ये वही डॉक्टर जयलाल हैं, जो हाल ही में बाबा रामदेव के एलोपैथी और एलोपैथी डॉक्टरों को लेकर दिए बयान के बाद उनसे भिड़ गए थे. अब क्रिश्चियनिटी पर डॉक्टर जयलाल का वीडियो वायरल हुआ तो लोग आरोप लगाने लगे कि वह ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे हैं. लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए 'उकसा' रहे हैं.
इंटरव्यू में डॉक्टर जयलाल ने कहा,
''कोई भी डॉक्टर उन तमात क्षेत्रों में काम करने के लिए या आईसीयू में काम करने के लिए आगे नहीं आना चाहता था, जहां सबसे ज़्यादा लोग हताहत हुए थे. मगर कई कमिटेड डॉक्टर्स सामने आए और उन्होंने उन सभी क्षेत्रों में सेवा दी. चर्च के अस्पतालों ने भी इसमें आगे आकर सेवा की है. वो केवल ईसाइयों की सेवा नहीं करते. वो निम्न सामाजिक वर्ग, आर्थिक स्थिति में कमज़ोर लोगों की भी सेवा करते हैं. छोटे और स्थानीय क्षेत्रों में ईसाइयों ने आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों सहित कई अन्य दलित लोगों की भी सेवा की है.''ये बातें डॉक्टर जयलाल ने 'क्रिश्चियनिटी टुडे' को दिए एक इंटरव्यू में कही थी. वहीं HAGGAI INTERNATIONAL को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वो युवा मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए अपने पद का उपयोग करना चाहते हैं.
क्रिश्चियनिटी टुडे को दिया इंटरव्यू.
''मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि भगवान का ध्यान अब यूएस से हटकर इंडिया पर आ गया है. वो अपनी कृपा इंडिया पर बरसा रहा है. इसलिए हम ये संदेश देना चाहते हैं कि ये ईश्वर की कृपा है, ये हमारी शक्ति से नहीं बल्कि उसकी'(ईश्वर की) कृपा ही है कि भारत की स्थिति ठीक हो रही है. साथ ही हेल्थ केयर सिस्टम की वजह से स्थिति अब समान्य हो रही है.

डॉक्टर जयलाल ने हग्गाई इंटरनेशनल (HAGGAI INTERNATIONAL) को इंटरव्यू दिया था.
डॉक्टर जयलाल का दावा है कि पिछले 3-4 सालों से आधुनिक मेडिसिन की जगह आयुर्वेद को लाने की कोशिश की जा रही है. आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी और योग इत्यादि की जड़ें संस्कृत में हैं, जो कि हिंदुत्व की भाषा है.
बीते दिनों बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट की. इसमें जे.ए. जयलाल के इंटरव्यू का स्क्रीनशॉट लगा था. 'द डेली स्विच' के उस आर्टिकल की फोटो भी थी, जिसमें दावा किया गया है कि डॉ. जयलाल युवा मेडिकल स्टूडेंट्स और डॉक्टर्स को क्रिश्चियन बनाना चाहते हैं. बालकृष्ण के इस ट्वीट को स्वामी रामदेव ने भी री-ट्वीट किया.
क्या ये सच है? चौंकाने वाला बयान... आईएमए का नैतिक दायित्व है कि वह अब निष्पक्षता और अखंडता के साथ अपनी छवि की रक्षा करे और इस पर सफाई दे.
सोशल मीडिया पर लोगों ने क्या कहा? इस मामले को लेकर राइट विंग वाले पूरी तरह से डॉ. जयलाल के अगेंस्ट खड़े हो गए. ट्विटर पर उनके खिलाफ खूब बातें की गईं. इसी बीच कपिल मिश्रा के हिन्दू इकोसिस्टम ने ट्वीट किया. लिखा,
हमें ईसाई पादरी नहीं डॉक्टर चाहिए.एक यूज़र ने लिखा,
क्या? मतलब कुछ भी, आईएमए के प्रेसिडेंट हैं तो कुछ भी बोलेंगे...एक का कहना था,
मिशनरी जयलाल ने एक चर्चा में कोविड केस के कम होने का क्रेडिट यीशु को दिया है न कि डॉक्टर्स और मेडिकल फैसेलिटी को.एक यूज़र ने गंभीर आरोप लगा दिए, लिखा,
आपकी हिपोक्रेसी शब्दों से परे है. क्या आपको क्रिश्चियन मिशनरी से कोई पैसे मिल रहे हैं कि आप ऐसा एजेंडा फैलाएं और लोगों को मैन्युपुलेट करें? आप जैसे अवसरवादियों के लिए महामारी एक अच्छा अवसर रही है.एक यूजर ने IMA अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर दी,
केन्द्र को जल्द से जल्द आईएमए प्रेसिडेंट के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए.एक ने ट्वीट किया,
आईएमए के प्रेसिडेंट को लात मारकर भगा देना चाहिए वो इस पोस्ट के लायक ही नहीं है. शर्म आनी चाहिए आईएमए
इन ट्रेंड्स में बहुत से ट्वीट ऐसे रहे जो कई बार अलग-अलग अकाउंट से किए गए. माने एक ही बात को अलग-अलग कई अकाउंट से ट्वीट किया गया. जयलाल ने ये जवाब दिया डॉ. जयलाल ने इन सभी को ट्वीट करके जवाब दिया. उन्होंने मार्च में दिए एक इंटरव्यू को शेयर किया, जो अमेरिकी पत्रिका क्रिश्चियनिटी टुडे को दिया था. रामदेव और बालकृष्ण से कहा कि ये आर्टिकल पढ़ें. इस इंटरव्यू में जयलाल कहते दिखते हैं कि महामारी ने चर्चों को मजबूर किया कि वो कोई कड़ा कदम उठाएं. जयलाल का कहना है कि उन पर ऐसे आरोप लगाकर बदनाम करने की साजिश की जा रही है. जयलाल ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें कहा,
आदरणीय डॉक्टर्स, मैं बौद्धिक टिप्पणियों और विभिन्न मुद्दों पर गहरी समझ रखने के लिए आपका बहुत सम्मान करता हूं. मैं आपसे अपील करता हूं कि आप मेरा ये आर्टिकल पढ़ें (क्रिश्चियनिटी टुडे वाला) और मुझे बताएं कि मैंने ऐसा कहा कहां है, या धार्मिक आस्था को बढ़ावा देने की टिप्पणी की है? ये बस मेरी छवि खराब करने की और मुझे कलंकित करने के लिए किया जा रहा है.वीडियो में डॉ. जयलाल कहते नजर आ रहे हैं कि एलोपैथी को लेकर रामदेव के बयान के बाद मुझ पर धर्मांतरण में शामिल होने जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं. वो ऐसा कोई एक भी उदाहरण दिखा दें. मैं भरोसा दिलाता हूं कि मैं एक सेक्युलर व्यक्ति होने के नाते IMA की जिम्मेदारियां निभाता रहूंगा.