लखनऊ में पिटबुल ब्रीड के एक कुत्ते के अपनी ही मालकिन को नोच-नोच कर मार डाला. कुत्ते ने जिस तरह 80 वर्षीय सुशीला पर हमला किया, उसे जानकर हर कोई हैरान और डरा हुआ है. पीड़िता के पड़ोसी बता रहे हैं कि एक घंटे तक कुत्ता सुशीला को नोचता रहा. वो इस कदर आमादा था कि उसने सुशीला का पेट तक फाड़ दिया. यहां तक की पेट से मांस भी निकाला. इस घटना के बारे में जिसे भी पता चल रहा है वो स्तब्ध है. और अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इतने खूंखार कुत्ते को घर में पालना सही है.
पिटबुल बिगड़ा तो मौत पक्की! किन देशों में इस कुत्ते को पालने पर है बैन, भारत में क्या स्थिति है?
लखनऊ में पिटबुल ब्रीड के एक कुत्ते के अपनी ही मालकिन को नोच-नोच कर मार डाला.

पिटबुल एक इंग्लिश कुत्ता है. कुत्तों की इस प्रजाति को 19वीं के अंत के दशकों में तैयार किया गया था. पिटबुल को बुल एंड टेरियर डॉग के साथ अमेरिकन बुली टाइप डॉग की मेटिंग से बनाया गया था. इंग्लैंड और कुछ दूसरे देशों में इसे ‘अमेरिकन पिटबुल टेरियर’ के नाम से भी जाना जाता है. इसके और भी नाम हैं, स्टैफोर्डशायर फाइटिंग डॉग, बुल बेटर डॉग, यांकी टेरियर और रिबेल टेरियर.
पिट बुल टेरियर अपनी असाधारण चपलता, मांसपेशियों की शक्ति और मजबूत जबड़े के लिए चर्चित भी हैं और कुख्यात भी. पिटबुल के साहसी और कभी हार न मानने वाले स्वभाव की वजह से ही इसे एक बेहतरीन लड़ाकू डॉग कहा जाता है. इसीलिए ये कुत्तों की लड़ाई वाले खेलों के लिए सबसे पसंदीदा कुत्ता माना जाता है. कुछ देशों में पिटबुल का इस्तेमाल सिर्फ इन्हीं कामों में किया जाता है. इन्हीं वजहों से पिटबुल को पालने के लिहाज से बेहद खतरनाक कुत्ता बताया जाता है. कुछ देशों में पिटबुल कुत्तों को पालना, उनका व्यवसाय करना और उनकी मेटिंग (प्रजनन) कराना पूरी तरह से बंद है.
दुनिया के सबसे प्रमुख देशों में से एक इंग्लैंड में पिटबुल कुत्तों पर पूरी तरह बैन है. इसके अलावा दुनियाभर के करीब 30 देशों में पिटबुल पर या तो पूरी तरह प्रतिबंध है या अलग-अलग तरह के कई प्रतिबंध लगे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन देशों की गिनती में न्यूज़ीलैंड, बेल्जियम, फ्रांस, डेनमार्क, पोलैंड, फिनलैंड और नॉर्वे जैसे देश शामिल हैं.
बताया जाता है कि पिटबुल के इंसानों को काटने या जान से मारने के सबसे ज्यादा केस अमेरिका में देखने को मिलते हैं. लेकिन वहां इस पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है, जबकि उसके पड़ोसी कनाडा के कई शहरों में पिटबुल बैन है. पोर्टो रिको में साल 2018 तक कुत्तों की इस प्रजाति पर बैन था लेकिन अब प्रतिबंध हटा दिए गए हैं. भारत में भी पिटबुल पर कोई बैन नहीं है.
पिटबुल पर क्यों लगा बैन?किसी भी देश में कुत्तों पर लगने वाले प्रतिबंध के कुछ क्राइटेरिया होते हैं. जैसे,
1. एक ही प्रजाति के कुत्ते एक साल में कितनों लोगों को काट रहे हैं.
2. कुत्तों की टेंडेंसी क्या है? क्या वो इंसानों पर ज्यादा हमलावर होते हैं?
3. कुत्तों का इस्तेमाल अवैध कामों में इस्तेमाल करने पर.
4. मिक्स ब्रीड के कुत्तों का अलग व्यवहार होना. जिससे जानवरों या इंसानों को नुकसान पहुंचाने की ज्यादा संभावना हो.
रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका में करीब 48 फीसदी लोग कुत्ता पालते हैं. वहीं इंग्लैंड में 26 फीसदी लोगों को ये शौक है. अलग-अलग रिपोर्टों के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में हर साल करीब 45 लाख कुत्तों के काटने के केस आते हैं. इनमें से 80 हजार केस ऐसे होते हैं जिनमें इंसान बुरी तरह घायल हो जाता है. और ऐसे केस में कुछ आंकड़े पिटबुल को पालने पर गंभीर सवाल उठाते हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक 1997-98 में अमेरिका में कुत्तों के काटने से जितने लोगों की मौत हुई, उनमें से 67 प्रतिशत रॉटविलर और पिटबुल के काटने के केस थे. इसके अलावा अमेरिका का ही एक और चौंकाने वाला आंकड़ा कहता है कि 1981 से 1992 तक कुत्तों के काटने से जितने लोगों की मौत हुई, उनमें से 60 प्रतिशत केस पिटबुल से ही जुड़े थे.
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