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ज्ञानवापी पर कोर्ट का बड़ा फैसला! पूजा होगी या नहीं, याचिका पर सुनवाई नहीं रुकेगी

याचिका में मस्जिद के भीतर मिली 'आकृति' की पूजा करने के अलावा कई और मांग की गई थी.

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ज्ञानवापी मस्जिद (फाइल फोटो)

वाराणसी की एक विशेष अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के योग्य माना है. याचिका में ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपने के साथ-साथ परिसर के भीतर मिले ढांचे (जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहे) की पूजा करने की भी मांग की गई थी. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने कहा कि याचिका पर सुनवाई हो सकती है. सिविल जज (सीनियर डिविजन) महेंद्र कुमार पांडेय ने 27 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में अगलीे सुनवाई अब 2 दिसंबर को होगी.

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इस याचिका की वैधता के खिलाफ अपील की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. यहां ये जानना जरूरी है कि ये याचिका वाराणसी कोर्ट में 5 हिंदू महिलाओं की ओर से दायर की गई याचिका से अलग है.

विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से दायर इस याचिका में तीन मांग की गई थी.

-मस्जिद के अंदर मिले ढांचे, जिसे हिंदू पक्ष 'शिवलिंग' बता रहा है, उसकी नियमित रूप से पूजा करने की इजाजत दी जाए.

-मस्जिद परिसर में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग.

-पूरे ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपने के साथ-साथ विवादित ढांचे को हटाने की मांग.

'साक्ष्यों को देखने के बाद की मांग'

कोर्ट के फैसले से पहले विश्व वैदिक सनातन संघ के कार्यकारी अध्यक्ष संतोष सिंह ने आजतक से कहा कि उनकी तीन मांगे सारे साक्ष्यों को देखने के बाद बनी हैं, मंदिर में अगर कोई जबरन जाकर कुछ भी करने लगे तो वह उसका नहीं हो जाएगा.

ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े इसी तरह के एक मामले में 12 सितंबर को वाराणसी जिला अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी की नियमित रूप से पूजा करने की मांग वाली याचिका सुनवाई के लायक है, इसलिए इस मामले पर विचार किया जाना चाहिए. अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इस पर गहरी नाराजगी जाहिर की है और कहा था कि वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे.

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