कश्मीर बेस्ड आतंकियों के लिए खुशखबरी है. अबकी बार का अप्रेजल अच्छा होने वाला है. पाकिस्तान और खाड़ी देशों से आतंक के आका टाइप लोग पैसा भेज रहे हैं, ताकि लोकल लड़के आतंकी संगठनों से जुड़ सकें. खूब आतंक फैला सकें. और घाटी में आतंक का मंद हुआ धंधा फिर सेट हो सके. अब तक लगता था कि ये आका टाइप लोग आतंकियों के साथ कोई भेदभाव नहीं करते होंगे. नासपिटे आतंक के आका लोग इंडिया-पाकिस्तान बेस्ड आतंकियों को बराबर 'इज्जत' देते होंगे. पर नहीं, है हक हमारा सेम टू सेम सैलरी वाली बात कभी किसी इंडियन बेस्ड आतंकी ने कही ही नहीं. इसलिए आतंकवादी संगठन इंडिया से इस मामले में भी चिढ़ते रहे. खबर है कि पाकिस्तान के आतंकवादियों को इंडिया बेस्ड आतंकियों से कम पैसे दिए जाते हैं.
इंडियन आतंकी 3 हजार, पाकिस्तानी 15 हजार एक खुफिया रिपोर्ट हाल ही में प्रकट हुई है. इसके मुताबिक, आतंकियों को ट्रेनिंग के दौरान मिलने वाले पैसे में भी जमीन आसमान का फर्क है. पाकिस्तानी आतंकवादियों को 50 हजार और इंडियन आतंकियों को 10 से 25 हजार रुपये देकर निपटा दिया जाता है. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद इंडियन आतंकियों को 3 से 10 हजार रुपये दिए जाते हैं. जबकि पाकिस्तानी आतंकवादियों को 15 हजार रुपये तक दिए जाते हैं.
ससुरों की बेमंटी यहां तक नहीं रुकती. करते ये हैं कि नकली नोट देकर भेज देते हैं. मतलब सुरक्षाबलों से बच गए तो परचून की दुकानवालों से पकड़े जाना तो कंफर्म है.
दुखद ये है कि कश्मीर में कुछ लड़कों को नौकरी नहीं मिल पाती है. कुछ भटक जाते हैं. आतंकी संगठनों के लालच और बहकावे में आ जाते हैं. लेकिन कुछ रोज बाद जब पेमेंट इश्यू होता है तो साथ छोड़ना ही बेहतर मानते हैं. लेकिन आज की डेट में कभी किसी पर पैसा नहीं छोड़ना चाहिए. अब जबकि ये आतंकी अपना बकाया पैसा मांगते हैं तो आका लोग कहते हैं, 'पहले धमाका करो. फिर पैसे मिलेंगे.' कतई एचआर पॉलिसी बना रखी हैंगी कॉर्पोरेट वाली. बता दें कि बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने पर इनाम में 1 से 2 लाख मिलते हैं. न जाने मरने के बाद आतंकियों के घरवालों को मिले इन पैसों को इनाम कहना ठीक होगा क्या. इसमें भी आतंकी कंपनियां आतंकियों के घरवालों तक कुछ दिन पैसे पहुंचाती हैं. पर अक्सर 6 महीने पैसा भेजने के बाद पैसा देना बंद कर देती हैं. सुसाइड बॉम्बर्स के घरवालों को एक लाख की पेमेंट दी जाती है. 200 करोड़ रुपये का आतंकी फंड इसलिए ही इस्तेमाल होता है. सेना के पूर्व डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया कहते हैं, 'हवाला, कारोबार और दूसरे रास्तों से आ रहे पैसे को मॉनिटर करना बेहद जरूरी है.' सूत्रों के मुताबिक, इस तरह पैसे भेजने के लिए बहुत सीक्रेट तरीका यूज किया जा रहा है. पैसा भी थोड़ा-थोड़ा करके भेजते हैं. ताकि पकड़े जाने पर नुकसान ज्यादा न हो. और कुछ कंपनियां आतंकवादियों के पैसे प्रॉडक्ट्स बिक्री की आड़ में खाड़ी देशों में अपनी शाखाओं के जरिए ला रहे हैं. सरकार कड़ी नजर रख रही है इस मामले में.
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में सिर्फ पाकिस्तान की ओर से राज्य में 90 करोड़ रुपये से ज्यादा पैसा आया है. इस पैसे के अलावा नेपाल और पंजाब के रास्ते भी बड़ी मात्रा में घाटी में आतंक का नापाक पैसा आ रहा है. NIA ने भी पता लगाया था कि इंटरनेट के जरिए करोड़ों रुपये घाटी में पहुंचाए जा रहे हैं.