताल में मिठाई बांटी गई. अंकिता और मनीष, दोनों ही तारीफ के हकदार हैं.
मिसाल तो बनाई है मनीष और अंकिता ने कौशांबी के लोग जब ये खबर जानेंगे, तो उन्हें राहत मिलेगी. अगर DM जैसा बड़ा अधिकारी अपनी पत्नी की डिलिवरी के लिए सरकारी अस्पताल पर यकीन कर सकता है, तो आम लोगों में भी कॉन्फिडेंस आएगा. लोग प्राइवेट अस्पतालों की तरफ नहीं भागेंगे. इसके अलावा सरकारी योजना का फायदा उठाने के ही मकसद से सही, मगर वो लोग जो घर पर असुरक्षित तरीके से प्रसव करते हैं, वो भी सरकारी अस्पताल पहुंचेंगे. घर पर डिलिवरी के ज्यादातर मामले असुरक्षित होते हैं. इनमें बहुत जोखिम होता है. मां और बच्चे की जान भी जा सकती है. उम्मीद करते हैं कि कौशांबी की तरह बाकी जिलों में भी प्रशासन लोगों के बीच सरकारी संस्थाओं के प्रति ऐसा ही भरोसा कायम करने की कोशिश करेगा. उम्मीद ये भी है कि अस्पताल में DM के परिवार को जैसी सुविधा मिली और जिस तरह अस्पताल का स्टाफ मुस्तैद रहा, वैसी ही सुविधाएं आम लोगों को भी मुहैया करवाई जाएंगी.
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