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इंदिरा गांधी के बॉडीगार्ड की पार्टी बनाएगी इस राज्य में सरकार? इतिहास जान हैरान रह जाएंगे

ZPM पार्टी की तुलना अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से की जाती है. इसी साल लुंगलेई मुनिसिपल काउंसिल के चुनाव में ZPM ने सभी 11 सीटें जीत ली थी.

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ZPM को मिजोरम में नए खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है

साल 2012 में दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला था. सालों से सत्ता पर काबिज कांग्रेस को चैलेंज करने के लिए एक नई पार्टी मैदान में आई थी. नाम था आम आदमी पार्टी. ये पार्टी 2011 के अन्ना हजारे वाले ‘लोकपाल आंदोलन’ से निकली थी. अरविंद केजरीवाल इस पार्टी के फाउंडर बने. 5 साल बाद ही इतिहास ने फिर करवट ली. लेकिन इस बार दिल्ली से 2000 किलोमीटर दूर मिजोरम में ये हुआ. 6 छोटे-छोटे राजनीतिक दलों ने मिलकर एक ग्रुप बनाया. जो बाद में राजनीतिक दल भी बना. 4 साल पहले बनी इस पार्टी ने सालों से सत्ता में जमी कांग्रेस औऱ MNF को तगड़ा झटका दे दिया है. ये पार्टी है ZPM यानी जोरम पीपुल्स मूवमेंट. ZPM का छोटा लेकिन दिलचस्प इतिहास बताते हैं आपको.

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1972 में मिजोरम को एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, अब तक ये असम राज्य का एक जिला हुआ करता था. ठीक 15 साल बाद मिजो नेशनल फ्रंट यानी MNF के आंदोलन के चलते पूर्ण राज्य का दर्जा मिला. लालडेंगा जो मिजो आंदोलन के नेता थे, अब पूर्ण राज्य के पहले मुख्यमंत्री बन चुके थे. कुछ सालों बाद ही उनकी मौत हो गई, फिर कमान संभाली उनके उत्तराधिकारी जोरामथांगा ने, जो अब भी मिजोरम के मुख्यमंत्री हैं. कांग्रेस भी मजबूत स्थिति में थी, उनके नेता लालथनहवला भी 3 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. लेकिन राज्य बनने के बाद सत्ता की कमान या तो MNF या कांग्रेस के हाथ में ही रही.

2017 में 6 राजनैतिक पार्टियों ने मिलकर एक मूवमेंट ग्रुप बनाया. इसका नाम 'जोरम पीपुल्स मूवमेंट' रखा गया.

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इन पार्टियों के नाम थे

  • मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस
  • जोरम नेशनल पार्टी
  • जोरम एक्सोडस मूवमेंट
  • जोरम डीसेंट्रलाइजेशन फ्रंट
  • जोरम रीफॉर्मेशन फ्रंट
  • मिजोरम पीपुल्स पार्टी
इंदिरा के सिक्योरिटी चीफ रहे लालदुहोमा

इस मूवमेंट को लीड कर रहे थे लालदुहोमा. लालदुहोमा एक रिटायर्ड IPS अफसर हैं जो कभी इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी चीफ भी रह चुके हैं. ये वही शख्स हैं, जब मिजोरम में मिजो नेशनल फेमाइन फ्रंट, (जो बाद में MNF बना) का आंदोलन चरम पर था. MNF प्रमुख लालडेंगा की लोकप्रियता बढ़ रही थी. वो अलग देश की मांग के लिए हिंसा के रास्ते पर उतर चुके थे. तब लालदुहोमा को इंदिरा गांधी ने लालडेंगा से बातचीत करने के लिए भेजा था. इसके अलावा लालदुहोमा मिजोरम लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहे हैं.

लालदुहोमा के बारे में हम किसी और खबर में विस्तार से बात करेंगे फिलहाल लौटते हैं ZPM की तरफ. 2018 के विधानसभा चुनाव में ZPM वाले आंदोलनकारी समूह ने कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया. कुल 40 में से 36 सीटों पर इस ग्रुप के उम्मीदवार उतरे. ये सभी उम्मीदवार एक ही चुनाव चिन्ह और विचारधारा पर लड़े, जिनमें से 8 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन ZPM प्रमुख लालदुहोमा ने सेरछिप सीट से मुख्यमंत्री पु लालथनहवला को हरा दिया था. हालांकि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में MNF उभरी, सरकार बनी, जोरामथांगा फिर से सीएम बन गए.

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40 सीटों वाली मिजोरम विधानसभा में अब तक कांग्रेस और MNF ही सत्ता पर अपना अधिकार जताते आए हैं. ZPM के लिए अचानक से चीजें थोड़ी बदल चुकी थीं. लेकिन अब भी जीते हुए उम्मीदवार निर्दलीय थे. इस जीत से गदगद ZPM के दलों ने इसे आंदोलन से अलग एक पार्टी बनाने की घोषणा कर दी. 2019 की जनवरी में ZPM ने चुनाव आयोग में पार्टी रजिस्ट्रेशन की अर्जी दे दी, और जुलाई आते आते चुनाव आयोग ने हरी झंडी भी दे दी. राजनीतिक दल बन जाने की वजह से इसी साल ZPM को समर्थन देने वाली सबसे बड़ी पार्टी मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने इस अलांयस को छोड़ दिया. 2020 में कुछ और सदस्यों ने अलायंस से दूरी बना ली.

फिर आता है साल 2023, ये साल ZPM के लिए सबसे महत्वपूर्ण रहा. इसी साल लुंगलेई मुनिसिपल काउंसिल के चुनाव हुए. ZPM ने इस चुनाव में सभी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया. काउंसिल में 11 की 11 सीटों पर जीत दर्ज कर ये तो साफ कर दिया था कि मिजोरम में नया खिलाड़ी आ गया है. अब 2023 के विधानसभा चुनाव में ZPM की तरफ से लालदुहोमा मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं.

आम आदमी पार्टी से तुलना

अक्सर, ZPM पार्टी की तुलना अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से की जाती है. क्योंकि दोनों का इतिहास लगभग एक जैसा नजर आता है. दोनों ही पार्टियां एक आंदोलन से निकली हैं. दोनों ही पार्टियां ‘ईमानदार सरकार’ देने का वादा करती हैं. अरविंद केजरीवाल और लालदुहोमा दोनों ही साफ छवि के नेता माने जाते हैं. केजरीवाल IRS अफसर रहे हैं तो वहीं लालदुहोमा पूर्व IPS अधिकारी हैं. अगर एग्जिट पोल की मानें तो दिल्ली की आम आदमी पार्टी की तरह जोरम पीपुल्स मूवमेंट यानी ZPM भी मिजोरम में इतिहास का एक नया अध्याय लिख सकती है. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में ZPM को 28 से 35 सीटें मिलने का अनुमान है. 

इस विधानसभा चुनाव में ZPM ने सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. हमने मिजोरम जाकर वहां का हाल जाना, ZPM को लेकर हवा साकारात्मक नजर आ रही थी. लोगों ने इस बार बदलाव की भी बात की. एग्जिट पोल के मुताबिक बदलाव संभव है, लेकिन असल तस्वीर तो 4 दिसंबर को आने वाले नतीजों के बाद ही साफ हो पाएगी.

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