WHO के मुताबिक Omicron Variant डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले बहुत तेजी से फैल रहा है.
संक्रमित मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री के बारे में भी बताया गया है. 183 में से 18 मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री के बारे में कोई जानकारी नहीं है. बाकी 165 में से 121 यानी करीब 73 प्रतिशत मरीज विदेशों से लौटे हैं. और 24 मरीजों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है.
ICMR के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने संक्रमित मरीजों में पाए गए लक्षणों के बारे में भी बताया,
"अभी तक ओमिक्रॉन से संक्रमण में गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिलें हैं. भारत में डिटेक्ट हुए एक-तिहाई ओमिक्रॉन मामलों में हल्के लक्षण देखे गए हैं, जबकि बाकी मरीजों में किसी तरह का कोई लक्षण नहीं है."इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक डॉ. भार्गव का कहना है कि डेल्टा वेरिएंट देश में अभी भी डॉमिनेंट है. हमें सावधानी बरतने की जरूरत है साथ ही वैक्सीन भी लगवानी जरूरी है. सावधानी है जरूरी नीति आयोग की कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने चेतावनी देते हुए कहा-
"यह स्पष्ट है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के, घरों में ट्रांसमिट होने का जोखिम, डेल्टा से बहुत ज्यादा है. घर में अगर एक भी व्यक्ति इंफेक्शन लेकर आता है जिसने बाहर मास्क नहीं पहना था. तो घर में बाकी वो सदस्यों को भी संक्रमित करेगा . ओमिक्रॉन में यह खतरा बहुत ज्यादा है. हमें अपने दिमाग में ये बातें बिठा लेनी चाहिए."डॉ. पॉल ने आगे कहा,
'मैं देखभाल की आवश्यकता पर जोर देना चाहता हूं. आगे बहुत से त्योहार और न्यू ईयर आने वाला है. इस दौरान वेरिएंट ज्यादा तेजी से उभरेगा. इसलिए एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मास्क पहनें, हाथों को सैनिटाइज करें और भीड़ में जाने से बचें. बेवजह यात्रा पर ना जाएं. इस वक्त हम एक बड़े ग्रुप में नहीं रह सकते हैं. हमें लगातार चौकन्ना रहना होगा. नियंत्रण और निगरानी की रणनीति महामारी से बचने के प्रमुख तरीके हैं. हमारे पास वैक्सीनेशन है, लेकिन महामारी के खिलाफ अकेले वैक्सीन पर्याप्त नहीं है. हमें कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और पेरीमीटर कंट्रोल पर ज्यादा जोर देना होगा."शुक्रवार को डॉ. वीके पॉल ने प्राइवेट अस्पतालों से भी तैयार रहने की अपील की. उन्होंने कहा,
"हेल्थ सिस्टम को पूरी तरह मुस्तैद रहने की जरूरत है. महामारी को नियंत्रित करने में प्राइवेट अस्पतालों की भूमिका काफी अहम रहेगी. हम उनसे दवाओं, ऑक्सीजन की उपलब्धता का ऑडिट करने का अनुरोध करते हैं. मानव संसाधन बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस इंफ्रास्ट्रक्चर को चलाने के लिए हमें टीमों की जरूरत होगी. टीम बनाने और उन्हें प्रशिक्षित करने में सरकार द्वारा कड़ा प्रयास किया गया है. यही बात निजी क्षेत्र में भी समान रूप से लागू होती है."इस बीच, इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक गुरुवार 23 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई आला अधिकारियों से मीटिंग कर संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए देश में मौजूद स्वास्थ्य सेवाओं का जायजा लिया. मीटिंग में इस बात पर जोर दिया गया कि कोविड से निपटने के लिए जिला स्तर पर सारी सुविधाएं मौजूद हों. केन्द्रीय सचिव राजेश भूषण ने मीटिंग में बताया कि-
"देश में 18.10 लाख आइसोलेशन बेड, 4.94 लाख ऑक्सीजन सपॉर्टिड बेड, 1.39 लाख आयसीयू बेड उपलब्ध है. वहीं बच्चों के लिए 24 हजार सत्तावन आयसीयू बेड, और 64 हजार सात सौ छयानवें नॉर्मल बेड तैयार हैं"भले ही देश में वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोग कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित हो रहे हों लेकिन इस को पुख्ता तौर पर गांठ बांध लीजिए कि वैक्सीन लगवाने से बचना नहीं है. सरकार, डॉक्टर्स और विशेषज्ञ इस बात को बार बार दोहरा चुके हैं कि भले ही वैक्सीन लगवाने के बाद संक्रमित हो रहे हों लेकिन वैक्सीन आपको वायरस की चपेट में आने के बाद गंभीर रूप से बीमार होने से बचाती है. ये आंकड़ें हमें इस बात का संकेत देते हैं कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी हमें पूरी तरह सतर्क रहने की जरूरत है.