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12वीं क्लास के लड़के को गूगल में 12 लाख रुपए महीने की जॉब मिलने की खबर झूठी है?

कहिते थे कि ट्रेनिंग के दौरान चार लाख रुपए मिलेंगे.

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गूगल के android प्लैट्फ़ॉर्म के सबसे ज़्यादा फ़ोन यूज़र हैं. ताज़ा अपडेट के बाद ये API कई सारे फ़ोन में दिखने लगा, जिसके बाद इस ऐप की बात शुरू हुई.
गूगल कंपनी ही ऐसी है कि किसी की नौकरी लगे और खबर न बने ऐसा हो ही नहीं सकता. लोग तीस डिग्रियां लेते हैं, लाख पापड़ बेलते हैं, तब जाकर चांस बनता है. कई बार नहीं भी बनता. इसलिए जब मालूम चलता है कि किसी 12 वीं पास लड़के को गूगल में 1 करोड़ 44 लाख रुपए का पैकेज मिला है, माथा फट जाता है. स्टोरी वायरल हो जाती है. चंडीगढ़ के हर्षित शर्मा की स्टोरी भी इसीलिए वायरल हुई.
लेकिन अब लग रहा है कि हम सबके साथ चोट हो गई है. इंडियन एक्सप्रेस की गूगल से बातचीत हुई है. गूगल ने अंग्रेज़ी में लिखाः
“Currently, we don’t have any information on our records with respect to Harshit Sharma’s candidacy,”
इसकी हिंदी कुछ यूं है कि गूगल के पास हर्षित शर्मा को लेकर कोई कागज पत्तर फिलहाल नहीं है. हर्षित ने अब तक अपनी नौकरी और ट्रेनिंग को लेकर तमाम बातें की थीं जो देश भर के मीडिया में छपीं. अब गूगल कह रहा है कि कोई कागज हइये
नहीं. तो ज़्यादा संभावना इसी की है कि हर्षित शर्मा नए हर्षद मेहता हों. माने फ्रॉड. लेकिन फिलहाल अंतिम सत्य हमें मालूम नहीं.
अब लल्लनटॉप ठहरा खबरनवीस. जो सुना, उसे जांचा परखा, और कहानी आपको बता दी. अब तक हर्षितवा कह रहा था कि नौकरी लगी है, तो वो बताया, अब गूगल कह रहा कि कागज नहीं है, तो वो बता रहे हैं. तो दिल पर न लेना दोस्त. अपना काम फुल ईमानदारी वाला है. इसलिए हम असल खबर नहीं हटा रहे हैं. आप इसे नीचे पढ़ सकते हैं. मकसद ये कि अगर हर्षितवा सही है तो उसकी कहानी लोग जानें, और अगर नहीं, तो ये मालूम चले कि वो कीतना
बड़ा फ्रॉड है.


 
पहले प्रकाशित खबरः
गूगल बाबा साक्षात मिल जाएं कहीं तो आरती करने लगेंगे कुछ लोग. भोग चढ़ाएंगे या कलमा पढ़ने लगेंगे. माने अपने-अपने ईमान से कुछ तो कर ही डालेंगे. काम ही ऐसा करते हैं गूगल बाबा. कभी भटको को राह बताते हैं कभी बीमार को दवा दिलाते हैं. कभी लज़ीज़ रेसिपी सुझाते हैं तोभी अतीत में ले जाते हैं. इस बार गूगल ने एक 12वीं क्लास के लड़के की बल्ले-बल्ले कर दी है. सुनो कहानी...
 
हर्षित शर्मा. Credit: Indian express
हर्षित शर्मा. Credit: Indian express


चंडीगढ़, हर्षित सरकारी मॉडल सीनियर सेकंडरी स्कूल की 12वीं क्लास में पढ़ता है. हर्षित की निकल पड़ी है. गूगल चलाने वालों ने उसे चार लाख महीने के स्टाइपेंड (ट्रेनिंग के दौरान मिलने वाली मजदूरी) पर रखा है. और ये सिर्फ शुरुआत है.
बकौल इंडियन एक्सप्रेस गूगल ने उसे ग्राफिक डिजाइनर की पोस्ट दी है. कंपनी उसे ट्रेनिंग के लिए कैलिफोर्निया भेजेगी. वहां एक साल तक हर्षित बाबू चार लाख रुपए महीना कमाएंगे. फिर वापस आकर गूगल उन्हें 12 लाख महीने के पैकेज के साथ नौकरी देगा. छुटपन में ही डिजाइनिंग के कीड़े से ख़ुद को कटवाने वाले हर्षित ने चंडीगढ़ के अख़बार से कहा कि,
'मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मेरा सपना पूरा हो गया. मैं हमेशा से गूगल के साथ काम करना चाहता था. मैं अपने जज़्बात साझा नहीं कर पा रहा हूं. मेरे काम का फल मुझे मिल गया है.'
सरकारी स्कूल के एक एवरेज लड़के को डिजाइनिंग में दिलचस्पी थी. उसने अपने अंकल रोहित से सीखना शुरू कर दिया. हर्षित अपने अंकल का शुक्रगुज़ार है कि बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के उन्होंने हर्षित को इतना कुछ सिखाया. वो कहता है,
'मैंने सोचा भी नहीं था कि गूगल मुझे सेलेक्ट कर लेगा. मैं जब 10 साल का था तब से अपने अंकल रोहित शर्मा से ट्रेनिंग ले रहा हूं. धीरे-धीरे ये मेरा पैशन बन गया. हमेशा से मेरा मक़सद गूगल में नौकरी करने का था. मैं जो कुछ भी हूं अपने अंकल की वजह से हूं.'
हर्षित ने अपने काम के सैम्पल के साथ गूगल में अप्लाई किया था. इसमें उसके बनाए पोस्टर थे. फिलहाल उसे जून में गूगल ने अपॉइंटमेंट लेटर दिया है. 7 अगस्त को हर्षित कैलिफोर्निया के लिए प्लेन में बैठकर उड़ जाएगा. उस वक़्त उसके दिमाग में यही आएगा न, आज मैं ऊपर, आसमां नीचे.
गूगल दिल खोलकर नौकरी देने के मामले में कई बार सुर्खियों में रहा है. अक्सर इस तरह की ख़बर आती रहती है. 2015 में गूगल ने आईआईटी-इंदौर के एक स्टूडेंट को 17 करोड़ की जॉब का ऑफर दिया था. कंप्यूटर साइंस के फाइनल ईयर ग्रेजुएट का ये छात्र गौरव अग्रवाल छत्तीसगढ़ भिलाई का रहने वाला है. इसी तरह जादवपुर यूनिवर्सिटी के कप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्र अफीफ अहमद को सिंगापुर में करीब एक करोड़ 10 लाख सालाना के वेतन पर नौकरी ऑफर की थी.


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