
सुयश ने छिपकिली को इस देश का राष्ट्रीय पशु घोषित किया है.
गूगल के दावे को गलत बताने के लिए आप हमें कटघरे में खड़ा करें, उससे पहले एक बात साफ कर देते हैं. इस देश का दावा हमने नहीं, इस देश को खोजने वाले सुयश दीक्षित ने किया है. दरअसल सूडान और मिस्र की सीमाओं के बीच 800 वर्ग मील की जगह खाली है. पूरी जमीन तकरीबन रेगिस्तानी है, जिसे नक्शे पर बीर तवील के नाम से जाना जाता है. 1899 में जब यूनाइेड किंगडम का सिक्का चलता था, तो यूनाइटेड किंगडम ने सूडान और मिस्र के बीच सीमा का निर्धारण किया. इसके बाद से ही बीर तवील दुनिया का ऐसा इलाका हो गया, जिस पर किसी देश का दावा नहीं है. ऐसे में न तो सूडान देश इस जमीन पर अपना कब्जा मानता है और न ही मिस्र इस जमीन पर अपनी दावेदारी पेश करता है. 2014 में लेखक अलस्टेयर बोनेट ने भी लिखा था कि बीर तवील दुनिया की इकलौती ऐसी जगह है, जहां लोग रह तो सकते हैं, लेकिन कोई भी देश उसपर अपना अधिकार नहीं जताता है. इसे देखते हुए मध्यप्रदेश के इंदौर के रहने वाले सुयश दीक्षित इस खाली जमीन पर पहुंचे, वहां एक झंडा गाड़ा और उसे किंगडम ऑफ दीक्षित नाम का देश घोषित कर दिया.

बीर तवील में सुयश के साथ एक ड्राइवर भी था.
सुयश ने खुद को इस देश का राजा घोषित कर दिया है. उसने अपने पिता को इस देश का राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और साथ ही सेना अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया है. सुयश ने छिपकिसी को इस देश का राष्ट्रीय पशु भी घोषित कर दिया है, क्योंकि उन्हें यहां पर छिपकिली के अलावा और कोई भी जगह नहीं दिखी. इस देश में अभी कोई नागरिक नहीं है, इसलिए सुयश ने एक वेबसाइट बनाई है और उसके जरिए लोगों से इस देश की नागरिकता लेने की अपील की है. इसके अलावा सुयश का दावा है कि उसने संयुक्त राष्ट्र संघ को भी एक पत्र लिखा है और नए देश को मान्यता देने की सिफारिश की है.

बीर तवील में सुयश ने एक पौधा लगाकर उसपर अपना दावा पेश किया.
इस बात की घोषणा खुद सुयश ने अपने फेसबुक पर की है. सुयश पिछले दिनों अपनी कंपनी के ऑफिशियल ट्रिप पर इजिप्ट गए थे. उन्होंने बीर तवील के नो मैन्स लैंड के बारे में पहले से जानकारी जुटा रखी थी. इजिप्ट से एक कार लेकर सुयश बीर तवील के लिए निकले 319 किमी की ड्राइविंग के बाद 5 नवंबर को वो इस इलाके में दाखिल हुए. आगे रेगिस्तानी इलाका था और वहां जाने के लिए कोई सड़क भी नहीं थी. फिर सुयश ने कुछ पौधे के बीज बोए, अपनी कार से पानी निकालकर पौधे को सींचा और फिर पूरे इलाके को अपना देश घोषित कर दिया. इस बात का जिक्र उन्होंने सात नवंबर को अपने फेसबुक पर भी किया है.
इंजीनियरिंग स्टूडेंट रहे हैं सुयश

सुयश अपने आधिकारिक तौर पर इजिप्ट गए थे. वहां से फेसबुक पर उन्होंने तस्वीरें फेसबुक पर डाली थीं.
सुयश इंदौर के रहने वाले हैं. अपनी शुरुआती पढ़ाई शहर के गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूल से की है. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग पढ़ी. पढ़ाई खत्म हो गई तो वे गूगल डेवलपर्स ग्रुप इंदौर के कम्यूनिटी लीडर बन गए. बाद में सुयश ने जोमैटो और माइक्रोसॉफ्ट के साथ भी काम किया. अभी वो सॉफ्टीनेटर कंपनी के सीईओ हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुयश ऑफिशियल दौरे पर इजिप्ट तो चले गए थे, लेकिन बीर तवील इलाके में जाना खतरनाक हो सकता था. सुयश के मुताबिक उस इलाके में कई आतंकी ठिकाने भी हैं, इसलिए दोनों ही देशों यानी इजिप्ट और सूडान के लोग वहां पर नहीं जाते हैं. उन्होंने काफी कोशिशें कीं, इजिप्ट पुलिस को बताया कि वो भारत से आए हैं और बीर तवील इलाके में घूमने जाना चाहते हैं. इजिप्ट पुलिस ने इसकी इजाजत दी, जिसके बाद उन्होंने एक कार और ड्राइवर को हायर किया. पुलिस ने सुयश के जाने के लिए कुछ शर्तें भी रखीं थीं. शर्तें ये थीं कि वो शाम ढलने से पहले वापस आ जाएंगे, कार की लाइट नहीं जलाएंगे और सैन्य ठिकानों की तस्वीरें नहीं खीचेंगे. सुयश ने पुलिस की सारी शर्तें मानने का भरोसा दिया और उस इलाके में दाखिल हो गए.
पहले भी देश घोषित किया गया, किसी ने सिरियसली लिया ही नहीं

सूडान और मिस्र की सीमाओं से लगा जो लाल घेरा है, वही बीर तवील है.
सुयश दुनिया के कोई इकलौते इन्सान नहीं हैं, जिन्होंने बीर तवील पर अपना हक जताया है. इससे पहले 2011 में जैक शैंकर ने 2011 में कई रंगों का एक झंडा फहराया था. वो अखबार द गार्डियन के लिए एक लेख लिखने के सिलसिले में बीर तवील गया था. एक और अमेरिकी नागरिक जरमिनाह हिटन ने 2014 में बीर तवील पर अपना दावा किया था. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इन दोनों की दावों को खारिज कर दिया था. सुयश के मुताबिक पहले के लोगों के दावे खारिज हो ही चुके हैं. सुयश ने बताया कि और लोग यहां आए, दावा किया और चले गए, लेकिन खाली जमीन पर पौधा उन्होंने लगाया है तो नियम के हिसाब से वो जमीन उनकी होनी चाहिए. अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर क्या फैसला लेगा, वो देखना बाकी है.
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