जॉर्ज सोरोस. अपने यहां इनकी पहचान पीएम मोदी और भारत के लोकतंत्र के आलोचक की है. अडानी मुद्दे पर भी सोरोस ने भारत सरकार को घेरा था (George Soros on Adani and PM Modi). और तब जवाब में विदेशमंत्री डॉ एस जयशंकर ने सोरोस को ‘’ओल्ड, रिच, ओपीनिएनेटेड एंड डेंजरस'' बता दिया था. माने सोरोस एक ऐसे हठधर्मी रईस हैं, जिनकी उम्र हो चुकी है. और डेंजरस का मतलब तो आप जानते ही हैं. अब एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसके मुताबिक इन्हीं ‘डेंजरस’ जॉर्ज सोरोस के संगठनों को भारत से भी फंडिंग मिलती है. वो भी बीते कई सालों से.
मोदी सरकार की बुराई करने वाले 'डेंजरस' सोरोस को भारत से करोड़ों की फंडिंग कैसे हुई?
सोरोस का संगठन भारत में निगरानी सूची में है. लेकिन भारतीय चंदा उनके संगठन तक लगातार पहुंच रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस के लिए श्यामलाल यादव और निरुपमा सुब्रहमण्यन ने एक खोजी रिपोर्ट की है. इसके मुताबिक भारत संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष माने UNDEF को जो वित्तीय मदद देता है, उसका एक हिस्सा ऐसे NGO और सिविल सोसायटी संगठनों को मिलता है, जिनका कोई न कोई संबंध जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसायटी फाउंडेशन OSF से है. वो भी तब, जब 2016 से OSF केंद्रीय गृहमंत्रालय की वॉचलिस्ट में है. माने सोरोस का OSF, भारत के गृह मंत्रालय की मंज़ूरी के बिना भारत में किसी संगठन या व्यक्ति को वित्तीय मदद नहीं दे सकता. लेकिन भारत की वित्तीय मदद सोरोस तक बराबर पहुंच रही है.
यहां किन संगठनों की बात हो रही है?2005 में शुरू हुआ संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष यानी United Nations Democracy Fund (UNDEF), गैर सरकारी संगठनों माने NGOs और सिविल सोसायटी के जरिए दुनिया भर में लोकतंत्र को बढ़ावा देने का काम करता है. एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस संगठन को अब तक 32 मिलियन डॉलर माने तकरीबन 262 करोड़ रुपए का चंदा दे चुका है (अप्रैल 2023 के एक्सचेंज रेट के हिसाब से). UNDEF में करीब 45 देश योगदान करते हैं. सबसे ज्यादा योगदान करने वाले देशों में अमेरिका, स्वीडन और जर्मनी के बाद भारत चौथे नंबर पर है.
इसी तरह का संगठन है जॉर्ज सोरोस का ओपन सोसाइटी फाउंडेशन OSF. इस फाउंडेशन के तहत ढेर सारे NGO आते हैं, जो लोकतंत्र, पारदर्शिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए काम करते हैं. OSF संगठन कम से कम 100 देशों में काम कर रहे हैं. OSF का सालाना बजट तकरीबन 1 बिलियन डॉलर माने 8 हज़ार करोड़ के करीब होता है. और सोरोस मानवाधिकार और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के मामले में दुनिया के सबसे बड़े दानदाताओं में गिने जाते हैं.
रिपोर्ट क्या कहती है?रिपोर्ट में मेंशन हुई बातों को पॉइंट्स और टेबल के जरिए समझने की कोशिश करते हैं,
-2015 से लेकर अब तक, UNDEF ने लोकतंत्र को मजबूत करने वाले 276 प्रोजेक्ट्स को फंड किया है. इसमें से 68 प्रोजेक्ट, सोरोस के OSF से जुड़े संगठनों के थे. वो या तो OSF के पार्टनर थे या उससे डोनेशल लेते थे.
-इस विरोधाभास को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन से सवाल किया गया. सवाल विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के पास भेज दिया गया. अब तक मामले पर कोई टिप्पणी नहीं आई है.
जानते हैं कि पिछले कुछ सालों में भारत ने UNDEF को कितना फंड दिया. वो फंड आगे किसके पास गया. और उनमें से कितनों का लिंक जॉर्ड सोरोस की फाउंडेशन से था.
साल | UNDEF में भारत का योगदान | UNDEF के कुल प्राप्तकर्ता | OSF से कितनों का लिंक |
2015 | 1.6 करोड़ रुपये | 44 | 03 |
2016 | 41 लाख रुपये | 43 | 06 |
2017 | कोई योगदान नहीं | 48 | 15 |
2018 | 82 लाख रुपये | 46 | 12 |
2019 | 82 लाख रुपये | 32 | 11 |
2020 | 1.2 करोड़ रुपये | 30 | 10 |
2021 | 1.2 करोड़ रुपये | 33 | 11 |
अमेरिका के रहने वाले 92 साल के सोरोस दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक हैं. उनका जन्म एक समृद्ध यहूदी परिवार में हुआ था, जिसने नाजियों के आने पर हंगरी छोड़ दिया था. उस समय उनकी उम्र 17 साल थी. इसके बाद 1947 में वो लंदन गए. यहां लंदन स्कूल ऑफ़ इकॉनमिक्स में सोरोस ने फिलॉसफी की पढ़ाई की.
पढ़ाई के बाद उन्होंने लंदन के मर्चेंट बैंक सिंगर एंड फ्रीडलैंडर में काम किया. 1956 में सोरोस न्यूयॉर्क चले गए, जहां उन्होंने शुरुआत में यूरोपीय सिक्योरिटी के विश्लेषक के तौर पर काम किया. सोरोस आज हेज फंड्स की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं. और वो एक नामी शॉर्ट सेलर रहे हैं.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, सोरोस की कुल संपत्ति 8.5 बिलियन डॉलर (लगभग 70 हजार करोड़ रुपये) है. कोल्ड वॉर समाप्त होने के बाद सोरोस ने चेकोस्लोवाकिया, पोलैंड, रूस और यूगोस्लाविया में इन फाउंडेशनों की स्थापना की.
सोरोस राजनैतिक रूप से भी सक्रिय रहे हैं. उन्होंने बराक ओबामा, हिलरी क्लिंटन और जो बाइडेन के राष्ट्रपति अभियान का समर्थन किया. सोरोस, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन के खिलाफ बोलते रहे हैं.
भारत को लेकर क्या बोला था?हाल ही में अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर सोरोस ने कहा कि मोदी इस मामले पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों का जवाब देना होगा. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक जॉर्ज सोरोस ने कहा,
“ये भारत की संघीय सरकार पर मोदी की पकड़ को काफी कमजोर कर देगा और बहुत जरूरी संस्थागत सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए दरवाजा खोल देगा. मुझे भारत में एक लोकतांत्रिक पुनरुद्धार की उम्मीद है.
तब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने जॉर्ज सोरोस पर निशाना साधा था. उन्होंने सोरोस पर अपने फायदे के लिए भारत के लोकतंत्र को बदनाम करने और देश की अर्थव्यवस्था पर हमला करने का आरोप भी लगाया था.
वीडियो: सोशल लिस्ट: नरेंद्र मोदी पर हमला करते जॉर्ज सोरोस को सब तरफ से सुननी पड़ी भारतीयों की खरी-खोटी