इस बीमारी के दुनिया में अब तक केवल दर्जन भर मामले ही सामने आए हैं. पहला इस बीमारी से ग्रसित बच्चा अमेरिका के साऊथ कैरोलिना में अप्रैल 1750 में जन्मा था. दुनिया में तीन लाख में से एक बच्चे को यह बीमारी होती है. भारत में इससे पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था 2014 में. छतीसगढ के बस्तर में. लेकिन मेडिकली चैक करने पर ये केस कंफर्म नहीं हो पाया था.
इंडिया में पहली बार पैदा हुई बिना खाल की बच्ची
इसकी आंखों की जगह दो लाल गोले थे. कान भी नहीं थे. नाक की जगह दो छेद थे. बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है.
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फोटो - thelallantop
इंडिया में पहली बार बिना खाल की बच्ची पैदा हुई. कोई जादू नहीं, बीमारी है एक हैरेलक्विन इचथियसिस. रेयर स्किन संबंधित बीमारी है. मामला महाराष्ट्र में नागपुर के लता मंगेशकर अस्पताल का है. जहां एक किसान दंपत्ति ने इस बच्ची को जन्म दिया. यह किसान परिवार बीपीएल कैटेगिरी में आता है. बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है. ये जो बच्ची जन्मी है, जन्म के वक्त उसका वजन 1.2 किलो था. इसके आंखों की जगह दो लाल गोले हैं. कान हैं ही नहीं. नाक की जगह दो छेद हैं. बाकी अंग भी विकसित नहीं हुए है. बच्ची बच पाएगी या नहीं, इसको लेकर डॉक्टर कुछ भी कंफर्म नहीं कर रहे हैं. बच्ची इस वक्त डॉक्टरों की एक टीम की निगरानी में है. क्या होता है हैरेलक्विन इचथियसिस? यह एक दुर्लभ जीन स्किन की बीमारी है. इसमें बच्चे के शरीर पर स्किन होती ही नहीं है. जिस जगह स्किन होनी चाहिए, वो हिस्सा या परत मोटी हो जाती है. बच्चे का पूरा बदन इस मोटी सफेद परत से ढका होता है. इस परत में दरारें होती है. बच्चे के कान, नाक, आंख, गुप्तांग और स्किन के बाहरी हिस्से असामान्य तरीके से सिकुड़े होते हैं.
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