The Lallantop

बुरहान की मौत पर रोने वालों, इस जवान के शरीर पर भी लगी थीं दो गोलियां

खबर है ये घायल जवान अब आतंकियों, प्रदर्शनकारियों की हिटलिस्ट में है. बढ़ाई गई सुरक्षा.

Advertisement
post-main-image
SYMBOLIC IMAGE. फोटो क्रेडिट: Reuters

बुरहान वानी के मारे जाने पर शोक मनाने वालों को अपनी दूसरी आंख भी खोल लेनी चाहिए.

आंसू गैस और सड़कों पर पड़े पत्थरों वाला फिलहाल का कश्मीर. जहां दो पलड़े हो गए हैं. एक पलड़ा आर्मी और पुलिस का. दूसरा पलड़ा पत्थर फेंक रही भीड़ और मन में इंतकाम, जेहाद की बात बैठाए आतंकियों का. दूसरे पलड़े वालों के लिए इस वक्त आतंकी बुरहान की मौत सबसे बड़ा मुद्दा है. बाकी इस बात पर गौर कोई क्यों ही करे कि बुरहान वानी के एनकाउंटर में शामिल एक पुलिसवाले के बदन में भी दो गोलियां घुसी थीं. वो अब भी अस्पताल में पड़ा मौत से लड़ रहा है, जिंदगी की खातिर. उस जिंदगी की खातिर, जो उसने फिलहाल 'पत्थर फेंक रही भीड़' के लिए खतरे में डाल दी थी. द हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, आतंकी बुरहान के खिलाफ चलाए ऑपरेशन में शामिल पुलिस के एक जवान की जान को खतरा है. सुरक्षा के मद्देनजर जवान को हाई सिक्योरिटी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है. क्योंकि ये जवान आतंकियों की हिटलिस्ट में आ गया है. जवान की तस्वीर खींचने या पहचान बताने की इजाजत किसी को नहीं है. बताया जा रहा है कि जवान की हालत गंभीर है. जवान के हिप और पैर में गोली लगी है. सुरक्षा को देखते हुए किसी को उस अस्पताल का नाम भी नहीं बताया जा रहा है, जहां जवान भर्ती है. एनकाउंटर के बाद घाटी के लोगों के निशाने पर जम्मू-कश्मीर पुलिस भी आ गई है. 'वो गुस्से में बोले- मुझे लेने आएंगे' जम्मू कश्मीर में प्रदर्शन चल रहा है. सबको पता है. अब तक 40 से ज्यादा जानें भी जा चुकी हैं. मरने वालों में पुलिस के जवान भी शामिल हैं. पुलिस को पत्थर फेंक रही भीड़ का सामना करना पड़ रहा है. श्रीनगर में भीड़ के प्रदर्शन के दौरान कॉन्स्टेबल निसार अहमद घायल हुए थे. निसार ने कहा,
'हमारे ऊपर काफी दबाव है. प्रदर्शन में वो लोग शामिल हैं, जो जानते हैं कि मैं कहा रहता हूं. भीड़ में शामिल युवाओं ने गुस्से में मुझसे कहा था कि उन्हें मालूम है कि मैं कहा रहता हूं. वो मुझे लेने आएंगे. '
बता दें कि सेना और पैरामिलिट्री फोर्स जब भी कोई अभियान करती हैं, वो लोकल पुलिस के सहयोग से करती हैं. जब आतंकी बुरहान मारा गया था. तब भी पुलिस की मदद ली गई थी. अब चूंकि पुलिस वहीं की लोकल है, ऐसे में प्रदर्शनकारियों और आतंकियों से पुलिसकर्मियों को खतरा बना रहता है.
 

कश्मीर मुद्दे पर ये भी पढ़ें...

'प्यारे बुद्धिजीवियों, बुरहान वानी कश्मीर वाणी नहीं है'

फेसबुकछाप आतंकी की मौत पर जुटे हजारों लोग , कश्मीर टेंशन में

बुरहान की मां बोलीं, 'बेटा इस्लामी निजाम के लिए मरा, काफिरों से लड़ते हुए

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement