'काफी दुख के साथ सूचित किया जा रहा है कि डॉ. के.के. अग्रवाल का 17 मई की रात 11.30 बजे के करीब कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ते हुए निधन हो गया. जब से वह डॉक्टर बने थे, उन्होंने अपना जीवन लोगों और स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर समर्पित कर दिया था.'
कोरोना संक्रमित होते हुए भी बीमारी से लड़ने के टिप्स देने वाले डॉ. के.के. अग्रवाल का निधन
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट, पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ICU में भर्ती थे.
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सोशल मीडिया पर लोगों को बीमारियों से आगाह करने वाले डॉक्टर के.के. अग्रवाल कोरोना के खिलाफ लड़ाई हार गए. 17 मई रात 11.30 पर उन्होंने अंतिम सांस ली.
(फोटो- ट्विटर)
कोरोना को लेकर लोगों को लगातार जागरूक करने वाले डॉक्टर के.के. अग्रवाल खुद कोरोना से हार गए. हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट, पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल का सोमवार रात 11.30 बजे निधन हो गया. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के डायरेक्टर रह चुके डॉ. अग्रवाल को कोरोना संक्रमण के बाद एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. गौर करने की बात ये है कि डॉ. के.के. अग्रवाल ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले रखी थीं.
फेसबुक पेज और ट्विटर से आई जानकारी
सोमवार देर रात डॉ. अग्रवाल के निधन की जानकारी उनके ट्विटर हैंडल के जरिए दी गई. ट्वीट में लिखा गया-
इससे पहले, 14 मई को के.के. अग्रवाल की मौत की अफवाह उड़ी थी. तब परिवार ने सोशल मीडिया के जरिए उनके कुशल होने की जानकारी दी थी. कोरोना संक्रमित होने के बावजूद देते रहे टिप्स डॉ. अग्रवाल ने 28 अप्रैल को अपने ट्विटर अकाउंट पर कोरोना संक्रमित होने की जानकारी दी थी. कोरोना की चपेट में आने के बावजूद वह सोशल मीडिया के जरिए लोगों को कोरोना से लड़ने के टिप्स देते रहे. केके अग्रवाल सोशल मीडिया के जरिए लोगों को लगातार अलग-अलग बीमारियों को लेकर जागरुक किया करते थे. कोरोना काल में भी वह लगातार अपने फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल के जरिए कोरोना संक्रमण के बारे में आगाह करते रहते थे. वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया करते थे. एक वीडियो में तो वह ऑक्सीजन सप्लाई पर रहते हुए भी कोरोना से लड़ने की जानकारी देते हुए दिखे थे. 62 साल के डॉ. के.के. अग्रवाल को 2010 में मेडिकल क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. डॉक्टर अग्रवाल ने 1979 में नागपुर यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद इसी विश्वविद्यालय से 1983 में एमएस की डिग्री हासिल की. साल 2005 में केके अग्रवाल को डॉ. बीसी रॉय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. ये पुरस्कार मेडिकल के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है. उन्होंने पुरातन वैदिक दवाओं और आधुनिक दवाओं के मेलजोल को लेकर कई किताबें लिखी हैं.
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