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भारत-UK के बीच Free Trade Agreement हुआ, एक क्लिक में जानें हमको क्या फायदा होगा!

माना जा रहा है कि यह ऐतिहासिक करार व्यापार, निवेश और सर्विस के क्षेत्रों में दोनों देशों को नया आयाम देगा.

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FTA की वजह से UK में काम करने वाले भारतीयों को 3 साल तक सोशल सिक्योरिटी टैक्स नहीं देना होगा. (Credit: x/@narendramodi)

भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) और Double Contribution Treaty पर डील फाइनल हो गई है. माना जा रहा है कि यह ऐतिहासिक करार व्यापार, निवेश और सर्विस के क्षेत्रों में दोनों देशों को नया आयाम देगा.

प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से सोशल मीडिया साइट X पर इस बात की जानकारी दी गई. एक टीवी चैनल के कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सार्वजनिक तौर पर बताया कि उनकी UK के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर से बात हुई. और दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर मुहर लग गई है.

भारत को मिला क्या फायदा होगा?

- 99% भारतीय एक्सपोर्ट पर जीरो टैरिफ लगेगा. टेक्सटाइल, समुद्री उत्पाद, लेदर, खिलौने, रत्न-जवाहरात, इंजीनियरिंग गुड्स पर अब UK में टैक्स नहीं लगेगा.

- IT, वित्तीय और प्रोफेशनल सर्विसेज़ में भारतीयों को प्रवेश में आसानी होगी. डिजिटल व टेलीकॉम सेवाओं में UK की ओर से मजबूत प्रतिबद्धता भी जताई गई है.

- मेडिकल उपकरण, मशीनरी, कॉस्मेटिक्स, चॉकलेट, बिस्किट, एयरोस्पेस जैसे उत्पादों पर भी आयात शुल्क में राहत.

- भारतीय सेवा प्रदाताओं, बिजनेस विजिटर्स, कंपनी के अंदर ट्रांसफर और उनके डिपेंडेंट्स के लिए वीज़ा में आसानी.

- अब UK में काम करने वाले भारतीयों को 3 साल तक सोशल सिक्योरिटी टैक्स नहीं देना होगा.

UK को मिलेगा ये लाभ

- शराब के एक्सपोर्ट पर भारी राहत. विस्की और जिन पर आयात शुल्क 150% से घटाकर पहले 75%, और आने वाले 10 वर्षों में 40% कर दिया जाएगा.

- गाड़ियों पर राहत. ऑटोमोबाइल पर शुल्क 100% से घटकर कोटा के अंतर्गत 10% किया गया है.

- ब्रिटिश लैंब और सैल्मन को भारत में बेहतर पहुंच मिलेगी.

क्या है Double Contribution Treaty?

यह एक “Totalization Agreement” है, जिससे अब भारतीय और ब्रिटिश कर्मचारी दोनों देशों में एक साथ सामाजिक सुरक्षा टैक्स नहीं देंगे. इससे कर्मचारियों और कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी और क्रॉस-बॉर्डर वर्कफोर्स को प्रोत्साहन मिलेगा. यह समझौता भारत-यूके संबंधों को आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से और मजबूत करेगा. 

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