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फ़र्रुख़ जाफ़र का निधन, गुलाबो सिताबो में फातिमा बेगम की भूमिका निभाई थी

करियर की शुरुआत 1981 में आई फिल्म उमराव जान से की थी.

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फारुख 88 साल की थीं. निधन की ख़बर उनके पोते, शाज़ अहमद ने ट्वीट कर दी. फाइल फोटो-PTI

फ़र्रुख़ जाफ़र. फ़िल्मों और रंगमंच की इस वेटरन एक्ट्रेस का शुक्रवार, 15 अक्टूबर को लखनऊ स्थित उनके घर में निधन हो गया. वह 88 साल की थीं. निधन की ख़बर उनके पोते, शाज़ अहमद ने ट्वीट कर दी. कुछ समय पहले, फ़र्रुख़ जाफ़र को सुजीत सरकार की फ़िल्म 'गुलाबो सिताबो' में फ़ातिमा बेगम की भूमिका निभाते देखा गया था. फातिमा बेगम, अमिताभ बच्चन के किरदार मिर्जा की पत्नी थीं, जो 95 की उम्र में अपनी हवेली को बचाने के लिए अपने पुराने आशिक के साथ भाग जाती है.

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न्यूज एजेंसी PTI से बात करते हुए जफ़र के पोते शाज़ अहमद ने बताया,


"मेरी दादी का आज शाम क़रीब 7:00 बजे, गोमती नगर स्थित आवास पर ब्रेन स्ट्रोक से इंतकाल हो गया. उनका अंतिम संस्कार शनिवार को ऐशबाग़ क़ब्रिस्तान में होगा."

जाफ़र का जन्म जौनपुर ज़िले के शाहगंज क्षेत्र में एक ज़मींदार परिवार में हुआ था. अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद लखनऊ आ गईं. उन्होंने पूर्व एमएलसी और यूपी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सैयद मोहम्मद जाफ़र से शादी की. शादी के वक़्त, सैयद मोहम्मद एक पत्रकार थे और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल थे. उन्होंने अपनी पत्नी फ़र्रुख़ को रंगमंच और फिल्मों में जाने के लिए ख़ूब प्रोत्साहित किया.

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फ़र्रुख़ जाफ़र ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया और ऑल इंडिया रेडियो में नौकरी की. उन्होंने 1981 में आई फिल्म उमराव जान से अपना डेब्यू किया. फ़िल्म में वे रेखा की मां की भूमिका निभाते नज़र आई थीं. इसके बाद रंगमंच में अनेक किरदारों को जीवंत किया. फिर क़रीब 23 साल बाद अपनी दूसरी फ़िल्म, स्वदेश (2004) में दिखीं.

इसके बाद पीपली लाइव, चक्रव्यू, सुल्तान, तनु वेड्स मनु और फोटोग्राफ़ जैसी कई फ़िल्मों में अपने अभिनय की ख़ुदरंगी का परिचय दिया. 88 साल की उम्र में, उन्हें 'गुलाबो सिताबो' के लिए बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्ट्रेस का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला. इस अभिनय श्रेणी में वे सबसे उम्रदराज विजेता हैं.

हिंदी फ़िल्म उद्योग में जाफ़र की रुख़सती एक बड़ी क्षति के रूप में देखी जा रही है. 'गुलाबो सिताबो' की पटकथा लेखक जूही चतुर्वेदी ने फ़र्रुख़ जाफ़र के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इंस्टाग्राम पर लिखा,

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"बेगम गईं.. फ़र्रुख जीना, आप जैसा न कोई था और ना होगा. दिल से शुक्रिया जो आपने हमको आपसे रिश्ता जोड़ने की इजाज़त दी. अब अल्लाह की उस दुनिया में हिफ़ाज़त से रहिएगा!"



लेखक निदेशक हंसल मेहता ने भी इंस्टाग्राम और ट्विटर पर जाफ़र की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "आपकी बहुत याद आएगी फ़र्रुख़ खाला. बहुत प्यार!"

पिछले साल एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उन्हें फ़िल्मों में काम करना बहुत पसंद है, अपने आप को पर्दे पर देखना बहुत पसंद है. वे चाहती हैं कि जब तक ज़िंदा रहें, वे पर्दे पर हों. फ़र्रुख़ जाफ़र की शॉर्ट फिल्में मेहरून्निसा, रक्स, कुंदन, नंदी अभी रिलीज होनी बाक़ी हैं.


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