अमेरिका की शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त को एक नई रिपोर्ट जारी की है (Hindenburg Report on SEBI). इसमें सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति पर बड़े आरोप लगाए गए हैं. हिंडनबर्ग ने शनिवार को व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच की उन ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं, या जिनका इस्तेमाल अडानी ग्रुप की कथित वित्तीय अनियमतताओं में हुआ था.
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में SEBI चीफ पर बड़े आरोप, Adani से कौन सा कनेक्शन निकला?
Hindenburg Research ने एक और Report जारी की है. इसमें Adani Group और SEBI चीफ के बीच लिंक होने का दावा किया गया है. इन आरोपों के बाद SEBI अध्यक्ष Madhabi Puri Buch और उनके पति Dhaval Buch ने कहा कि उन्हें किसी भी वित्तीय दस्तावेज का खुलासा करने में कोई झिझक नहीं है.

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि आज तक सेबी ने अडानी की दूसरी संदिग्ध शेयरहोल्डर कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जो इंडिया इन्फोलाइन की ईएम रिसर्जेंट फंड और इंडिया फोकस फंड की ओर से संचालित की जाती हैं.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि व्हिसलब्लोअर से उसे जो दस्तावेज़ हासिल हुए हैं उनके मुताबिक सेबी में नियुक्ति से कुछ सप्ताह पहले माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच ने मॉरीशस के फंड प्रशासक ट्रिडेंट ट्रस्ट को ईमेल किया था. इसमें उनके और उनकी पत्नी के ग्लोबल डायनेमिक ऑप्चर्यूनिटीज फंड में निवेश का ज़िक्र था.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि व्हिसलब्लोअर से मिले दस्तावेजों से पता चलता है जिन ऑफशोर संस्थाओं का इस्तेमाल अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में हुआ, उसमें SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की हिस्सेदारी थी.
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट का दावा है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमुडा और मॉरिशस के फंड में हिस्सेदारी ली, जो कि टैक्सहैवन देश हैं और इन्हीं दो फंडों का यूज गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी किया था.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन के हितों के इस संघर्ष की वजह से बाजार नियामक की पारदर्शिता संदिग्ध हो गई है. और इसलिए इस पूरे मामले की जांच नए सिरे से होनी चाहिए. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि हमें संदेह है कि सेबी ने अडानी ग्रुप से जुड़े ऑफशोर शेयरहोल्डर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई इसलिए नहीं की, क्योंकि उनमें मिलीभगत हो सकती है.
मामले को लेकर सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने 11 अगस्त को रात 1:40 बजे एक संयुक्त बयान जारी किया. उन्होंने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया है. बयान में लिखा,
विपक्ष हमलावरहमारे खिलाफ 10 अगस्त 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के संदर्भ में हम ये बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं. वो किसी भी सच्चाई से रहित हैं. हमारा जीवन और हमारा पैसा एक खुली किताब है. जरूरत के हिसाब से सभी खुलासे पहले ही सेबी के सामने कर दिए हैं. हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई झिझक नहीं है. पूर्ण पारदर्शिता के हित में हम उचित समय पर एक विस्तृत बयान जारी करेंगे.
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सेबी पर कटाक्ष किया और पोस्ट में लिखा,
सेबी के अध्यक्ष अडानी समूह में एक अपारदर्शी निवेशक हैं. समधी सिरिल श्रॉफ कॉर्पोरेट गवर्नेंस कमेटी में हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि सेबी के पास सभी शिकायतें अनसुनी कर दी जाती हैं.
शिवसेना (UBT) नेता प्रियंका चतुवेर्दी ने भी इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा,
अब हम जानते हैं कि हमारे पत्र अनुत्तरित और अज्ञात क्यों रह गए.
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बीते साल जनवरी में भी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के खिलाफ एक रिसर्च पेपर जारी किया था. जिसके बाद अडानी समूह को काफी नुकसान झेलना पड़ा था. हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर अपने स्टॉक्स के प्राइस के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था. 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि ये समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है. हालांकि अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था.
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