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गैंगस्टर खान मुबारक की हरदोई जेल में मौत, कभी दाऊद इब्राहिम से चलती थी दुश्मनी

मुबारक को जेल के अस्पताल में भर्ती किया गया था.

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खान मुबारक 2017 से जेल में था (फाइल फोटो- आज तक)

कभी गैंगस्टर छोटा राजन के शार्प शूटर रहे माफिया खान मुबारक (Khan Mubarak death) की जेल में मौत हो गई. खान मुबारक यूपी की हरदोई जेल के अस्पताल में भर्ती था. अस्तपताल के डॉक्टर ने बताया कि वो निमोनिया से ग्रसित था. 12 जून की सुबह उसकी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई. आंबेडकरनगर के रहने वाले मुबारक के खिलाफ यूपी के अलग-अलग थानों में 40 केस दर्ज थे. साल 2020 में खान मुबारक को लखनऊ जेल से हरदोई जेल में ट्रांसफर किया गया था.

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आजतक से जुड़े संतोष शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, खान मुबारक अंडरवर्ल्ड डॉन जफर सुपारी का छोटा भाई था. जफर सुपारी यूपी के लड़कों को शूटरों के तौर पर सप्लाई करता था. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही वह अपराध की दुनिया से जुड़ गया था. साल 2017 में उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने उसे हथियारों के साथ गिरफ्तार किया था.

क्रिकेट मैच में अंपायर को गोली मारी

मुबारक के अपराध के कई किस्से चर्चित हैं. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी साहित्य में एमए की पढ़ाई के दौरान मुबारक ने एक क्रिकेट मैच में हिस्सा लिया था. क्रीज पर मुबारक बैटिंग कर रहा था. दौड़कर रन पूरा करने की जुगत में था, लेकिन दूसरी टीम ने गिल्ली उड़ा दी. अंपायर ने रनआउट दे दिया. अपील नहीं सुनी गयी. मुबारक को ग़ुस्सा आया. मुबारक ने अंपायर की गोली मारकर हत्या कर दी.

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इसके बाद आंबेडकरनगर में कई अपराधों में उसका नाम आया. चाहे वो किसी व्यापारी से रंगदारी हो या मर्डर. उसने अपने भाई की छोटा राजन तक पहुंच का फायदा उठाया और धीरे-धीरे इलाहाबाद, फैजाबाद सहित कई इलाकों में सक्रिय हो गया. उसके खिलाफ जो केस दर्ज थे, उनमें कई मामले गैंगस्टर एक्ट और आर्म्स एक्ट के भी थे.

साल 2020 में एक टीवी चैनल से इंटरव्यू में यूपी STF के प्रमुख अमिताभ यश ने कहा था, 

“हमने आपराधिक रूप से एक्टिव जिलों की सूची बनायी, जिसमें आंबेडकरनगर टॉप 3 में आया. यहां और टांडा में कोई भी व्यापारी कार्य करता था, तो उसे रंगदारी देनी होती थी. और सारे अपराधों के पीछे ख़ान मुबारक का नाम सामने आता था.”

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जब यूपी पुलिस की दबिश बढ़ी तो मुबारक अपने भाई के पास मुंबई चला गया. छोटा राजन से करीबी बढ़ गई. इसके बाद उसका आपराधिक ग्राफ और ऊपर चला गया. मुबारक कई बार जेल गया और बाहर आया. 2007 से लेकर 2012 तक खान मुबारक नैनी सेंट्रल जेल में बंद रहा. 2012 में जब बाहर निकला तो उसके बाद भी फिरौती का काम जारी रखा. जमीन का कारोबार, रंगदारी और फिरौती. दूसरे लोगों को शूटर चाहिए होते, तो वो भी खान मुबारक मुहैया कराता था.

वीडियो: लल्लनटॉप बैठकी: UP STF चीफ़ अमिताभ यश ने अतीक मर्डर, विकास दुबे एनकाउंटर और मुख्तार अंसारी पर क्या बताया?

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