हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research), एक ऐसा नाम जो अब भारत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. आखिर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने भारत के उस उद्योगपति की तरफ उंगली उठा दी, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी होने के आरोप लगते रहते हैं. हम बात कर रहे हैं गौतम अडानी (Gautam Adani) की. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हों या सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav). अडानी के बहाने पीएम मोदी (PM Modi) पर हमलावर होने का मौका भारत का विपक्ष कभी नहीं छोड़ता. ऐसे में हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारत के विपक्ष के हाथों में बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा हथियार थमा दिया. वो दिन और आज का दिन विपक्ष लगातार हिंडनबर्ग के बहाने अडानी का मामला उठाता रहा है.
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में ऐसा भी क्या था, जिससे अडानी समूह को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ गए
Adani-Hindenburg केस में Supreme Court का फैसला आ गया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने SEBI को जांच के लिए 3 महीने का वक्त दे दिया है. 24 जनवरी 2023 को अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने Gautam Adani की सभी कंपनियों को लेकर एक रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. वहीं अडानी ग्रुप ने इस रिपेार्ट को पूरी तरह से झूठ बताया था.

तारीख 24 जनवरी 2023,'हिंडनबर्ग रिसर्च' ने अडानी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है. इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं. रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया.
अडानी की 'मुखौटा कंपनियां'!
'हिंडनबर्ग रिसर्च'की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक टैक्स हेवन देशों में अडानी परिवार की कई मुखौटा कंपनियों का विवरण है. हिंडनबर्ग के आरोपों के मुताबिक, इनका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग के लिए किया गया. हिंडनबर्ग रिपोर्ट की मानें तो इन मुखौटा कंपनियों के जरिए फंड की हेराफेरी भी की गई. हिंडनबर्ग रिसर्च का दावा था कि इस शोध रिपोर्ट के लिए अडानी समूह के पूर्व अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात की गई. हजारों दस्तावेजों की समीक्षा हुई और आधा दर्जन देशों में दौरा किया गया. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बड़े पैमाने पर शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया.
क्या था अडानी समूह का जवाब?
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह ने प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की.अडानी समूह ने पूरी की पूरी रिपोर्ट को निराधार और बदनाम करने वाला बताया. अडानी समूह (Adani Group) के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) जुगेशिंदर सिंह ने उस वक्त कहा था कि, "रिपोर्ट में इस्तेमाल तथ्यात्मक आंकड़े प्राप्त करने के लिए समूह से कोई संपर्क नहीं किया गया.यह रिपोर्ट चुनिंदा गलत व बासी सूचनाओं, निराधार और बदनाम करने की मंशा से किया गया एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है." सिर्फ इतना ही नहीं अडानी समूह के लीगल हेड जतिन जलुंढ़वाला ने तो यहां तक आरोप लगा दिया कि 'शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग को अडानी समूह के शेयरों में आने वाली गिरावट से फायदा होगा.'
हिंडनबर्ग का पलटवार
अडानी समूह ने लीगल एक्शन की चेतावनी दी तो हिंडनबर्ग भी शांत नहीं बैठा. कंपनी ने जवाब देते हुए कहा कि वह कानूनी कार्रवाई की कंपनी की धमकियों का स्वागत करेगी। हिंडनबर्ग ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह से कायम है। हिंडनबर्ग ने कहा कि “अगर अडानी गंभीर हैं, तो उन्हें अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी जांच प्रक्रिया में मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.”
अडानी से पहले हिंडनबर्ग के शिकार?
अडानी समूह कोई पहला नहीं था जिसपर अमेरिकी फर्म ने रिपोर्ट जारी की हो. उससे पहले हिंडनबर्ग ने अमेरिका, कनाडा और चीन की करीब 18 कंपनियों को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अलग-अलग रिपोर्ट प्रकाशित की थीं. जिसके बाद शेयर बाजारों में काफी घमसान मचा था. ज्यादातर कंपनियां अमेरिका की ही थीं, जिनपर अलग-अलग आरोप लगे. हिंडनबर्ग की सबसे चर्चित रिपोर्ट अमेरिका की ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनी निकोला को लेकर थी. इस रिपोर्ट के बाद निकोला के शेयर 80 फीसदी तक टूट गए थे. निकोला को लेकर जारी रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर और पूर्व कर्मचारियों की मदद से कथित फर्जीवाड़े को उजागर किया गया था. निकोला के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष ट्रेवर मिल्टन ने तुरंत कंपनी से इस्तीफा दे दिया था.
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हिंडनबर्ग समूह पर सवालिया निशान?
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद खुद उसकी विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े हो गए थे. फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग दर्जनों बड़े शॉर्ट-सेलिंग निवेश और शोध फर्मों की जांच कर रहा है. इनमें मेल्विन कैपिटल और संस्थापक गेबे प्लॉटकिन, रिसर्चर नैट एंडरसन और हिंडनबर्ग रिसर्च सोफोस कैपिटल मैनेजमेंट और जिम कारुथर्स भी शामिल हैं. जस्टिस डिपार्टमेंट ने साल 2021 के अंत में लगभग 30 शॉर्ट-सेलिंग फर्मों के साथ-साथ उनसे जुड़े तीन दर्जन व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई थी. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या शॉर्ट-सेलर्स ने समय से पहले हानिकारक शोध रिपोर्ट साझा करके और अवैध व्यापार रणनीति में शामिल होकर शेयर की कीमतों को कम करने की साजिश रची थी.
वीडियो: हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले में SEBI और Adani ग्रुप ने क्या कहा?