जापान की सरकार अपने यहां के नौजवानों को ज़्यादा शराब पीने के लिए कह रही है. ऐसा क्यों? जापान में नौजवान बुजुर्गों के मुकाबले कम शराब पीते हैं. इससे शराब की बिक्री से मिलने वाला टैक्स घट गया है. घाटा कम करने के लिए जापानी सरकार ने एक तिकड़म आज़माई है. देश की राष्ट्रीय टैक्स एजेंसी ने इसके लिए एक अभियान शुरू किया है. साके वीवा. इसका उद्देश्य नौजवानों में साके की खपत को आकर्षक बनाना है ताकि इंडस्ट्री को इसका लाभ मिल सके. अब आप सोच रहे होंगे ये साके क्या होता है. ये भी बताते हैं. ये जापान की एक परंपरागत शराब है, जो मुख्यतः चावल से बनाई जाती है, जिसे साके कहा जाता है. इसलिए इस अभियान का नाम ‘साके वीवा’ रखा गया है.
जापान की सरकार अपने युवाओं को ज़्यादा शराब क्यों पिलाना चाहती है?
शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए जापानियों ने ये तिकड़म आज़माई!

इसके तहत क्या-क्या होगा, अब वो जान लेते हैं.
इसमें एक कंपटीशन आयोजित किया जाएगा. इस कंपटीशन में जापान के 20 से 39 साल के लोग हिस्सा ले सकते हैं. प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले इन लोगों को बिज़नस आइडियाज़ देने होंगे. ऐसे आइडिया जो जापान में शराब को मशहूर करें, जिससे उसकी खपत बढ़ सके. इसमें शराब की कई किस्में शामिल हैं. जैसे जापानी साके, शोचू, व्हिस्की, बीयर और वाइन.
प्रतियोगिता कराने वाली एजेंसी इन नौजवानों को कई तरह के सुझाव भी दे रही है. उनका कहना है कि इसके लिए नौजवानों को प्रमोशनल कैंपेन, ब्रैंडिंग और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर आईडिया देना चाहिए. प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले उन लोगों को ये आइडियाज सितंबर के आख़िर तक भेजने हैं. इसके बाद उन्हें विशेषज्ञों की मदद से और बेहतर बनाया जाएगा. चुने गए आइडियाज को नवंबर में फाइनल किया जाएगा.
लोग इसपर कैसा रिएक्शन दे रहे हैं?तो जापानी मीडिया के मुताबिक़ सरकार के इस अभियान पर लोगों के मिक्स्ड रिएक्शन हैं. एक धड़ा इसकी मुखालफत कर रहा है तो दूसरा धड़ा अपने आयडिया ऑनलाइन ही शेयर कर रहा है. इसकी आलोचना करने वाले लोगों का तर्क है, कि ये कैंपेन स्वास्थ्य के लिए बुरी आदत को प्रोमोट कर रहा है.
जापान में कोविड के दौरान लोगों में शराब पीने की आदत कम हुई है. इसके अलावा जापान की बूढ़ी होती आबादी की वजह से भी शराब की बिक्री घटी है. जापान में शराब की मार्केट सिकुड़ रही है और इसके लिए देश की घटती जन्मदर के साथ बूढ़ी होती आबादी भी ज़िम्मेदार है.
विदेशी ख़बरों में मिडिल ईस्ट के दो देशों ने भी सुर्खियां बनाई. एक देश बाढ़ के प्रकोप से परेशान है तो दूसरा देश आग में झुलसा हुआ है. एक-एक करके दोनों देशों का हाल सुनते हैं
पहले बात सूडान की, सूडान इन दिनों बाढ़ की वजह से डूबा हुआ है. बाढ़ की वजह बनी पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश. बाढ़ इतनी भयानक है कि अब तक 77 लोगों की जान चली गई है, और साढ़े 14 हज़ार से ज़्यादा घर इसकी वजह से तबाह हो गए हैं. वहीं इस बाढ़ से प्रभावित हुए लोगों की संख्या लाखों में आंकी गई है.
सूडान में बाढ़ का खतरा पिछले कुछ सालों में बढ़ा है. पिछले साल माने साल 2021 में भी सूडान बाढ़ की चपेट में था, पिछले साल बाढ़ की वजह से सूडान में 3 लाख से ज़्यादा लोगों की जिंदगियां प्रभावित हुई थीं. और 80 से ज़्यादा जाने गईं थीं. साल 2020 तो इससे भी ख़राब रहा था. इस साल सूडान में ऐसी भीषण बाढ़ थी कि 3 महीनों के लिए देश में आपातकाल लगाना पड़ गया था. 1 लाख से ज़्यादा घर तबाह हुए और 100 से ज़्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई थी.
ये था सूडान का हाल, अब चलते हैं अल्जीरिया.
पूर्वी अल्जीरिया के जंगलों में आग लगी हुई है. आग की वजह से अब तक 37 लोगों की मौत हो गई है. और दर्जनों घायल हो गए हैं. अगस्त माह की शुरुआत के बाद से ही अल्जीरिया में अब तक 106 बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं. हाल ही में लगी आग उत्तरी अल्जीरिया-ट्यूनीशियाई सीमा पर ज़्यादा फैली हुई है. आग जिन इलाकों में लगी है. वो इलाके तो इससे प्रभावित हुए ही हैं. इसके साथ उसके आस पास के इलाकों में काला धुंआ फैलता जा रहा है, जिससे लोगों को सांस से सबंधित समस्याएं हो रही है.
राष्ट्रपति अब्दलमदजीद तेबौने ने पीड़ितों के लिए दुख ज़ाहिर किया है. उन्होंने कहा कि सरकार जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए सभी उपाए करेगी. साथ ही पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने की भी बात की है.
पिछले साल भी अल्जीरिया के जंगल में लगी भीषण आग से 33 सैनिकों सहित 104 लोगों की मौत हो गई थी. जंगलों में लगी इस आग का टीकरा अल्जीरिया की सरकार ने अलगाववादी गुटों पर फोड़ा था.
आज दुनिया की ख़बरों में चीन भी बना रहा. वजह बनी एक मछली. चीन में मछली का कोविड टेस्ट किया गया है. पिछले दिनों टिकटॉक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कई वीडियोज भी वायरल हुए थे, जिनमें डॉक्टर्स मछली और केकड़े का पीसीआर टेस्ट ले रहे हैं.
चीन के शहर जियामेन के तटीय इलाकों में रहने वाले 50 लाख लोगों को कॉविड का टेस्ट कराने के लिए कहा गया है, इनमें कई मछुआरे भी शामिल हैं. समुद्र में काम करने वाले इन मछुआरों को उनके सी फूड का भी कोविड टेस्ट करवाना होगा. चीन के प्रांत हेन्नान में अगस्त की शुरुआत में कोरोना के 10 हज़ार से अधिक मामले दर्ज हुए थे. जिसके बाद ये कहा जाने लगा कि इसकी वजह मछुआरे हैं. उन्हीं की वजह से इलाके में कोविड फैला है.
ख़बर के मुताबिक आने वाले दिनों में चीन में बड़ी पैमाने पर समुद्री जीवों का टेस्ट किया जाएगा. चीनी मीडिया ने लंबे समय से चिंता व्यक्त की है कि कोरोनावायरस का संबंध समुद्री जीवन से हो सकता है.
जापान के पीएम शिंजो आबे की हत्या में एक चर्च का क्या कनेक्शन है?