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'गौतम गंभीर फाउंडेशन को फैबीफ्लू दवा की जमाखोरी का दोषी पाया गया'

ड्रग कंट्रोलर ने दिल्ली हाईकोर्ट को दी जानकारी.

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क्रिकेटर से नेता बने बीजेपी सांसद Gautam Gambhir पश्चिम बंगाल में एक चुनावी रैली के दौरान. (फाइल फोटो) गौतम गंभीर फाउंडेशन को अनधिकृत रूप से फैबीफ्लू दवा के भंडारण, खरीद और वितरण का दोषी पाया गया है.
दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोलर ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि गौतम गंभीर फाउंडेशन को अनधिकृत रूप से फैबीफ्लू दवा की जमाखोरी खरीद और वितरण का दोषी पाया गया है. यह दवा कोरोना के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल हो रही है. ड्रग कंट्रोलर ने कहा है कि दवा डीलरों के खिलाफ बिना किसी देरी के कार्रवाई की जाए. इस मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी. ड्रग कंट्रोलर ने हाईकोर्ट को बताया कि आप विधायक प्रवीण कुमार को भी ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत इसी तरह के अपराधों के लिए दोषी पाया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को छह सप्ताह के भीतर इन मामलों में आगे की प्रगति पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा. ड्रग कंट्रोलर की ओर से पेश वकील नंदिता राव ने कहा कि फाउंडेशन ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत अपराध किया है, क्योंकि उन्हें अनधिकृत तरीके से दवा का स्टॉक करते हुए पाया गया है. ड्रग कंट्रोलर को लगी थी फटकार इससे पहले 31 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी सांसद गौतम गंभीर द्वारा फैबीफ्लू बड़ी मात्रा में खरीदे जाने की उचित तरीके से जांच नहीं करने के लिए ड्रग कंट्रोलर को फटकार लगाई थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि आप जांच नहीं कर सकते हैं तो बताएं. हम आपको हटाकर किसी और को यह जिम्मा दे देते हैं. कोर्ट ने कहा था कि आप बताएं कि किस कानून के तहत इसकी इजाजत है, किसमें नहीं, इन दवाओं को इतनी बड़ी मात्रा में हासिल करने के लिए क्या जरूरी है. हम इस तरह की जांच की आप से उम्मीद कर रहे थे. ये नहीं पूछ रहे थे कि इन दवाइयों को बांटने से कितनों की जांच बची. कोर्ट ने कहा था कि मददगार के रूप में दिखाने के लिए हालात का फायदा उठाने की लोगों की प्रवृत्ति की कड़ी निंदा होनी चाहिए. दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर की स्टेटस रिपोर्ट खारिज करते हुए कहा था कि यह कागज के सिवा कुछ नहीं है. जनहित याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. ये PIL दीपक कुमार द्वारा दायर की गई है. याचिका में कहा गया था कि नेता बड़ी संख्या में कोविड-19 दवाओं को खरीदने और वितरित करने में सक्षम हैं, जबकि मरीज उन्हें हासिल करने के लिए परेशान हैं. याचिका में इन आरोपों पर केस दर्ज करने की मांग की गई थी. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की पिछली सुनवाई में ड्रग कंट्रोलर से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. ड्रग कंट्रोलर की रिपोर्ट में बताया गया था कि गंभीर ने 22 से 27 अप्रैल के बीच मेडिकल कैंप लगाया था. उन्होंने कई डीलर्स से दवाइयों के लिए संपर्क किया था. उन्होंने रिटेल बिक्री में दखल नहीं दिया. इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को कड़ी फटकार लगाई कि कैसे वह ऐसा कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा था कि किसी की इन दवाइयों की कमी की वजह से जान जा रही थी और आप ऐसे व्यक्ति का पक्ष ले रहे हैं जिसने ज्यादा दवाइयां हासिल की.

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