अमेरिका के आर्मी अड्डों तक होगी भारत की पहुंच?
UPA सरकार जो नहीं करना चाहती थी, वो रिस्क लेने जा रही है मोदी सरकार?
Advertisement

फोटो - thelallantop
क्या इंडिया-अमेरिका की एक दूसरे के मिलिट्री ठिकानों का इस्तेमाल कर सकते हैं? जी हां, सब ठीक रहा तो जरूर करेंगे. यूपीए सरकार की पॉलिसी को टाटा कहते हुए मोदी सरकार अब अमेरिका से मिलिट्री समझौते के लिए बातचीत को तैयार हो गई है. यानी बात आगे बढ़ी तो इंडिया-अमेरिका की दूसरे के पोर्ट और मिलिट्री अड्डों तक पहुंच होगी. इस एग्रीमेंट का नाम है लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (LSA). इस पर मुहर लगी तो अमेरिकी फौजी भाई-बहन हमारे इंडिया के आर्मी ठिकानों पर आकर मिलिट्री एक्सरसाइज कर सकेंगे और हमारी आर्मी अमेरिकी ठिकानों का इस्तेमाल कर सकेगी. टेक्नॉलजी भी शेयर होगी दोनों देशों में. ज्ञानियों का मानना है कि इससे भरोसा भी बढ़ेगा दोनों देशों के बीच. कैसा है ये एग्रीमेंट: बोले तो जिसके पास जो सुविधाएं होंगी. वो उससे दूसरे की हेल्प करेगा. इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर ने अमेरिकी डिफेंस सेक्रेटरी एश्टन कार्टर से बात की है, ताकि मुख्य बातचीत शुरू की जा सके. यह बात इसलिए भी अहम है कि मोदी सरकार का रुख यूपीए के उलट है. यूपीए सरकार का रुख साफ था कि वह इस तरह के समझौते के खिलाफ थी. लॉजिक ये था कि ये समझौता इंडिया की 'मिलिट्री न्यूट्रैलिटी' के खिलाफ जा सकता है. मतलब हमारी सेना किसी एक देश की हिमायती या करीबी दोस्त नहीं दिखना चाहती. इससे चीन भी भड़क सकता है, हमें अमेरिका परस्त कहने वालों की आवाज तेज हो सकती है. खैर अभी तो सिर्फ बातचीत की पहल हुई है. अगर समझौते फाइनल हो गया तो इंडिया के सामने चिंता रहेगी बराबर अधिकारों की. मतलब यह कि यूएस हमारा कितना सिस्टम यूज करेगा और क्या हम भी उतना ही इस्तेमाल कर पाएंगे?
Advertisement
Advertisement
Advertisement